अरस्तु का त्रासदी सिद्धांत(arastu ka trasadi siddhant)
• त्रासदी का सर्वप्रथम विवेचन : – यूनान में।
• त्रासदी का गंभीर एवं विशद् विवेचन सर्वप्रथम :-अरस्तु ने।
• त्रासदी का विषय(अरस्तु के अनुसार) :- केवल गंभीर कार्य की अनुकृति
• त्रासदी के तत्व :-
(i) कथावस्तु या कथानक (त्रासदी का प्रमुख तत्व)
(ii) चरित्र
(iii) विचार तत्व
(iv) पदावली(अनुकरण के माध्यम)
(v) दृश्य विधान(अनुकरण की पद्धति)
(vi) संगीत
• अनुकरण के विषय :- कथावस्तु या कथानक, चरित्र एवं विचार तत्व
• अनुकरण के माध्यम :- पदावली एवं संगीत
• अनुकरण की पद्धति :- दृश्य विधान
1. कथावस्तु या कथानक :-
• कथानक का तात्पर्य :- घटनाओं की कलात्मक संरचना (अरस्तु के अनुसार)
• कथानक का विस्तार अनुपातिक होना चाहिए।
• सौन्दर्य की पहली शर्त अनुपात है।
(अ) कथानक का आधार :- तीन
(i) दंतकथामूलक
(ii) कल्पनामूलक
(iii) इतिहासमूलक
• अरस्तु के अनुसार काव्य इतिहास से अधिक दार्शनिक तथा उच्चत्तर वस्तु है क्योंकि काव्य सामान्य को अभिव्यक्ति करने का प्रयास करता है और इतिहास विशेष को।
• इतिहास से अधिक दार्शनिक तथा उच्चत्तर वस्तु – काव्य।
• सामान्य को अभिव्यक्त करने का प्रयास करता है- काव्य।
• विशेष को अभिव्यक्त करने का प्रयास करता है- इतिहास
• सामान्य से अरस्तु का तात्पर्य :- कोई व्यक्ति किसी अवसर पर आवश्यकता के नियमानुसार कैसा आचरण करेगा,कैसा व्यवहार करेगा,इसका ज्ञान होना चाहिए।
• काव्य सामान्यता को सिद्ध करने के कारण का काव्य इतिहास एवं दर्शन से श्रेष्ठ है ।
(ब ) कथानक के मूल गुण चार प्रकार है:-
(i) पूर्णता
(ii) एकास्विति
(iii) सम्भाव्यता और आवश्यकता
(iv) सहज विकास
(स) कथानक के तीन अंग है:-
(i) महान त्रुटि हैमरतिया
(ii) स्थिति- विपर्यय (परीपेतेइआ)
(iii) अभिज्ञान (अनग्नोरिसिस)
• कथानक के अंगों में दुखांत को रोचक एवं आकर्षक बनाने वाले स्थिति – विपर्यय एवं अभिज्ञान अंग है।
• (द) त्रासदी या दुखांतक के संगठन संबंधित अंग :- (i)प्रस्तावना
• (ii) उपाख्यान
• (iii) उपसंहार
(iv) वृन्दगान।
2. चरित्र चित्रण:-
• चरित्र चित्रण के लिए चार आवश्यक तत्व :-
(i) अच्छाई
(ii) औचित्य
(iii) यथार्थ
(iv) सुसंगति
• Poeties के 15वे अध्याय में अरस्तु के चरित्र – चित्रण में नाटककार को निम्न बातों का ध्यान रखने के लिए कहा है:-
√ चरित्र अच्छा हो ।
√ औचित्य का ध्यान रखा जाए ।
√ वह जीवन के अनुरूप हो।
√ चरित्र में एकरूपता हो ।
3. विचार तत्व:-
• विचार तत्व दो प्रकार के है:-
(i) बुद्धि तत्व (ii) भाव तत्व
4. पदावली:- शब्दों द्वारा अर्थ की अभिव्यक्ति।
5. दृश्य- विधान
6. संगीत
• अरस्तु के अनुसार अनुकरण का विषय कार्यरत मनुष्य ।
• श्रेष्ठत्तर मनुष्यों का चित्रण :- दुखांतक में
• निम्न मनुष्यों का चित्रण:- प्रहसन में
• अरस्तु के अनुसार कथानक का तात्पर्य :- घटनाओं की कलात्मक संरचना।
• अरस्तु के अनुसार त्रासदी का दुखांतक है:- कार्य व्यापार का अनुकरण।
• काव्य का सर्वात्तम रूप दुखांत को माना। (अरस्तु ने अनुसार)
• अनुकरण के लिए यूनानी में ‘मिसेसिक’ शब्द प्रयुक्त होता है।
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arastu ka siddhant arastu ka trasadi siddhant https://hindibestnotes.com अनुकरण के लिए यूनानी में 'मिसेसिक' शब्द प्रयुक्त होता है। अरस्तु का त्रासदी सिद्धांत अरस्तु का सिद्धांत त्रासदी का गंभीर एवं विशद् विवेचन सर्वप्रथम :-अरस्तु ने त्रासदी का विषय(अरस्तु के अनुसार) :- केवल गंभीर कार्य की अनुकृति 2021-01-28
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