नीलाभ अश्क का जीवन परिचय(Neelabh Ashk ka jeevan parichay)

🌺नीलाभ अश्क का जीवन परिचय🌺

 

◆ जन्म 16 अगस्त 1945 ,मुम्बई

 

◆ निधन 23 जुलाई, 2016, दिल्ली के बुराड़ी स्थित घर पर

 

◆ पिता का नाम :- उपेन्द्रनाथ अश्क

 

◆ इन्होने इलाहबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल कर के साहित्य के क्षेत्र मे ख्याति प्राप्त की

 

◆ लंदन में 4 साल तक बीबीसी मे प्रोड्यूसर रहने के बाद 1984 में भारत आए और तब से स्वतंत्र लेखन करने लगे।

 

◆ उन्होंने एक कवि, लेखक और अनुवादक के रूप में काम करना जारी रखा अपने प्रकाशन घर का काम भी संभाला जिसका नाम”नीलभ प्रकाशन” था।

 

◆ उन्होंने लंदन में अपने अनुभवों पर 24 कविताओं का संग्रह लंदन डायरी सीरीज़ प्रकाशित किया।

◆ इन्होंने विलियम शेक्सपीयर और ब्टर्टोल्ट ब्रेश्ट जैसे प्रसिद्ध नाटककारो की रचना का बेहतरीन हिन्दी अनुवादन के लिये जाना जाता है

 

◆ अश्क ने भारतीय कवि, जैसे जीवानंद दास और सुकान्त भट्टाचार्य, और विदेशी कवि जैसे नाज़िम हिक़मत अर्नेस्टोकार्डेनल, पाब्लो नेरूदा, निकानोर पैरा, और एजरा पाउंड के साहित्य का अनुवाद किया हैं ।

 

◆ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने उन्हें एक “क्रांतिकारी कवि” बताया।

 

◆ उन्होंने एक ब्लॉग “नीलाभ का मोर्चा” भी बनाया।

 

◆ उन्होंने टेलीविजन, रेडियो और नाटकों के लिए कथानक भी लिखा हैं।

 

रचनाओं :-

◆ कविता-संग्रह-

 

* संस्मरणारम्भ(पहला कविता संग्रह, 1970)

 

* अपने आप से लम्बी बातचीत

 

* जंगल ख़ामोश है

 

* उत्तराधिकार

 

* चीज़ें उपस्थित हैं

 

* शब्दों से नाता अटूट हैं

 

* शोक का सुख

 

* ख़तरा अगले मोड़ की उस तरफ़ हैं

 

* ईश्वर को मोक्ष

 

* जहाँ मैं साँस ले रहा हूँ अभी

 

◆ काव्य समग्र-

* कुल ज़मा (तीन खण्डों में) – 2012 (शब्द प्रकाशन, लूकरगंज, इलाहाबाद से प्रकाशित)

 

उपन्यास :- हिचकी

साहित्येतिहास-

* हिन्दी साहित्य का मौखिक इतिहास (चार खण्डों में; महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा द्वारा प्रकाशित)

 

आलोचना:-

* प्रतिमानों की पुरोहिती

 

* पूरा घर है कविता

 

संस्मरण :- ज्ञानरंजन के बहाने

 

अनुवाद-

 

* पगला राजा (शेक्सपियर कृत किंग लीयर)

 

* हिम्मत माई (ब्रेख्त कृत ‘मदर करेज एंड हर चिल्ड्रन’)

 

* मि० बिस्वास का मकान (वी एस नायपाल कृत)

 

* इज्जत के नाम पर (मुख्तारन माई की आपबीती)

 

* हमारे युग का एक नायक (मिखाइल लर्मोन्टोव कृत ‘ए हीरो ऑफ आवर टाइम’)

 

* मामूली चीज़ों का देवता (अरुंधति राय कृत ‘द गॉड ऑफ स्माल थिंग्स’)

 

* फ़्लोरेन्स की जादूगरनी (सलमान रुश्दी कृत ‘द एन्चान्ट्रेस ऑफ फ्लोरेंस’)

 

संपादित :-

● नटरंग पत्रिका

● रंग-प्रसंग पत्रिका

 

 

👉 पढ़ना जारी रखने के लिए यहाँ क्लिक करे।

👉 Pdf नोट्स लेने के लिए टेलीग्राम ज्वांइन कीजिए।

👉 प्रतिदिन Quiz के लिए Facebook ज्वांइन कीजिए।

◆ पुस्कार :-

◆ साहित्य अकादमी हिन्दी अनुवाद पुरस्कार – 2008
★ अरुंधती राय के बुकर पुरस्कार विजेता उपन्यास द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स का हिंदी में ममूली चीजों का देवता अनुवाद पर।

◆ प्रमुख पंक्तियां :-

1.आख़िर मिट्टी में मिल जाना है
पत्ती, बूटा, फ़सल, पेड़ बन
फिर से हमको आना है
ये जो लहू बहाते जाते, नफ़रत की लपटें सुलगाते,
इतना कभी समझ न पाते,
दूर नहीं दिन जब इनको
यह काला क़र्ज़ चुकाना है

2. कितनी नफ़रत है मुझे इन टोह-लेती उँगलियों से
जो मेरे दिमाग़ के अंदर बुने जा रहे महीन रेशों में
धँसती चली जाती है। उन्हें उलझाती और बिखराती हुईं।

3. कुछ सपने कभी पूरे नहीं होते
आते हैं वे हमारी नींद में
पूरे न होने की अपनी नियति से बँधे
इस सच्चाई को हम जीवन भर नहीं जान पाते
नहीं जान पाते अपनी असमर्थता,
अपनी विवशताएँ, अपना निष्फल दुस्साहस
सपने जानते हैं इसे
आते हैं इसीलिए वे
ठीक हमारे जग पड़ने से पहले

4. अचानक झटके से टूटती है नींद
जैसे टूटता है काँच का गिलास
फ़र्श पर गिर कर
उठ कर बैठते-बैठते भी
गूँज बाक़ी होती है चीख़ की कानों में

5. तेरा नालायक़ बेटा हूँ
मेरे पिछले जनम की लायक़ बेटी
जाने कितनी बार तेरे कठोर आग्रहों से तंग आकर
मैं तुझे छोड़-छोड़कर भागता रहा हूँ
लेकिन कामदेव और उसके शिकारी कुत्तों के साथ
आखेट की सनसनी भी नहीं मुक़ाबला कर सकी
तेरे
निश्चल
एकांत का
जिसमें ध्वनित होता है सारा जगत
इसीलिए लौटा हूँ बार-बार वारुणी की विस्मृति से रमण के मरण से
श्लथ होकर
सुबह-शाम की नीरस निरानंद आपाधापी से
तेरे पास
रिक्त हस्त लेकिन भरे हुए हृदय के साथ
अब तू मुझे अपनी शरण ले ले
जैसा करती हैं बेटियाँ
और माँएँ भी! (सरस्वती)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

error: Content is protected !!