गिरिराज किशोर का प्रथम उपन्यास ‘लोग’ का परिचय(giriraj kishor ka pratham upanyas log ka parichay)

🌺गिरिराज किशोर का प्रथम उपन्यास ‘लोग’ का  परिचय🌺

🌺लोग उपन्यास 🌺

◆ प्रकाशन :- 1966 ई.

 

◆ गिरिराज किशोर का प्रथम उपन्यास

 

◆ ऐतिहासिक उपन्यास

 

◆ कुल भाग :- 15

 

◆ गिरिराज किशोर ने इस उपन्यास की कथा को एक बालक के द्वारा आत्मकथात्मक रूप में प्रस्तुत किया है।

 

◆ इस उपन्यास में द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति(1945) तथा 1947 से पूर्व देश की परिवर्तन स्थितियों का वर्णन।

 

◆ विषय वस्तु :-

● विशिष्ट वर्ग का चित्रण करता है जो असुरक्षा एवं मूल्यहीनता का अनुभव करता है।

 

● ब्रिटिश काल के सामंतवाद व्यवस्था का वर्णन।

 

● स्वाधीनतापूर्व युग में भारतीय सामतों की गिरती हुई स्थिति का वर्णन ।

 

● सामन्ती परिवारों में नारियों की दयनीय दशा का यथार्थ चित्रण

 

●भारत के स्वातंत्रतापूर्व के कुछ वर्षों का सामाजिक, राजनैतिक स्थिति का चित्रण

 

उपन्यास के नामकरण :-

 

● उपन्यास के नामकरण “लोग” को लेखक ने उपन्यास की भूमिका में स्पष्ट किया है कि ये उस वर्ग से सम्बन्धित लोग हैं जो अपने आपको छूटा हुआ सा महसूस कर रहे थे उन लोगों के मन में इस नए परिवर्तन के प्रति असुरक्षा, मूल्यहीनता, संस्कार-हीनता, उच्छृंखलता, विघटन आदि सब प्रकार की आशंकाए थी। उनमें से कुछ बदलते हुए सन्दर्भों के अनुरूप अपने को ढाल पाने में असमर्थ रहे वे ही लोग यहाँ है।

◆ उपन्यास में पात्र :-

 

1. रायसाहब यशवन्तराय :-

★ उपन्यास का नायक / उपन्यास का केन्द्रीय पात्र

★ बीस वर्ष से अधिक म्यूनिसिपालिटी के चैयरमैन पद पर

★ रायसाहब के हितैषी मित्र नीलमणिकांत

★ भारत में अंग्रेजों के वफादार जमींदार

 

2. देवा (रायसाहब यशवन्तराय का पुत्र )

 

3. देवा की पत्नी (मर गयी)

 

4. राजू

★रायसाहब यशवन्तराय का पोता

★ उनके साथ हमेशा रहता है

★ देवा का पुत्र

 

5. काका साहब (रायसाहब यशवन्तराय का भाई)

 

6. बाबू जी (काका साहब का बेटा, कुसंगति में पड़ा )

 

7. बाबू जी की पत्नी (काका साहब की पुत्रवधु)

 

8. राजू :-

★ रायसाहब यशवन्तराय का पोता

★ राजू की माँ का देहावसन होने के कारण वह हमेशा अपने दादाजी के साथ रहता है।

 

9. उमरा चमार

 

10. कुंवर किशोरीरमण

 

11. खान बहादुर

 

12. इकरामुल हक

 

13. लाला चतर सिंह

 

14. राय बहादुर

 

15. जगदीश शरण राय

 

16. राय नीलमणि कांत

 

18. रायसाहब के हितैषी मित्र

 

19. पंडित राधिका प्रसाद चतुर्वेदी

 

20. चौधरी केहर सिंह

 

21. कमिश्नर नीदरसोल

 

22. कलक्टर मिस्टर ब्राउन

 

23. पुलिस कप्तान मिस्टर स्मिथ

 

24. डिप्टी मजिस्टेट जोशी

 

25. चीफ जस्टिस गंगा बाबू

 

26. ज्वाइंट मजिस्टेट मिस्टर सक्सेना

 

27.सफाई करने वाली रामी मेहतरानी

 

💐 उपन्यास का सारांश:-

 

◆ कथा का आरम्भ द्वितीय विश्व युद्ध में हुई इंग्लैंड की जीत की खुशी में मनाये जाने वाले जश्न से होता है रायसाहब यशवन्तराय को लोग मुबारकबाद देते है।

 

◆ कथावचक ‘मैं’ को उनके दादा राय रायसाहब एक रात अंग्रेजों द्वारा जीत की खुशी में आयोजित पार्टी में ले जाते हैं, वहाँ यशवन्त राय अपने सामन्ती रोब से सम्मिलित होते हैं। उनके स्वभाव, बातचीत के ढंग, रहन-सहन, खान-पान में सामन्ती ठाठ स्पष्ट दिखाई देता है।

