💐दुनिया का सबसे अनमोल रत्न 💐
【मुंशी प्रेमचंद】
◆ प्रकाशन :- 1907,जमाना पत्रिका में प्रकाशित
◆ ‘सोजे वतन’ कहानी संग्रह से
◆ पात्र :-
● दिलफ़िगार
● दिलफ़रेब
● काला चोर
● एक बुजुर्ग व्यक्ति
◆ कहानी का नायक :- दिलफ़िगार
• * दिलफ़िगार( फ़ारसी भाषा का शब्द) का अर्थ :- आशिक़,घायल दिल वाला, नायक
◆ कहानी की नायिका :- दिलफ़रेब
• * दिलफ़रेब( फ़ारसी भाषा का शब्द) का अर्थ :- प्रेमी,दिल को धोका देने वाला, दिल को रिझाने वाला, सुंदर (नायिका)
◆ दिलफ़िगार एक कँटीले पेड़ के नीचे दामन चाक किये बैठा हुआ खून के आँसू बहा रहा था।
【दामन चाक(फारसी भाषा का शब्द)का अर्थ :- प्यार में पागल होना】
* दिलफ़िगार कँटीले पेड़ के नीचे :- दिलफ़रेब के फैसला सुनाये जाने बाद तीन-दिन से बैठा है।
◆ दिलफ़िगार सौन्दर्य की देवी यानी मलका दिलफ़रेब का सच्चा और जान देने वाला प्रेमी था।
◆ सौन्दर्य की देवी यानी मलका:- दिलफ़रेब
◆ दिलफ़रेब का प्रेमी :- दिलफ़िगार
◆ यह प्रेमी उन सीधे-सादे भोले-भाले फ़िदाइयों में जो जंगल और पहाड़ों से सर टकराते हैं और फ़रियाद मचाते फिरते हैं।
* फ़िदाइयों (अरबी भाषा का शब्द) का अर्थ :- आशिकों
* फ़रियाद (उर्दू भाषा का शब्द) का अर्थ :- शिकायत
◆ दिलफ़रेब ने दिलफ़िगार से कहा था कि अगर तू मेरा सच्चा प्रेमी है, तो जा और दुनिया की सबसे अनमोल चीज़ लेकर मेरे दरबार में आ तब मैं तुझे अपनी गुलामी में क़बूल करूँगी। अगर तुझे वह चीज़ न मिले तो ख़बरदार इधर रुख न करना, वर्ना सूली पर खिंचवा दूँगी ।
◆ दिलफ़रेब ने फ़ैसला सुनाया, उसके चोबदारों ने ग़रीब दिलफ़िगार को धक्के देकर बाहर निकाल दिया।
* चोबदार( फ़ारसी भाषा का शब्द) का अर्थ :- वह दरबान या नौकर जिसके हाथ में चोब (मोटा डंडा) रहता हो, द्वारपाल, दरबान, प्रतिहारी
फैसला :- दिलफ़िगार को दुनिया की सबसे अनमोल चीज़ लेकर आने को कहा।
◆ दुनिया की सबसे अनमोल चीज़ मुझको मिलेगी? (दिलफ़रेब सोच रहा है)
ख़जाना,आबे हयात, खुसरो का ताज , जामे- जम, तख्तेताऊस, परवेज़ की दौलत?
