गैंग्रीन / रोज़ कहानी(gaingreen/roz kahani)

• कथाकार :- अज्ञेय

• कहानी का संकलन :- विपथगा कहानी संग्रह में

• प्रकाशन :- 1990 में, (नेशनल पब्लिशिंग हॉउस, दिल्ली से )

• इस कहानी सर्वप्रथम गैंग्रीन नाम से प्रकाशित हुआ लेकिन बाद में इसका शीर्षक बदलकर रोज़ कर दिया।

• कहानी तीन भागों में

★ प्रथम भाग में :- मालती की बाह्य स्थिति

 

★ दूसरे भाग में :- मालती के मनः स्थिति का चित्रण

★ तीसरे भाग में :- महेश्वर के डिस्पेंसरी से लौटने वर्णन

◆ कहानी का मूल भाव :- एक विवाहित नारी
के अभावों में घुटते हुए व्यक्तित्व की त्रासदी का
चित्रण।

• रोज़ एक ही दिनचर्या पर चलती मालती के जीवन की कहानी जो शीर्षक से भी बयान होती है।

★ गैंग्रीन / रोज़ कहानी का उद्देश्य :-

 एक युवती मालती के यांत्रिक वैवाहिक जीवन के माध्यम नारी जीवन और उसके सीमित घरेलू परिवेश में बीते उबाऊ जीवन की कथा है।

• कहानी के पात्रों का परिचय :-

 

1. मालती :-

• कहानी की मुख्य पात्र

• महेश्वर की पत्नी

• टिटी की माँ

• कथाकार के दूर के रिश्ते का बहिन

• अपने वैवाहिक जीवन से त्रस्त है।

• मालती अनैच्छिक,अनुभूतिहीन और नीरस।(विवाह के बाद)।

• मालती :- उद्धत और चंचल ( विवाह के पहले),
सीधी और शांत (विवाह के बाद)।

• मालती सुबह का भोजन रोज़ 3.00 बजे करती थी (महेश्वर को 2.00 बजे खाना खिलाने के बाद) और शाम का भोजन का समय 10:30 बजे (कथाकार गया था उस दिन)

• मालती कुछ नहीं पढ़ती थी इस कारण उसके माता – पिता तंग थे।

• मालती के पिता ने पुस्तक लाकर दी उस पुस्तक के रोज 20 पेज पढ़ने के लिए मालती को कहा लेकिन पढ़ने के बजाय मालती किताब के रोज 10 पन्ने या 20 पेज फाड़ कर फेंक देती है।

• मालती भोजन से निवृत्त होकर दही जमाने के लिए मिट्टी का बर्तन गरम पानी से धो रही थी। (इस समय 11:00 बजने वाले थे।)

2. महेश्वर :–

• मालती का पति

• टिटी के पिता

• पहाड़ी गाँव में सरकारी डिस्पेंसरी में डॉक्टर

• क्वार्टर में रहते हैं

• डिस्पेंसरी का समय :- सुबह 7:00 से डेढ या दो बजे तक, शाम को दो-तीन घंटे।

• महेश्वर ने किवाड़ खोलने के लिए दो बार खट – खटाया।

• महेश्वर ढाई बजे खाना खाने आते हैं इसलिए मालती तीन बजे तक भूखी रहती है।

• महेश्वर अस्पताल में जल्दी इसलिए गये :- अस्पताल में एक – दो चिंताजनक केस आ गये थे जिनका ऑपरेशन करना था, उनमें दो की तो शायद टांग काटनी पड़े, गैग्रीन हो गया थे।

• महेश्वर अस्पताल से घर लौटते समय आम लेकर आये थे।

• महेश्वर ने एक व्यक्ति का आगे गैग्रीन का ऑपरेशन कर दिया और दूसरे व्यक्ति को एंबुलेंस से बड़े अस्पताल में भिजवा दिया।

• एक व्यक्ति को गैंग्रीन इसलिए किस कारण गया था? -: उसके कांटा चुभ जाने के कारण

• महेश्वर के अस्पताल में हर दूसरे – चौथे दिन गैग्रीन का केस आ जाता है।

• पलंग को बाहर निकालने के बाद पलंग पर महेश्वर टीटी और कथाकार बैठ गये।

3. टिटी :–

• मालती और महेश्वर का पुत्र

4. कथाकार :–

• मालती के बचपन का मित्र

• मालती कथाकार की दूर के रिश्ते की बहन है किंतु कथाकार उसे सखी कहना ही उचित समझता है। क्योंकि कथाकार का मालती से परस्पर संबंध संख्य भाव का रहा है।

• मालती का दूर के रिश्ते का भाई

• एक अतिथि है

• कथाकार और मालती इकट्ठे खेले और इकट्ठे पढ़ाई की।

• कथाकार 4 वर्ष बाद मालती से मिलने आया है।

• कथाकार ने मालती से पति ( महेश्वर) को पहली बार देखा था, यद्यपि फोटो में उन्हें पहचानता था।

