काव्य के लक्षण( kavy ke lakshan)

★ काव्य लक्षण याद रखने के लिए सम्पूर्ण परिभाषा रटने की जरुरत नहीं है केवल परिभाषा में प्रमुख बिंदु को ही याद रखना है जो इस प्रकार :-

◆ भारतीय आचार्य के द्वारा:-

1. शब्दार्थ :-
• शब्दार्थो सहितौ – भामह
• शब्दार्थशरीरं – आनन्दवर्द्धन
• शब्दार्थवनलंकृती – जयदेव
• सब्द जीव तिहि – देव
★ विस्तार से :-

1. भामह के अनुसार -: “शब्दार्थो सहितौ
काव्यम्” (काव्यालंकार ग्रंथ में)

2. आनन्दवर्द्धन के अनुसार -: “शब्दार्थशरीरं
तावत्काव्यम् ” (ध्वन्यालोक ग्रंथ में)

3. जयदेव के अनुसार -:
“अंगीकरोति य: काव्यं शब्दार्थवनलंकृती।
असौ न मन्यते कस्मादनुष्णमनलंकृती।।”
(चन्द्रालोक ग्रंथ में)

4. देव के अनुसार -:
”सब्द जीव तिहि अरथ मन,रसमय सुजस सरीर।
चलत वहै जुग छन्द गति, अलंकार गम्भीर।।”
(काव्य रसायन ग्रंथ में)

2. दोष :-

★ विस्तार से :-

1. मम्मट के अनुसार -: “तददौषा शब्दार्थौ
सगुणावलंकृति पुनः क्वापि च” (काव्यप्रकाश ग्रंथ में)

2. हेमचन्द्र के अनुसार -: “अदोषौ सगुणौ सालंकारौ व
शब्दार्थौ काव्यम्” (शब्दानुशासन ग्रंथ में)

3. जयदेव के अनुसार -:• तद्दौषो(तद् दौषो) – मम्मट

• अदोषो – हेमचन्द्र
• निदौषा – जयदेव
• दोष रहित – वामन
• दोष सहित अरु गुण – कुलपति मिश्र
• सगुण पदारथ दोष – सोमनाथ

“निर्दोषा लक्षणवती सरीतिर्गुण भूषिता।
सालंकार रसानेकवृत्तिवाक्काव्यनामवाक्।।”
(चन्द्रालोक ग्रंथ में)

4. वामन के अनुसार -: “दोष रहित वाक्यं काव्यम्”
(काव्यालंकार सूत्रवृत्ति ग्रंथ में)

5. कुलपति मिश्र के अनुसार -:
” दोष रहित अरु गुन सहित,कछुक अल्प अलंकार।
शब्द अरथ सो कबित है,ताको करो विचार ।।”
(रस रहस्य ग्रंथ में)

6. सोमनाथ के अनुसार -:
“सगुन पदारथ दोष बिनु, पिंगल मत अविरुद्ध।
भूषण जुत कवि कर्म जो ,सो कवित्त कहि सुद्ध।।”

3. सगुण :-
• सगुण अलंकारन सहित – चिंतामणि
• सगुण पदारथ दोष – सोमनाथ

★ विस्तार से :-

1. चिंतामणि के अनुसार -:
“सगुण अलंकारन सहित, दोष रहित जो होइ।
सब्द अर्थ वारौ कवित, विबुध कहत सब कोइ।।”
(कवि कुलकल्पतरु ग्रंथ में)

2. सोमनाथ के अनुसार -:
“सगुन पदारथ दोष बिनु, पिंगल मत अविरुद्ध।
भूषण जुत कवि कर्म जो ,सो कवित्त कहि सुद्ध।।”

4. शरीर :-
• शरीर – दण्डी
• शर्ब्दोथ शरीर – आनन्दवर्द्धन
★ विस्तार से :-

1. दण्डी के अनुसार -:
“शरीरं तावदिष्टार्थं व्यवच्छिन्नापदावली”
(काव्यादर्श ग्रंथ में)

2. आनन्दवर्द्धन के अनुसार -: “शब्दार्थशरीरं
तावत्काव्यम् ” (ध्वन्यालोक ग्रंथ में)

5. अन्य :-
• व्यापार – कुन्तक
• वाक्य रसात्मक – विश्वनाथ
• रमणीयार्थ – जगन्नाथ
★ विस्तार से :-

1. कुंतक के अनुसार -:
” शब्दार्थौ सहितौ वक्र कवि व्यापारशालिनौ।
बन्धे व्यवस्थितौ काव्यं तद्धिदाह्लादकारिणौ।।”
( वक्रोक्ति जीविकतम् ग्रंथ में)

2. विश्वनाथ के अनुसार -: “वाक्यं रसात्मक काव्यम्”
( साहित्य दर्पण ग्रंथ में)