◆ जिस प्रकार मुनीर शामी को हातिम – सा मददगार मिल गया। मेरा कोई भी मददगार हो जाता।
◆ वह चीज़ हाथ न आती मगर मुझे इतना तो मालूम हो जाता कि वह किस क़िस्म की चीज़ है। मैं घड़े बराबर मोती की खोज में जा सकता हूँ। मैं समुन्दर का गीत, पत्थर का दिल, मौत की आवाज़ और इनसे भी ज्यादा बेनिशान चीज़ों की तलाश में कमर कस सकता हूँ। मगर दुनिया की सबसे अनमोल चीज़ ! यह मेरी कल्पना की उड़ान से बहुत ऊपर है।
◆ जहाँ हजारों आदमी गोल बाँधे खड़े थे। बीच में कई अमामे और चोग़ वाले दढिय़ल क़ाजी अफ़सरी शान से बैठे हुए आपस में कुछ सलाह-मशविरा कर रहे थे और इस जमात से ज़रा दूर पर एक सूली खड़ी थी।
◆ दिलफ़िगार देखता है, कि कई लोग नंगी तलवारें लिये, एक क़ैदी को जिसके हाथ-पैर में ज़ंजीरें थीं, पकड़े चले आ रहे हैं। सूली के पास पहुँचकर सब सिपाही रुक गये और क़ैदी की हथकडियाँ, बेडियाँ सब उतार ली गयीं। इस अभागे आदमी का दामन सैकड़ों बेगुनाहों के खून के छींटों से रंगीन था, और उसका दिल नेकी के ख़याल और रहम की आवाज़ से ज़रा भी परिचित न था। उसे काला चोर कहते थे ।
● सिपाहियों ने उसे सूली के तख़्ते पर खड़ा कर दिया, मौत की फाँसी उसकी गर्दन में डाल दी और जल्लादों ने तख़्ता खींचने का इरादा किया कि वह अभागा मुजरिम चीखकर बोला- खुदा के वास्ते मुझे एक पल के लिए फाँसी से उतार दो ताकि अपने दिल की आख़िरी आरजू निकाल लूँ।
◆ क़ाजियों ने एक मरने वाले आदमी की अंतिम याचना को रद्द करना उचित न समझा और बदनसीब पापी काला चोर ज़रा देर के लिए फाँसी से उतार लिया गया।
◆ भीड़ में एक खूबसूरत भोला-भोला लड़का एक छड़ी पर सवार होकर अपने पैरों पर उछल-उछल फर्जी घोड़ा दौड़ा रहा था, और अपनी सादगी की दुनिया में ऐसा मगन था कि जैसे वह इस वक्त सचमुच किसी अरबी घोड़े का शहसवार है।
◆ भोला लड़का का चेहरा उस सच्ची खुशी से कमल की तरह खिला हुआ था जो चन्द दिनों के लिए बचपन ही में हासिल होती है और जिसकी याद हमको मरते दम तक नहीं भूलती। उसका दिल अभी तक पाप की गर्द और धूल से अछूता था और मासूमियत उसे अपनी गोद में खिला रही थी।
◆ बदनसीब( अभाग्य) काला चोर फाँसी से उतरा।
◆ काला चोर उस लड़के के पास आया और उसे गोद में उठाकर प्यार करने लगा।
◆ उसे इस वक्त वह ज़माना याद आया जब वह खुद ऐसा ही भोला-भाला, ऐसा ही खुश-व- खुर्रम और दुनिया की गन्दगियों से ऐसा ही पाक साफ़ था। माँ गोदियों में खिलाती थी, बाप बलाएँ लेता था और सारा कुनबा जान न्योछावर करता था। आह!
◆ काले चोर के दिल पर बचपन के बीते हुए दिनों की याद का इतना असर हुआ कि उसकी आँखों से, जिन्होंने दम तोड़ती हुई लाशों को तड़पते देखा और न झपकीं, आँसू का एक क़तरा टपक पड़ा।
◆ दिलफ़िगार ने लपककर उस अनमोल मोती को हाथ में ले लिया और उसके दिल ने कहा- बेशक यह दुनिया की सबसे अनमोल चीज़ है जिस पर तख़्ते ताऊस और जामेजम और आबे हयात और ज़रे परवेज़ सब न्योछावर हैं।
◆ दिलफ़रेब के शहर कौनसा था :-मीनोसवाद
◆ दिलफ़िगार अपनी माशूक़ा दिलफ़रेब के शहर मीनोसवाद को चला।
* माशूक़ा(अरबी भाषा का शब्द) का अर्थ :- प्रेमी
◆ दिलफ़िगार पहाड़ और दरिया तय करते शहर मीनोसवाद में आ पहुँचा और दिलफ़रेब की ड्योढ़ी पर जाकर विनती की कि थकान से टूटा हुआ दिलफ़िगार खुदा के फ़ज़ल से हुक्म की तामील करके आया है, और आपके क़दम चूमना चाहता है।
* फ़ज़ल(अरबी भाषा का शब्द) का अर्थ :-कृपा,अनुग्रह
◆ दिलफ़रेब ने फ़ौरन अपने सामने बुला भेजा और एक सुनहरे परदे की ओट से फ़रमाइश की कि वह अनमोल चीज़ पेश करो।
◆ दिलफ़िगार ने आशा और भय की एक विचित्र मनःस्थिति में वह बूँद पेश की और उसकी सारी कैफियत बहुत पुरअसर लफ्ज़ों में बयान की। दिलफ़रेब ने पूरी कहानी बहुत ग़ौर से सुनी और वह भेंट हाथ में लेकर ज़रा देर तक गौर करने के बाद बोली-दिलफ़िगार, बेशक तूने दुनिया की एक बेशक़ीमत चीज़ ढूँढ़ निकाली, तेरी हिम्मत और तेरी सूझबूझ की दाद देती हूँ!
