💐 तमस उपन्यास 💐
◆ रचयिता :- भीष्म साहनी
◆ प्रकाशन :- 1973
◆ दो खण्डों में विभाजित
◆ यह उपन्यास विभाजन कालीन दंगों तथा उसके पीछे कार्य कर रही अंग्रेजों की नीति ‘फूट डालो और राज्य करो का पर्दाफाश करता है।
◆ केन्द्र स्थल :- तत्कालीन पंजाब के पश्चिमी भाग( मुसलमानों का बाहुल्य स्थल।)
◆ उपन्यास में सिर्फ पाँच दिन की घटनाओं को चित्रित किया गया है।
◆ उपन्यास का मुख्य उद्देश्य :- अंग्रेजों द्वारा सांप्रदायिक दंगे की भूमिका प्रस्तुत करना और दंगों के परिणामस्वरूप भीषण विनाश का दृश्य प्रस्तुत करना है ।
◆ भीष्म साहनी ने अपनी आत्मकथा ‘आज के अतीत’ में तमस उपन्यास के संबंध में यह कहा है :-
● मुझे ठीक से याद नहीं कि कब बम्बई के निकट, भिवंडी नगर में हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए। पर मुझे इतना याद है कि उन दंगों के बाद मैंने ‘तमस’ लिखना आरम्भ किया था।
● भिवंडी नगर बुनकरों का नगर था, शहर के अन्दर जगह-जगह खड्डियाँ लगी थीं, उनमें से अनेक बिजली से चलनेवाली खड्डियाँ थीं। पर घरों को आग की नज़र करने से खड्डियों का धातु बहुत कुछ पिघल गया था। गलियों में घूमते हुए लगता हम किसी प्राचीन नगर के खंडहरों में घूम रहे हों। पर गलियाँ लाँघते हुए, अपने क़दमों की आवाज़, अपनी पदचाप सुनते हुए लगने लगा, जैसे मैं यह आवाज़ पहले कहीं सुन चुका हूँ। चारों ओर छाई चुप्पी को भी ‘सुन’ चुका हूँ। अकुलाहट भरी इस नीरवता का अनुभव भी कर चुका हूँ। सूनी गलियाँ लाँघ चुका हूँ ।
● पर मैंने यह चुप्पी और इस वीरानी का ही अनुभव नहीं किया था। मैंने पेड़ों पर बैठे गिद्ध और चीलों को भी देखा था। आधे आकाश में फली आग की लपटों की लौ को भी देखा था, गलियों सड़कों पर भागते क़दमों और रोंगटे खड़े कर देनेवाली चिल्लाहटों को भी सुना था, और जगह-जगह से उठनेवाले धर्मान्य लोगों के नारे भी सुने थे, चीत्कार सुनी थी।
● कुछेक दिन तक बम्बई में रहने के बाद में दिल्ली लौट आया। आमतौर पर मैं शाम के वक्त लिखने बैठता था। मेरा मन शाम के वक़्त लिखने में लगता है। न जाने क्यों। पर उस दिन नाश्ता करने के बाद में सुबह-सवेरे ही मेज़ पर जा बैठा ।
● यह सचमुच अचानक ही हुआ, पर जब कलम उठाई और कागज़ सामने रखा तो ध्यान रावलपिंडी के दंगों की ओर चला गया। कांग्रेस का दफ़्तर आँखों के सामने आया। कांग्रेस के मेरे साथी एक के बाद एक योगी रामनाथ, बशीजी, बालीजी, हकीमजी, अब्दुल अजी …..मास्टर अर्जुनदास…. गया। उनके चेहरे आँखों के सामने घूमने लगे अज़ीज़, जरनैल डूबता चला
◆ इस उपन्यास में आजादी के ठीक पहले का पंजाब और सांप्रदायिकता भय के अंधेरे में डूबे वे चंद दिन, धार्मिक जड़ता को इस्तेमाल करती पूँजीपरस्त राजनीति और उससे रक्त-रंजित हजारों बेकसूर लोग, सूअर और गाय को बचा लेने का पुण्य और उसी के लिए होती हुई मनुष्य की हत्याएँ….इस दंगे-फसाद के पीछे खतरनाक मस्तिष्क ।
◆ मुरादअली के माध्यम से अंग्रेज डिप्टी कमिश्नर रिचर्ड नत्यू से सुअर मरवाकर मस्जिद की सीढ़ियों पर डलवा देता है । प्रतिक्रियास्वरूप मुसलमान गाय को काटकर धर्मशाला के सामने फेंक देते हैं। परिणाम स्वरूप सारे शहर और फिर उसके पश्चात् कस्बे और ग्रामों में भीषण साम्प्रदायिक दंगा फैल जाता है।
◆ डिप्टी कमिश्नर इसे रोकने का कोई प्रयास नहीं करता है। जब भीषण नर-संहार हो चुकता है, तभी शांति व्यवस्था का प्रयास किया जाता है। पुलिस की चौकियाँ बिठाई जाती हैं । अमन कमेटी की स्थापना कराई जाती है। सारी घटना पर अंत में उपन्यासकार यही निष्कर्ष निकालता है कि – “फिसाद कराने वाला भी अंग्रेज, फिसाद रोकने वाला भी अंग्रेज, भूखों मारने वाला भी अंग्रेज, रोटी देनेवाला भी अंग्रेज, घर से बेघर करने वाला भी अंग्रेज, घरों में बसाने वाला भी अंग्रेज।”
■ उपन्यास के पात्र :-
◆ नत्थू चमार(सूअर मारने वाला)
◆ मुरादअली(सुअर मारने के आदेश देने वाला )सालोतरी साहिब का नौकर