◆ पाश्चात्य आचार्य

1. संगीत
• संगीतमय विचार – कार्लाइल
• सुस्पष्ट संगीत – ड्राइडन
★ विस्तार से :-

1. कार्लाइल के अनुसार -: “संगीतमय विचार

2. ड्राइडन के अनुसार -: “कविता सुस्पष्ट संगीत है।”

2. सर्वोत्तम :-
• सर्वोत्तम शब्द – कॉलरिज
• सर्वोत्तम और सर्वाधिक सुखपूर्ण – शैली
★ विस्तार से :-

1. कॉलरिज के अनुसार -: “सर्वोत्तम शब्द अपने सर्वोत्तम क्रम में कविता होती है।”

2. शैली के अनुसार -: ” सर्वसुखी और सर्वोत्तम मनों के सर्वोत्तम और सर्वाधिक सुखपूर्ण क्षणों का लेखा कविता है।”

3. कल्पना :-
• कल्पना की सहायता से मुक्त सत्य – डॉ. जानसन
• कल्पना और संवेग के द्वारा जीवन की व्याख्या – हडसन

★ विस्तार से :-

1. डॉ. जानसन के अनुसार -: ” कविता को उस कला के रूप में जो कल्पना की सहायता से युक्ति के द्वारा सत्य को आनंद से समन्वित करती है।”

2. हडसन के अनुसार -: ” कल्पना और संवेग के द्वारा जीवन की व्याख्या

4. अन्य :-
• मूल रूप में जीवन की आलोचना – मैथ्यू आरनॉल्ड
• प्रबल अनुभूतियों का सहज उद्रेक – वर्ड्सवर्थ
★ विस्तार से :-

1. मैथ्यू आरनॉल्ड के अनुसार -: ” कविता अपने मूल रूप में जीवन की आलोचना है।”

2. वर्ड्सवर्थ के अनुसार -: ” कविता प्रबल अनुभूतियों का सहज उद्रेक है, जिसका स्रोत शांति के समय में स्मृत मनोवेगों से फूटता है।”

◆ आधुनिक हिंदी साहित्य के कवि :-

1. हृदय :-
• हृदय की मुक्तावस्था- आचार्य रामचंद्र शुक्ल
• हृदय में आलौकिक आनंद – डॉ. श्यामसुंदर

★ विस्तार से :-

1. आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार – “जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञानदशा कहलाती है उसी प्रकार हृदय की मुक्तावस्था रस दशा कहलाती है। हृदय की इसी मुक्ति साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आयी है, उसे कविता कहते हैं।”
(चिंतामणि भाग-1 निबंध में)

2.डॉ. श्यामसुंदर -” काव्य वह है जो ह्रदय में आलौकिक आनंद या चमत्कार की सृष्टि करें।”

2. आनंद :-
• क्षमता और आनंद – महावीर प्रसाद द्विवेदी
• ह्रदय में आलौकिक आनंद – डॉ. श्यामसुंदर

★ विस्तार से :-

1. महावीर प्रसाद द्विवेदी के अनुसार -“क्षमता और आनंद

2.डॉ. श्यामसुंदर -” काव्य वह है जो ह्रदय में आलौकिक आनंद या चमत्कार की सृष्टि करें।”

3. अभिव्यक्ति :-
• परिपूर्ण क्षणों की अभिव्यक्ति – सुमित्रानंदन पंत
• प्रेय देने की अभिव्यक्ति- बाबू गुलाब राय
• जीवन और जगत की अभिव्यक्ति – आचार्य रामचंद्र शुक्ल

★ विस्तार से :-
1. सुमित्रानंदन पंत के अनुसार -” कविता हमारे परिपूर्ण क्षणों की अभिव्यक्ति है । “

2. बाबू गुलाब राय के अनुसार -“प्रेय देने की अभिव्यक्ति

3. आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार -“जीवन और जगत की अभिव्यक्ति ही कविता है ।”

4. अन्य :-
• आत्मा की संकल्पनात्मक अनुभूति – जयशंकर प्रसाद
• कवि विशेष की भावनाओं का चित्र- महादेवी वर्मा
• जीवन की आलोचना – प्रेमचंद
• शब्दों की अदालत में खड़े बेकसूर आदमी का हलफनामा है – धूमिल

★ विस्तार से :-
1. जयशंकर प्रसाद के अनुसार -“काव्य आत्मा की संकल्पनात्मक अनुभूति है जिसका संबंध विश्लेषण विकल्प या विज्ञान से नहीं है। वह एक श्रेयमयी प्रेय रचनात्मक ज्ञानधारा है।”

2. महादेवी वर्मा के अनुसार -” कविता कवि विशेष की भावनाओं का चित्रण है और वह चित्रण इतना ठीक है कि उससे कैसे ही भावनाएं किसी हृदय में आविर्भूत हो जाती है।”

3. प्रेमचंद के अनुसार -“काव्य जीवन की आलोचना है।”

4. धूमिल के अनुसार -“शब्दों की अदालत में खड़े बेकसूर आदमी का हलफनामा है।”

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