🌺आलवार भक्त(aalavar bhakt)🌺
🌺आलवार भक्तों की संख्याः- 12
🌺आलवार भक्तों की शॉर्टट्रिक :–
सभूमधुरकविकुलमुनिविष्णु से मिलकर भक्ति करने का शगोदा को भ्रान्त होता है परन्तु भक्ताघ्रिरेण को पता नही रहता है।
(1) सरोयोगी (स)
(2) भूतयोगी (भू)
(3)मधुर कवि (मधुर)
(4) कुल शेखर (कविकुल) :- रामोपासक
(5) मुनिवाहन(मुनि)
(6) विष्णुचित (विष्णु):- रामोपासक
(7) भक्तिसार(भक्ति)
(8) शठकोप या नक्मालवार(श) :-रामोपासक
(9) गोदा(गोदा):- दक्षिणी भारत की मीरा
(10) भ्रान्तयोगी(भ्रान्त)
(11) परकाल(पर):- रामोपासक
(12) भक्ताघ्रिरेणु(भक्ताघ्रिरेण)
🌺अन्य जानकारी:-
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आलवार शब्द का अर्थ :- मग्न होना या शासन करना।
• आलवार शब्द का अर्थ :- भगवद्प्रेम सागर में डूबने वाले अर्थात ईश्वरीय ज्ञान मूल तत्व तक पहुंचकर उसे ध्यान मग्न रहने वाले हैं।( डॉ . मुंशी राम शर्मा के अनुसार)
• आलवार के जीवन का एकमात्र आधार :- प्रपत्ति विशुद्ध भक्ति।
• दास्यभाव से भगवत् सेवा ही इनके लिए मोक्ष था।
• आलवर संत के लिएसमस्त जगत्और वस्तुओं भगवान का शरीर रूप है।
• आलवार भक्त प्रेम सतत् नित्य रूप में रहने वाला है।
• आलवारों को दैवी पुरुष माना गया है ।
• “गीता और भगवत तथा गीता और रामानुज के बीच की कड़ी यह आलवार संत है।”( दिनकर के अनुसार)
• आलवार संत ईश्वर की प्राप्ति इंद्रियोंऔर बुद्धि द्वारा असंभव मानते थे ।
[ ] आलवार महत्वपूर्ण बिन्दु :-
1. सरोयोगी ,भँतयोगी एवं महायोगी अयोनिज(कोख से उत्पन्न नही) थे।
2. सरोयोगी ,भँतयोगी एवं महायोगी के द्विव्यप्रबन्धमे सौ – सौ पद है।
3. भक्तिसार कट्टर शैव थे परन्तु पेयालवार के शिष्य बन जाने के बाद वैष्णव धर्म में प्रचार करने लगे।
4. आलवरों में नम्मालवार(शठकोप) सर्वश्रेष्ठ थे।
5. शठकोप को तमिल प्रदेश में द्विव्य कवि कहा जाता था।
6. भक्तांघ्रिरेणु आलवार वेश्या से मोहित थे।
7. शठकोप के शिष्य :– (i) मधुरकवि (ii) श्री नाथ मुनि(द्विव्यप्रबन्ध [4000पदों ]का संकलन किया)
8. श्री नाथ मुनि के पौत्र :- यमुनाचार्य (अलवन्दार)
9. आलवार परम्परा के बाद आने वाले सर्वप्रथम आचार्य में :- आचार्य श्री नाथ मुनि
10.आलवार भक्त दक्षिण भारत(तमिलनाडु) के थे।
11.7वे आलवार भक्त चेरवंशी राजा कुलशेखर ने ‘सीताहरण’का प्रसंग सुनकर भावावेशमे तुरन्त ही लंका पर चढ़ाई करने की आज्ञा दी थी
12 दक्षिण भारत में सर्वप्रथम रामभक्ति का प्रचार- प्रसार आलवार भक्तों ने किया था।
क्रम संख्या |
तमिल नाम |
संस्कृत नाम |
अवतार |
1. |
पोयगै आलवार |
सरोयोगी |
विष्णु के शंख के अवतार |
2. |
भँतत्तालवार |
भँतयोगी |
विष्णु के गदा के अवतार |
3. |
पेयालवार |
महायोगी |
विष्णु की तलवार के अवतार |
4. |
तिरुमलिसई आलवार |
भक्तिसार |
विष्णु के चक्र का अवतार |
5. |
नम्मालवार |
शठकोप |
विष्णु के सेनापति का अवतार |
6. |
मधुर कवि आलवार |
मधुरकवि |
विष्णु के वाहन गरूड़़ का अवतार |
7. |
कुलशेखरालवार |
कुलशेखर |
विष्णु के गले की मणि का अवतार |
8. |
पेरियालवार |
विष्णुचित |
विष्णु के वाहन गरूड़़ का अवतार |
9. |
आण्डाल |
गोदा(महिला) |
विष्णु की पत्नी तथा पृथ्वी देवी का अवतार |
10. |
तोडरडीपोडी |
भक्तांघ्रिरेणु |
विष्णु के वन माला के अवतार |
11. |
तिरुप्पाण |
योगीवाहन |
विष्णु के वक्ष पर स्थित पवित्र चिह्न का अवतार |
12. |
तिरुमंगै आलवार |
परकाल |
विष्णु का धनुष का अवतार |