अयोध्या सिंह उपाध्याय, जिन्हें ‘हरिऔध’ के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय साहित्य के प्रमुख कवियों में से एक हैं। उनकी कविताओं में धारावाहिकता, रसविद्या, और आध्यात्मिकता के उच्च स्तर का आदान-प्रदान होता है।
🌺अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ के प्रमुख काव्य🌺
1. प्रियप्रवास
2. बोलचाल
3. चोखे चौपदे
4. चुभते चौपदे
5. रसकलस
6. वैदेही वनवास
7. पारिजात
8. कल्पलता
9. मर्मस्पर्श
10. पवित्रा
11. पर्व
12. दिव्य दोहावली
13. हरिऔध सतसई
◆ “प्रियप्रवास” (1914) ◆
★ रचयिता :- हरिऔध
★ हिंदी खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य
★ प्रियप्रवास राधा कृष्ण प्रेम की परंपरा को अनूठे ढंग से प्रस्तुत करने वाला एक प्रसिद्ध महाकाव्य है।
★ कंस के निमंत्रण पर कृष्ण अक्रूर के साथ मथुरा चले जाते हैं और फिर लौट कर नहीं आते हैं। उनके इस प्रवास का वर्णन ही प्रिय प्रवास का विषय है इसकी कथावस्तु भागवत पुराण पर आधारित है इसके अनेक प्रसंगों में नवीनता परिलक्षित होती है जैसे-
1. राधा ने पवन के माध्यम से संदेश प्रेषित किया है।
2. राधा के परंपरागत और सामाजिक एवं नीति विरुद्ध प्रणय व्यापार को स्वस्थ एवं दिव्य रूप प्रदान करने का प्रयास किया गया है।
3. राधा का परकिया रूप अलग होकर देश सेविका के रूप में ढल गया है ।
“वे छाया थी सूजन सिर की शासिका थी खलों की। कंगालो की परमनिधि थी औषधि पीड़ितों की।।
4. प्रियप्रवास में श्री कृष्ण को महापुरुष के रूप में चित्रित किया गया है ब्रह्मा के रूप में नहीं
◆ पारिजात (1927 ई.)
★पारिजात को हरिऔध जी ने जी ने स्वयं महा काव्य की संज्ञा दी है ।