?नागमती का वियोग वर्णन के सम्बन्ध में रामचंद्र शुक्ल के कथन?
◆ “नागमती का विरह वर्णन हिन्दी साहित्य में एक अद्वितीय वस्तु है।”
◆ “अपनी भावुकता का बड़ा भारी परिचय जायसी ने इस बात में दिया है कि रानी नागमती विरहदशा में अपना रानीपन बिल्कुल भूल जाती है और अपने को केवल साधारण नारी के रूप में देखती हैं। इसी सामान्य स्वाभाविक वृत्ति के बल पर उसके विरह वाक्य छोटे-बड़े सबके हृदय को समान रूप में स्पर्श करते हैं।”
◆ “जायसी ने स्त्री जाति की यो कम से कम – हिन्दू गृहिणी मात्र की सामान्य स्थिति के भीतर विप्रलंभ शृंगार के अत्यंत समुज्जवल रूप का विकास दिखाया है। यह आशिक- माशूकों का निर्लज्ज प्रलाप नहीं है, यह हिन्दू गृहिणी की विरहवाणी है। इसका सात्विक मर्यादापूर्ण माधुर्य परम मनोहर है।”