निबंध(nibandh) का अर्थ, परिभाषा,विशेषताएं

• आधुनिक युग में निबंध शब्द का प्रयोग :- अंग्रेजी के Essay शब्द के लिए प्रयुक्त है जो मूलतः फ्रेंच शब्द है जिसका अर्थ होता है रचनात्मक प्रयास या प्रयत्न।

• अंग्रेजी के एसे (Essay) शब्द का पर्याय है। एसे शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के फ्रांसीसी शब्द के एसेइस(Essais) के अनुकरण पर हुआ है। जिसका अर्थ:- प्रयास, प्रयत्न या परीक्षण ।

• हिंदी का तत्सम शब्द है :- निबंध

• संस्कृत के मूल धातु ‘बंध’ में ‘नि’ उपसर्ग (नि+बंध)

• वाचस्पति के अनुसार :- नि+बंध+ धञ् से जिसका अर्थ बाँधना, रोकना या संग्रह करना।

• पाश्चात्य शास्त्र में निबंध शब्द का अर्थ :- अंग्रेजी के Essay शब्द से

• संस्कृत में निबंध शब्द का प्रयोग सूक्ष्म दार्शनिक विश्लेषण के अर्थ में किया जाता था।

• निबंध का अर्थ:- गठा हुआ,कसा हुआ और बँधा हुआ।

• निबध्नातीति निबंध(जो बाँधता है ,वही निबंध है)-कल्पद्रुम में कहा गया है।

• निबंध:- बंधन,वह आख्या जिसमें अनेक मतों का संग्रह हो।

• निबंध वस्तुनिष्ठ नही होता है,आत्मनिष्ठ होता है।

• निबंध में व्यक्तित्व अर्थात् व्यक्तिगत विशेषता अनिवार्य है।

• संवत् 1810 में एसेइस नाम मोटेन ने संग्रह निकाला।

• एसेइस का साहित्यिक अर्थ में सबसे पहले प्रयोग मोटेन ने किया था।

• यूरोप में निबंध साहित्य का जनक और आधुनिक निबंध का जन्मदाता :- फ्रेंच विद्वान मोन्टन

• मोटेन का कथन – “अपने निबंधों में मैं स्वयं अपने को चित्रित करता हूं और पुस्तक का मैं खुद ही विषय हूं।”

• ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी कोश में निबंध शब्द का अर्थ :- संक्षिप्त आकार की रचनाएं।

• अंग्रेजी में निबंध के जन्मदाता बेकन ने निबंध को ‘विकीर्ण चिंतन’ कहा है।

• “आधुनिक पाश्चात्य लक्षणों के अनुसार निबंध उसी को कहना चाहिए, जिसमें व्यक्तित्व तथा व्यक्तिगत विशेषता हो।”- (आचार्य राम शुक्ल के अनुसार)

• “गद्य कवियों की कसौटी है ,निबंध कसौटी एक गद्यकार की।” (आचार्य रामचंद्र शुक्ल)

• “निबंध उस गद्य रचना को कहते हैं, जिसमें एक सीमित आकार के भीतर किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, स्वच्छन्दता सौष्ठव और संजीवता तथा आवश्यक संगति और संबद्धता के साथ किया गया हो।”( गुलाब राय के अनुसार)

• “सच्चा निबंध रहस्यालाप या प्रेम में किए हुए संलाप के समान होता है और सही मानी में जो निबंधकार होते हैं, पाठकों से उनकी हित वार्ता चतुराई से भरी तथा प्रभावोत्पादक होती है।”(जे.बी. प्रीस्टले के अनुसार)

• काव्य,नाटक, कथा आख्यायिका आदि तो हिंदी को विरासत में संस्कृत से मिल गए, किंतु निबंध पूर्णतया हिंदी की स्वार्जित संपत्ति है। यह सर्वथा खड़ी बोली गद्य की देन है।