◆ यह दुनिया की सबसे बेशक़ीमत चीज़ नहीं, इसलिए तू यहाँ से जा और फिर कोशिश कर, शायद अब की तेरे हाथ वह मोती लगे और तेरी क़िस्मत में मेरी गुलामी लिखी हो।
◆ दिलफ़रेब ने पहले ही बतला दिया था मैं तुझे फाँसी पर चढ़वा सकती हूँ मगर मैं तेरी जाँबख्शी करती हूँ इसलिए कि तुझमें वह गुण मौजूद हैं, जो मैं अपने प्रेमी में देखना चाहती हूँ और मुझे यक़ीन है कि तू जरूर कभी-न-कभी कामयाब होगा।
* जाँबख्शी(अरबी भाषा का शब्द) का अर्थ :- प्राणदान
◆ नाकाम और नामुराद दिलफ़िगार इस माशूकाना इनायत से ज़रा दिलेर होकर बोला- ऐ दिल की रानी, बड़ी मुद्दत के बाद तेरी ड्योढ़ी पर सजदा करना नसीब होता है। फिर खुदा जाने ऐसे दिन कब आएँगे, क्या तू अपने जान देने वा आशिक़ के बुरे हाल पर तरस न खाएगी और क्या अपने रूप की एक झलक दिखाकर इस जलते हुए दिलफ़िगार को आने वाली सख़्तियों के झेलने की ताक़त न देगी ? तेरी एक मस्त निगाह के नशे से चूर होकर मैं वह कर सकता हूँ जो आज तक किसी से न बन पड़ा हो।
* माशूकाना का अर्थ :- सुन्दरी स्त्रियाँ या प्रेयसियों की तरह का
* इनायत( अरबी भाषा का शब्द) का अर्थ :- कृपा
◆ दिलफ़िगार अपनी निष्ठुर प्रेमिका की इस कठोरता पर आँसू बहाता रहा, और सोचने लगा कि कहाँ जाऊँ। मुद्दतों रास्ते नापने और जंगलों में भटकने के बाद आँसू की यह बूँद मिली थी।
* आबदार मोती :- चमकीला मोती
◆ सिकन्दर को आबेहयात के कुएँ का रास्ता किसने दिखाया था?:- हज़रते खिज्र
◆ सिकन्दर सारी दुनिया का मालिक था।
◆ कौन बेघरबार मुसाफ़िर है? :- दिलफ़िगार
◆ दिलफ़िगार के अनुसार खुदा के एक ख़ास दरबारी कौन है? :- आलीमुक़ाम जिबरील
◆ दिलफ़िगार ने पूरब से पच्छिम तक और उत्तर से दक्खिन तक कितने ही जंगलों और वीरानों की खाक छानी, कभी बर्फ़िस्तानी चोटियों पर सोया, कभी डरावनी घाटियों में भटकता फिरा मगर जिस चीज़ की धुन थी वह न मिली, यहाँ तक कि उसका शरीर हड्डियों का एक ढाँचा रह गया।
* खस्ताहाल :- दुर्दशाग्रस्त
◆ चन्दन की एक चिता बनी हुई है और उस पर एक युवती सुहाग के जोड़े पहने सोलहों सिंगार किये बैठी हुई है। प्रेमिका ने अपने को प्रेमी पर न्योछावर कर दिया और दो प्रेमियों के सच्चे, पवित्र, अमर प्रेम की अन्तिम लीला आँख से ओझल हो गयी।
◆ दिलफ़िगार चुपके से उठा और यह राख का ढेर समेट लिया और इस मुट्ठी भर राख को दुनिया की सबसे अनमोल चीज़ समझता हुआ।
◆ दिलफ़रेब ने जाँबाज़ आशिक़ को फ़ौरन दरबार में बुलाया और उस चीज के लिए, जो दुनिया की सबसे बेशक़ीमत चीज़ थी, हाथ फैला दिया।
◆ दिलफ़िगार ने हिम्मत करके उसकी चाँदी जैसी कलाई को चूम लिया और मुठ्ठी भर राख को उसकी हथेली में रखकर सारी कैफियत दिल को पिघला देने वाले लफ़्जों में कह सुनायी और सुन्दर प्रेमिका के होठों से अपनी क़िस्मत का मुबारक फ़ैसला सुनने के लिए इन्तज़ार करने लगा।
◆ दिलफ़रेब ने उस मुट्ठी भर राख को आँखों से लगा लिया और कुछ देर तक विचारों के सागर में डूबे रहने के बाद बोली- ऐ जान निछावर करने वाले आशिक़ दिलफ़िगार! बेशक यह राख जो तू लाया है, जिसमें लोहे को सोना कर देने की सिफ़त है, दुनिया की बहुत बेशक़ीमत चीज़ है और मैं सच्चे दिल से तेरी एहसानमन्द हूँ कि तूने ऐसी अनमोल भेंट मुझे दी।