◆ सालोतरी साहिब(मुरादअली का साहब)
◆ रिचर्ड (पश्चिमी पंजाब जिले का डिप्टी कमिश्नर)
◆ लीजा【डिप्टी कमिश्नर रिचर्ड की पत्नी)】पुरातत्व, इतिहास और प्रकृति का प्रेमी
◆ जिला कांग्रेस कमेटी के सदस्य :-
●मेहता जी(अध्यक्ष) 【पद का दुरुपयोग बीमा एजेंट के रूप में】
● बख्शी जी(सचिव)
● अजीज
● कश्मीरीलाल
● गायक देसराज
● शंकर
● गायक मास्टर रामदास(वित्त का लेखा- जोखा)
● जनरैल(खुले व्यक्तित्व वाला इन्सान)
◆ लाल लक्ष्मीनारायण (रणवीर का पिता)
◆ देवव्रत(अखाड़े के संचालक एवं मास्टर के रूप में प्रसिद्ध )
◆ रणवीर(देवव्रत का बहुत करीबी शिष्य/ लाल लक्ष्मीनारायण का पुत्र)
◆ एहसान अली
◆ एहसान अली की पत्नी :- राजो
◆ एहसान अली का पुत्र :- रमजान अली
◆ एहसान अली की पुत्र वधु :- अकराँ
◆ हरनामसिंह
◆ हरनामसिंह की पत्नी :- बन्तो
◆ हरनामसिंह का पुत्र इकबालसिंह
(मुस्लिम बना दिया गया)
◆ हरनामसिंह की पुत्री :- जसबीर कौर ( कुआं में कुदने वाली पहली महिला)
◆ हरनामसिंह का मित्र:- करीमखान
◆ अल्लारखा( हिन्दू महिला से जबरदस्ती शादी करने वाला)
(1.) रिचर्ड का चरित्र-चित्रण:-
1. वह अपनी योजना से हिन्दू-मुसलमानों में धर्म के नाम पर भीषण साम्प्रदायिक दंगा करा देता है।
2. वह भारतीय इतिहास का मर्मज्ञ
3. भारतीय कला का पारखी
4. वह ब्रिटेश साम्राज्य का प्रतिनिधि
5. एक कौम को दूसरे कौम से अलग रखना
6. वह तो केवल निजी लाभ और निजी हित के बारे में ही सोचता है।
7. कुशल राजनीतिज्ञ
8. साम्प्रदायिक दंगे का सूत्रपात करने वाला
9. वह हवाई जहाज से शांति की घोषण कराता है।
10. लाशों को जलाने का प्रबंध करता है।
11. हेल्थ आफिसर को कुओं आदि की सफाई का आदेश देता है।
(2.) नत्थू का चरित्र-चित्रण :-
1. नत्थू चमार निर्दोष है उसे साम्प्रदायिक दंगा फैलाने का अस्त्र बनाया गया था। वह अनजाने में पाँच रुपये के लालच में मुरादअली के षड्यंत्र में फँस गया था।
2. भीषण अन्तर्द्वन्द्व से ग्रस्त
3. उसके हृदय का अन्तर्द्वन्द्व उसकी निर्दोषता सिद्ध करता है कथानक में उसकी स्थिति केन्द्रीय हो गयी है ।
(3.) मुरादअली का चरित्र-चित्रण :-
1. मुरादअली एक ऐसे वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है, जो देशद्रोह के कार्य करता है और देश में गुलामी की स्थिति कायम रखना चाहता है ।
2. मुरादअली का चरित्र एक देशद्रोही व्यक्ति का चरित्र है वह अंग्रेजों से मिलकर साम्प्रदायिक दंगा कराने में सहायक है ।
3. मुरादअली बड़ी मक्कारी से अपनी स्थिति सुदृढ़ करता है ।
4. भीषण साम्प्रदायिक दंगे का मुख्य कारण मुरादअली अंत में शांति स्थापना की मंडली के साथ में नारे लगाता हुआ देखा जाता है ।
(4.) जनरैल का चरित्र-चित्रण :-
1. एक आदर्श कार्यकर्ता के रूप में सामने आता है ।
2. वह कॉंग्रेस का झण्डा उठाकर प्रभात-फेरी में आगे आगे चलता है अमन की मुनादी भी करता है ।
3. एक राष्ट्रीय सेवक का चरित्र
4. इसकी स्थिति प्रारंभ से लेकर अंत तक बनी रहती है।
5. जनरैल ही एक ऐसा आदमी था, जो आंदोलन हो या न हो, जेल जाता रहता था।
6. जलसा शुरू होने पर सबसे पहले जनरैल की तकरीर होती थी।
7. जनरैल अपनी कर्तव्य परायणता में पीछे नहीं रहता ।
8. जनरैल को जेल में सदैव ‘सी क्लास की यातना मिलती ।
9. देश-भक्त
(4.) राजो का चरित्र-चित्रण :-
1. राजो ही एक ऐसी नारी है जो मुसलमान होते हुए भी एक हिन्दू परिवार को शरण देती है।
2. उसकी रक्षा करती है वह उसे गाँव की सीमा के बाहर तक सुरक्षित पहुँचा भी आती है।
3. वह हरनामसिंह की कृपाण लौटा देती है और उसके मंगल की कामना करती है ।
4. कोमल हृदय की नारी
5. एक आदर्श नारी का रूप है, वह अपने पति पुत्र से हरनामसिंह और उनकी पत्नी बन्तो की रक्षा करती है ।
6. यह उपन्यास की सर्वाधिक संवेदनशील और आदर्श पूर्ण चरित्र वाली नारी।
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