• निबंध की विशेषताएं:-

1. निबंध लघु आकार की ऐसी रचना होती है जिसे सरलता से पढ़ा और समझा जा सके।

2. निबंध में सामान्य बातों को हल्के – फुल्के एवं रोचक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है।

3. निबंध में किसी एक विषय पर विचार या अनुभूति का वर्णन होता है।

4. निबंध में सर्वत्र एकात्मता तथा अन्वित पाई जाती है ।

5. निबंध में कलात्मक स्पर्श भी होती है।

6. निबंध में लेखक को अपनी बात कहने का पूरा अवसर मिलता है।

7. निबंध में लेखक को अपनी बात कहने का पूरा अवसर मिलता है।

8. निबंध व्यक्ति की चेतना का प्रतीक है, इसलिए उसका मूल आत्म – प्रकाशन है।

9. निबंध का आकार संक्षिप्त या सीमित होता है।

10. निबंध के न तो विषय सीमित होते हैं ना उसकी बंधी बंधाई एक शैली है।

11. निबंध एक सीमित गद्य रचना है जिसमें कार्य कारण की श्रृंखला के साथ विचार होते हैं।

12. निबंध कलात्मक अभिव्यक्ति है, सृष्टि है।

13. निबंध रचनात्मक साहित्य है।

14. निबंध आत्म प्रकाशन के प्रयास है।

15. निबंध की नीव आत्म प्रकाशन की प्रवृत्ति पर पड़ती है।

16. निबंध के मान की उच्चता व्यक्तित्व की उदारता पर निर्भर करती है। व्यक्तित्व जितना ही उदार होगा,निबंध उतना ही श्रेयस्कर होगा।

 

• निबंध के तत्व:-

1. वैयक्तिकता

2. पूर्ण रचना

3. कर्मबद्धता

4. संवेदनशीलता

5. सरस एवं संजीव भाषा शैली

 

• निबंध अभिव्यक्ति या शैली के आधार पर निबंध के चार भेद है :-

1. वर्णनात्मक निबंध:- काल की प्रधानता, वर्णन की प्रधानता ।
• शैली :- व्यास शैली
• पं. रामसिंह शर्मा और सियाराम गुप्त सर्वश्रेष्ट निबंधकार

 

2. विवरणात्मक निबंध:- देश की प्रधानता
• शैली :- व्यास शैली
• आ. हजारी प्रसाद द्विवेदी का निबंध:-अशोक के फूल
• विद्यानिलवास मिश्र का निबंध :- चितवन की छांह

3. विचारात्मक निबंध:- आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंध
• शैली :- व्यास शैली और समास शैली

4. भावात्मक निबंध:-
• राय कृष्णदास,माखनलाल चतुर्वेदी,वियोग हरि तथा सरदार पूर्ण सिंह के निबंध आते हैं ।
• शैली :- तरंग शैली,धारा शैली और विक्षेप शैली।

• निबंध की शैलियाँ :-

1. व्यास शैली:-
• महावीर प्रसाद द्विवेदी, डॉ श्याम सुंदर दास,डॉ. हजार प्रसाद द्विवेदी और कुबेरनाथ राय ।

2 . समासशैली:-
• शुक्ला जी के निबंध:- लज्जा, ग्लानि – उत्साह व लोभ – प्रति।

3. तरंग शैली :- धारा शैली एवं विक्षेप शैली के बीच
की शैली।
• माखन लाल चतुर्वेदी के निबंध :- साहित्य देवता,युग और काला , रंग की बोली

4. धारा शैली:-
• सरदार पूर्ण सिंह के निबंध :- मजदूर और प्रेम, सच्ची वीरता,आचरण की सभ्यता

5. विक्षेप शैली एवं प्रलाप शैली :-
• कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का निबंध:–भूले हुए चेहरे

👉 पढ़ना जारी रखने के लिए यहाँ क्लिक करे।

👉 Pdf नोट्स लेने के लिए टेलीग्राम ज्वांइन कीजिए।

👉 प्रतिदिन Quiz के लिए Facebook ज्वांइन कीजिए।

2 comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

error: Content is protected !!