• कथाकार और महेश्वर के बीच इन विषयों पर बात हुई :- नौकरी,जीवन, स्थान तथा ऐसे अन्य विषयों पर बारे में।

• कथाकार मालती से मिलने के लिए पैदल गया और कथाकार का सामान कुली लेकर आ रहा था।

• कथाकार का सामान कुली शाम 6:00 बजे लेकर आया। ( इस समय महेश्वर भी अस्पताल से घर आ गया था।)

• कथाकार मालती से मिलने के लिए 18 मील (28 किलोमीटर लगभग) पैदल चलकर गये थे।

• कथाकार मालती से मिलने गया था तब पूर्णिमा थी उस समय आकाश अनम्र था।

• कथाकार का सबसे बड़ा सुख, सबसे बड़ी विजय :- हाजिरी हो चुकने के बाद छुपकर क्लास में से निकल भागना।

• स्कूल के कुछ दूरी पर आम के बगीचे में पेड़ों में चढ़कर आमियां तोड़ कर खाना। ( कभी आमियां तोड़ने के लिए मालती नहीं आ पाती तो कथाकार भी खिन्न – मन से लौट आया करता था।)

• कथाकार आकाश की ओर देखते हुए इन को देखा :-

1. सरकारी क्वार्टर की दिन में अत्यंत शुष्क और नीरस
लगने वाली स्लेट की छत भी चांदनी में चमक रही
है,अत्यंत शीतलता और स्निग्धता से छलक रही है,
मानो चंद्रिका उन पर से बहती हुई आ रही हो,झर
रही हो।

2. पवन में चीड़ के वृक्ष गरमी से के सूखकर मटमैले
हुए चीड़ के भी वृक्ष….. धीरे-धीरे गा रहे हो।

3. प्रकाश से धुधले नीले आकाश में तट पर जो चमगादड़
निरव उड़ान से चक्ककार रहे है वे भी सुंदर दीखते है।

4. दिन – भर की तपन,अशांति,थकान, दाह – पहाड़ों से में
भाप से उठकर वातावरण में खोए हुए जा रहे जिसे
ग्रहण करने के लिये पर्वत – शिक्षुओं ने अपनी चीड़
वृक्ष रुपी भुजाएं आकाश की ओर बढ़ रही है।

• चांदनी में शिक्षु के कैसा लगता है? (कथाकार टिटी को देखते हुए कहा है) वह एकाएक मानो किसी शैशवोचित वामता से उठा और खिसककर पलंग से नीचे गिर पड़ा और चिल्ला – चिल्लाकर रोने लगा।

• कथाकार ने उसे ”खट” शब्द को याद करके धीरे से करुणा – भरे स्वर में कहा ”चोट बहुत लग गयी बेचारे के।” (यहां ‘खट’ शब्द टिटी के पलंग कर गिर जाने की आवाज़, चोट टिटी के पलंग से नीचे गिर जाने के कारण लग गयी।)

★ महत्वपूर्ण कथन :-

• “दोपहर में उस सुने आंगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा, मानो उस समय किसी शाप की छाया मंडरा रही हो।” (कहानी की पहली पंक्ति)

• “अभी आए नहीं,दफ्तर में है।थोड़ी देर में आ जाएंगे। कोई डेढ़ – दो बजे आया करते हैं।” (मालती ने कथाकार से कहा)

• “मैं उसके जाते हुए, दुबले शरीर को देखकर सोचता रहा। यह क्या है……यह कैसी छाया सी इस घर पर छाई हुई है?” (यहां ‘मैं’ कथानक के लिए, ‘उसके’ मालती के लिए, यहां ‘छाया- सी’ मालती का दुबला शरीर।)

• “जान पड़ता है, तुम्हें मेरे आने से विशेष पर प्रसन्नता नहीं हुई।” (कथानक ने मालती से कहा)

• उसने एकाएक चौंककर कहा ‘हूं’? (यहां ‘उसने’ मालती के लिए, ‘हूं’ प्रश्न सूचक )

• “मुझे ऐसा जान पड़ता है मानो किसी जीवित प्राणी ने गले में किसी मृत जंतु का तौक डाल दिया गया हो। वह उसे उतारकर फेंकना चाहे,पर उतारना न पाए ….”(कथाकार का कथन)

• “तुम नहीं खाओगी ? या खा चुकी ?” (कथाकार ने मालती से पूछा)

• “आपको तो खाने का मजा क्या ही आएगा ऐसे बेवक्त खा रहे है ? ” (महेश्वर ने कथाकार से कहा)

