कबीर और जायसी ने छप्पर का प्रयोग( Kabir and Jayasi ne ka prchhappar ayog)

🌺 कबीर और जायसी ने छप्पर का प्रयोग🌺

◆ संती भाई आई ग्यांन की आँधी रे ।
भ्रम की टाटी सभ उड़ानी माया रहे न बाँधी रे ॥
दुचिते की दोइ थूनि गिरांनी मोह बलेंडा टूटा । त्रिसनां छानि परी पर ऊपरि दुरमति भाँडा फूटा ।।-कबीर ग्रन्थावली

★ कबीर ने छप्पर का प्रयोग तृष्णा के लिए किया है।


◆ बरसै मेह, चुवहिं नैनाहा । छपर छपर होइ रहि बिनु नाहा ॥
कोरौं कहाँ ठाट नव साजा ?। तुम बिनु कंत न छाजन छाजा ॥(पद्मावत से नागमती विरह खण्ड)

★ जायसी ने छप्पर का प्रयोग मुख्यतः शरीर के लिए किया है।

 

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