जगदीशचंद्र माथुर का जीवन परिचय(Jagdishchandra Mathura ka jeevan parichay)

🌺 जगदीशचंद्र माथुर का जीवन परिचय 🌺

 

◆ जन्म :- 16 जुलाई, 1917 में, उत्तर प्रदेश के बुलंदशह जिले के खुर्जा में

 

◆ मृत्यु :- 14 मई, 1978 ,पटना में

 

◆ प्रारंभिक शिक्षा :- खुर्जा में

 

◆ उच्च शिक्षा :- यूईंग क्रिश्चियन कॉलेज, इलाहाबाद और प्रयाग विश्वविद्यालय में

 

◆ 1939 ई. में प्रयाग विश्वविद्यालय से एम.ए. (अंग्रेज़ी) करने के बाद 1941 ई. में ‘इंडियन सिविल सर्विस’ में चुन लिए गए।

 

◆ जिन्होंने आकाशवाणी में काम करते हुए हिन्दी की लोकप्रियता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया।

 

◆ जगदीश चंद्र माथुर हिंदी के लेखक एवं नाटककार थे।

 

◆ आरम्भ से ही उनकी रूचि अभिनय की ओर थी।

 

◆ परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण के ऐतिहासिक समय में जगदीशचंद्र माथुर, आईसीएस, ऑल इंडिया रेडियो के डायरेक्टर जनरल थे।

 

◆ जगदीश चन्द्र माथुर ने ही ‘एआईआर’ का नामकरण आकाशवाणी किया था।

 

◆ इनके नाटकों में कौतूहल और स्वच्छंद प्रेमाकुलता है।

 

◆ इनके प्रमुख नाटक:-

● भोर का तारा (1946 ई.)

 

● कोणार्क(1953 ई.) प्रसिद्ध नाटक

 

● ओ मेरे सपने(1950 ई.)

 

● शारदीया (1959 ईं.)

 

● दस तस्वीरें (1962 ई.)

 

● परंपराशील नाट्य (1968 ई.)

 

● पहला राजा (1970 ई.)

 

● जिन्होंने जीना जाना (1972 ई.)

 

◆ कोणार्क नाटक में इतिहास, संस्कृति और समकालीनता मिलकर निरवधिकाल की धारणा और मानवीय सत्य की आस्था को परिपुष्ट करते हैं। ‘परंपराशील नाट्य’ महत्वपूर्ण समीक्षा-कृति है। इसमें लोक नाट्य की परंपरा और उसकी सामर्थ्य के विवेचन के अलावा नाटक की मूल दृष्टि को समझाने का प्रयास किया गया है।

 

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