🌺अपभ्रंश साहित्य का प्रथम महाकाव्य पउमचरिउ का परिचय 🌺
• रचयिता – महाकवि स्वयंभू
• अपभ्रंश साहित्य का अत्यंत प्रसिद्ध एवं प्रथम महाकाव्य।
• चरित काव्य।
• पांच काण्डों और 90 संधियों में विभाजित है।
• पांच काण्डों में विभक्त :-
1. विद्याधर कांड(20 संधियां)
2. अयोध्या कांड (22 संधियां)
3. सुंदरकांड (14 संधियां)
4. युद्ध कांड(21 संधियां)
5. उत्तरकांड (13 संधियां)
• कुल श्लोक – 12 हजार
• कुल संधिया – 90 संधिया(83 संधिया स्वयंभू द्वारा रचित और 7 संधिया त्रिभुवन द्वारा रचित।)
• स्वयंभू ने रविषेण द्वारा वर्णित रामकथा का आश्रय लिया है।
• महाकाव्य का आरंभ – ईश वंदना से।
• राम कथा का आरंभ – गुरु और आचार्य वंदना से।
• स्वयंभू ने राम की महिमा का गुणगान किया है।
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