◆ मगर दुनिया में इससे भी ज्यादा अनमोल कोई चीज़ है, जा उसे तलाश कर और तब मेरे पास आ।
* हियाव का अर्थ:-साहस
◆ हरे-हरे कपड़े पहने हुए और हरा अमामा बाँधे एक बुजुर्ग (हज़रते ख़िज्र) एक हाथ में तसबीह और दूसरे हाथ में लाठी लिये बरामद हुए और हिम्मत बढ़ाने वाले स्वर में बोले- दिलफ़िगार, नादान दिलफ़िगार, यह क्या बुज़दिलों जैसी हरकत है! तू मुहब्बत का दावा करता है और तुझे इतनी भी खबर नहीं कि मजबूत इरादा मुहब्बत के रास्ते की पहली मंज़िल है? मर्द बन और यों हिम्मत न हार। पूरब की तरफ़ एक देश है जिसका नाम हिन्दोस्तान है, वहाँ जा और तेरी आरजू पूरी होगी।
* तसबीह (उर्दू भाषा का शब्द)का अर्थ :- ख़ुदा का नाम जपने की माला
◆ दिलफ़िगार हिन्द की पाक सरज़मीन में दाखिल हुआ और एक ठण्डे पानी के सोते में सफ़र की तकलीफें धोकर थकान के मारे नदी के किनारे लेट गया।
◆ वह एक चटियल मैदान में पहुँचा जहाँ बेशुमार अधमरी और बेजान लाशें बिना कफ़न के पड़ी हुई थीं। चील-कौए और वहशी दरिन्दे मरे पड़े हुए थे और सारा मैदान खून से लाल हो रहा था।
◆ दिलफ़िगार उस तरफ़ फिरा तो देखा कि एक लम्बा-तड़ंगा आदमी, जिसका मर्दाना चेहरा जान निकालने की कमज़ोरी से पीला हो गया है. ज़मीन पर सर झुकाये पड़ा हुआ है। सीने से खून का फौव्वारा जारी है, मगर आबदार तलवार की मूठ पंजे से अलग नहीं हुई।
◆ दिल फ़िगार ने एक चीथड़ा लेकर घाव के मुँह पर रख दिया ताकि खून रुक जाए और बोला- ऐ जवाँमर्द, तू कौन है ? जवाँमर्द ने यह सुनकर आँखें खोलीं और वीरों की तरह बोला- क्या तू नहीं जानता मैं कौन हूँ, क्या तूने आज इस तलवार की काट नहीं देखी? मैं अपनी माँ का बेटा और भारत का सपूत हूँ।
◆ दिलफ़िगार ने समझा अब काम तमाम हो गया कि मरने वाले ने धीमे से कहा-भारतमाता की जय ! और उसके सीने से खून का आख़िरी क़तरा निकल पड़ा।
◆ एक सच्चे देशप्रेमी और देशभक्त ने देशभक्ति का हक़ अदा कर दिया।
◆ दिलफ़िगार पर इस दृश्य का बहुत गहरा असर पड़ा और उसके दिल ने कहा, बेशक दुनिया में खून के इस कतरे ज्यादा अनमोल चीज कोई नहीं हो सकती। उसने फ़ौरन उस खून की बूँद को जिसके आगे यमन का लाल भी हेच (तुच्छ) है, हाथ में ले लिया।
◆ दिलफ़िगार ने मेंहदी रची हथेलियों को चूमते हुए खून का वह कतरा उस पर रख दिया और उसकी पूरी कैफ़ियत पुरजोश लहजे में कह सुनायी।
◆ दिलफ़रेब खड़ी हो गयी और हाथ जोड़कर दिलफ़िगार से बोली- ऐ जाँनिसार आशिक़ दिलफ़िगार ! मेरी दुआएँ बर आयीं और खुदा ने मेरी सुन ली और तुझे कामयाब व सुर्ख़रू किया। आज से तू मेरा मालिक है और मैं तेरी लौंडी!
◆ यह कहकर उसने एक रत्नजटित मंजूषा मँगायी और उसमें से एक तख्ती निकाली जिस पर सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ था-
“खून का वह आख़िरी क़तरा जो वतन की हिफ़ाजत में गिरे दुनिया की सबसे अनमोल चीज़ है।”
चन्द्रदेव से मेरी बाते
दुलाई वाली
एक टोकरी भर मिट्टी
राही
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