• “वाह ! देर से खाने पर तो और भी अच्छा लगता है, भूख बढ़ी हुई होती है, पर शायद मालती बहिन को कष्ट होगा।” (कथाकार ने महेश्वर से कहा)

• “भाजी तो सारी मैं ही खा गया था वहां बचा कुछ होगा नहीं यो ही रौब तो ना जमाओ की बहुत था।” (कथाकार ने मालती से कहा)

• “मुझे ऐसा लग रहा था कि इस घर पर जो छाया घिरी हुई है, वह अज्ञात रहकर भी मानो मुझे भी वश में कर रही है,मैं भी वैसा ही नीरस निर्जीव – सा हो रहा हूं। ” (मालती के घर के बारे में कथाकार के विचार)

• “यहां आपके को केस अच्छे मिल जाते हैं ! आय के से नही डॉक्टरी के अभ्यास के लिए।” (कथाकार के महेश्वर से कहा)

• “हां केस बनाते देर क्या लगती है ! कांटा चुभा था, इस पर टांग काटनी पड़े, यह भी कोई डॉक्टरी है ?” (मालती का कथन)

• “मालती का जीवन अपने रोज़ की नियत गति से बाहर जा रहा था और एक चंद्रमा की चंद्रिका के लिए एक संसार के लिए रुकने को तैयार नहीं था।”( कथाकार का कथन )

• ” यह सब मानव एक ही क्षण में एक ही क्रिया की गति में हो गया।” (कथाकार का कथन)

• मां,युवती मां यह तुम्हारे हृदय को क्या हो गया है, जो तुम अपने एकमात्र बच्चे के गिरने पर ऐसी बात सकती हो और यह अभी, जब तुम्हारा सारा जीवन तुम्हारे आगे हैं।” [ यहां ‘मां और युवती मां’ मालती के लिए] (कथाकार ने विद्रोह स्वर मन के भीतर ही )

◆ जरा हट कर ◆

★ गैंग्रीन :-

• गैंग्रीन का अर्थ :- उतकों का सड़ जाना

• जब आपके शरीर के किसी भाग में कोई भी चोंट लग जाती है, और वह सही तरीके से ठीक नहीं होती तो कुछ दिन बाद वह सड़ने लगती है और एक नई समस्या लेकर उत्पन्न होती है जिसे गैंग्रीन नाम से जाना जाता है।

• यह रोग इतना घातक है कि यह आपके शरीर के हर सेल्स को प्रभावित कर सकता है ।

• और एक दिन आपकी मौत शरीर के सड़ने की वजह से हो सकती है | तो चलिए आज हम इसके कारण, लक्षण और इसके उपचार के बारे में जानते हैं | जिसे जान शायद आप इस भयंकर समस्या से राहत पा सकें |

● गैंग्रीन के प्रमुख कारण :-

• हड्डियों का टूट जाना, कोई चोंट या घाँव, आग या किसी अन्य वस्तुओं से जल जाने पर होने वाला घाँव, ज्यादा सर्दी लग जाना, पाला मारने के चलते, करंट का झटका इत्यादि। ( इस कहानी में गैग्रीन का प्रमुख कारण :- कांटा चुभ जाने के कारण)

● ऑपरेशन :-

• डॉक्टर खोए हुए ऊतकों को हटाने के लिए सर्जरी कर सकते हैं, ऐसा करने से गैंगरीन फैलने से रुक जाता है और क्षतिग्रस्त ऊतक ठीक होने लगते हैं। यदि संभव हो तो, डॉक्टर सर्जरी के दौरान क्षतिग्रस्त रक्त वाहिकाओं को ठीक करते हैं, जिससे प्रभावित क्षेत्र में रक्त के प्रवाह में सुधार होता है। कभी-कभी सभी हटाए गए ऊतकों को हटाने के लिए एक से अधिक बार सर्जरी करने की आवश्यकता हो सकती है।

• रोज़ कहानी में :- डॉ. महेश्वर ने एक व्यक्ति का गैग्रीन का ऑपरेशन किया ।गैग्रीन रोग से (ऊतकों को हटाने के लिए) बचाने के लिए डॉ. महेश्वर ने व्यक्ति की टांग काटी। और महेश्वर के अस्पताल में हर दूसरे – चौथे दिन गैग्रीन का केस आते है।

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6 comments

  1. Rajkumar Prajapat

    बहुत ही शानदार नोट्स।
    बहुत बहुत आभार sir

    सिर क्या कॉलेज व्याख्याता हिन्दी के नोट्स की pdf मिल सकती है।
    अगर उपलब्ध हो तो कृपया मेरे व्हाट्सएप न 9549339571 अथवा
    Mail id prajapatrajkumar094@gmail.com पर send करने का कष्ट करें।
    Please sir

  2. ममता स्वामी

    बहुत ही शानदार नोट्स कोटि कोटि धन्यवाद आपका

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