 

◆ हमेशा कलई के गिलास में शरबत पीने वाले रायसाहब को मि. स्मिथ जब शराब पिलाने की कोशिश करते हैं तो इस बात पर दोनों की झड़प हो जाती है और उत्सव के साथ-साथ सम्बन्धों में भी दरार पड़ जाती है, जो रायसाहब के लिए दुःखद सिद्ध होती है।

 

◆ अंग्रेज मेमों के प्रति रायसाहब के हल्के से मजाक को मि. स्मिथ अपना अपमान समझता है, लेकिन अपने गुस्से को दबा कर खामोश हथकण्डे अपनाता है।

 

◆ रायसाहब कलेक्टर मि. ब्राऊन से मिलने उनके हवेली पर जाते हैं वहाँ उनकी गाड़ी को अंदर घुसने दिया नहीं जाता, किंतु रायसाहब बलपूर्वक गाड़ी को अंदर ले जाते हैं। वहाँ मि. स्मिथ घोड़ियों को हण्टर से मारकर भगाते हैं। इसमें रायसाहब का पोता और घोड़ियाँ घायल होती हैं। इससे क्रुद्ध होकर रायसाहब मि. स्मिथ पर अपनी रिवाल्वर तानते हैं। इस बीच मि. ब्राऊन आकर रायसाहब को रोककर पूरे मामले को शांत कराते हैं। घोड़ी के बिदकने से एक घोड़ी के काफी चोट आती है। इसके साथ ही राय साहब के पौत्र तथा चतर सिंह के भी मामूली चोटें आती हैं।

 

◆ इस घटनों का पता राय साहब के पुत्र तथा छोटे भाई को लगता है, तो वह बहुत नाराज होते हैं। राय साहब से चिढ़ जाने के बाद मिस्टर स्मिथ राय साहब के रावतपुर वाले डेरे पर छापा मारता है परंतु राय साहब की तत्परता से वह अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाता । इस घटना का विरोध करने राय साहब कलक्टर मिस्टर ब्राउन के आवास पर भी जाते हैं।

 

◆ नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव भी निकट है। अब तक राय साहब ही इसके अध्यक्ष रहे हैं। उनके विरोधियों द्वारा उनको हराने के लिए योजनाएं बनायी जाती है।

 

◆ पुलिस द्वारा रावतपुर के ग्रामीणों को बिना वजह तंग किया जाता है। राय साहब इस समूचे घटनाचक्र से उच्च अधिकारियों को अवगत कराते हैं वह एक प्रतिनिधि मण्डल बनाकर कमिश्नर एवं कलक्टर से भी भेंट कर वस्तुस्थिति से अवगत कराते हैं।

 

◆ चुनाव की निकटता को देखते हुए राय साहब बोर्ड का काम-काज तेजी से निपटाने लगते हैं। एक दिन बोर्ड की बैठक में उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये जाते हैं।

 

◆ चुनाव जीतने के लिए दोनों पक्षों द्वारा अपने-अपने हथकण्डे अपनाये जाते हैं। चुनाव के दिन मतदान होता है। राय साहब इकरामुल हक से हार जाते हैं। इसके बाद राय साहब के साथ ही इकरामुल हक का नाम भी नाइटहुड के लिए भेजे जाने की चर्चाएं होने लगती है।

 

◆ उसी दौरान कमिश्नर का दौरा होता है। वह चाहता है कि मिस्टर स्मिथ और राय साहब यशवन्त राय के मध्य चल रहा शीतयुद्ध थमें तथा दोनों के बीच की दूरियाँ कम हो जायें। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए राय साहब नीलमणिकान्त के आवास पर एक भोज का आयोजन किया जाता है तथा दोनों के हाथ मिलवा दिये जाते हैं।

 

◆ इकरामुल हक के अध्यक्ष बन जाने के बाद नगर परिषद में अकर्मण्यता छा जाती है । इधर ‘नाइटहुड’ के सिलसिले में राय यशवन्त राय साहब लखनऊ जाते हैं। वहाँ वह गंगाबाबू के यहाँ ठहरते हैं।

 

◆ लखनऊ में राय साहब गवर्नर से मिलते हैं। गवर्नर राय साहब को संतुष्ट तो करता है परंतु राय साहब निराश मन से लौट आते हैं लौटकर आने के बाद राय साहब एकाकी हो जाते हैं। इसी कारण वह क्रिसमिस पर भी बाहर न जाकर घर पर ही इसे मनाते हैं।

 

◆ राष्ट्र स्वतन्त्र होने वाला होता है। कुछ लोग राय साहब से स्वाधीनता दिवस कमेटी की अध्यक्षता करने का आग्रह करते हैं। राय साहब इस आग्रह को ठुकरा देते हैं । अंत में मिस्टर ब्राउन के ब्रिटिश जाने के घटनाक्रम के साथ उपन्यास का समापन होता है ।

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