कीर्ति लता का परिचय (Kirti Lata ka parichay)
🌺कीर्ति लता का परिचय🌺
* कीर्तिलता को कहाणी भी कहते है।
* विद्यापति की प्रथम रचना
* रचनाकाल गणेश्वर की मृत्यु के बाद का है ,1380 (बाबूराम सक्सेना के अनुसार)
* कीर्ति लता की रचना के समय विद्यापति की आयु 20 वर्ष की थी
* इसमें विद्यापति ने स्वयं को ‘खेलन कवि’ कहा है। खेलन का अभिप्रायः खिलाड़ी किशोर नहीं।यह विद्यापति की उपाधि है जो उन्हें सरस कविता लिखने के कारण प्राप्त हुई थी ।
* विषय:- महाराजा कीर्ति सिंह के राज्याभिषेक, युद्ध- विजय, युद्धारोहण आदि का वर्णन ।
* पद्धति:- संवाद पद्धति(भृंगी शंका व्यक्त करती है तो भृंग उसके प्रश्नों के उत्तर देता है।)
* ग्रंन्थ के आरंभ में :- संस्कृत में मंगलाचरण के दो श्लोक है । एक श्लोक में कलयुग की दुरवस्था का वर्णन है। जिसमें बताया गया है कि इस युग में कविता बहुत है, सुनने वाले और रस ज्ञाता भी बहुत ही है परंतु दाता दुर्लभ है। दाता है कीर्ति सिंह । इसके उपरांत कवि अपनी विनीत दिखाता है और कहता है कि उसका कार्य ऐसा वैसा है परंतु यद्यपि दुर्जन उस पर हसेंगे तथापि सज्जन उसकी प्रशंसा करेंगे।
* कीर्तिलता को कहाणी भी कहते है। * विद्यापति की प्रथम रचना * रचनाकाल गणेश्वर की मृत्यु के बाद का है https://hindibestnotes.com/----kirti-lata-ka-parichay/ www.hindibestnotes.com कीर्ति लता का परिचय (Kirti Lata ka parichay) 2024-05-28
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