पाश कवि का जीवन परिचय (pash kavi ka jeevan parichay)

       💐पाश कवि का जीवन परिचय💐

मूल नाम :- अवतार सिंघ संधू ‘पाश’

◆ जन्म :- 9 सितम्बर 1950

◆ जन्म स्थान :- तलवंडी सलेम गाँव, जिला- जालंधर (पंजाब)

◆ मृत्यु:- 23 मार्च  1988 जालंधर (पंजाब)

◆ 1988 में खालिस्तानी आतंकियों द्वारा इन्हें और एक दोस्त हंसराज को गांव में गोली मार कर हत्या कर दी गई और जनवाद की इस प्रबल
आवाज को खामोश कर दिया गया | (23 मार्च 1988 )

◆ पत्नी का नाम :- राजविंदर कौर संधू

◆ पुत्री का नाम :- पिंकल संधू (जन्म – 19 जनवरी 1982)

◆ प्रमुख रचनाएं –

★ पंजाबी कविता :-

1. लोह कथा (1970 ई.)
2. उन्हें बाजा मगर (1973 ई.)
3. सर्ड समिया विच (1978 ई.)
4. लड़ेंगे साथी
5. खिलारे होए पर्क काव्य संग्रह (इनकी
मृत्यु के बाद संपादित 1989 ई. , सम्पादक अमरजीत चंदन )

★ हिन्दी में अनुवाद :-

1. समय जो भाई समय
2.  हम लड़ेगे साथी
3. पाश के आस-पास
4. बीच का रास्ता नहीं होता ( इनकी मृत्यु के बाद संपादित, 23 मार्च 1983)

◆ पत्रिकाओं का सम्पादन :-

1. सिमाड़ (1972 ई.)
2. हेम ज्योति
3.  एंटी 47 फ्रंट(जुलाई 1986ई. कैलिफोर्निया से)

◆  पाश कवि के संबंध महत्वपूर्ण बिन्दु :-

★ पाश एक अच्छे कवि नहीं एक अच्छे सम्पादक भी थे।

पाश द्वारा सम्पादित प्रथम पत्रिका : सियाड़  (1972 ई. में निकाली)

★ पाश समकालीन पंजाब साहित्य के महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं।

★ पाश  जन आंदोलनों से जुड़े रहे और विद्रोही कविता का नया सौन्दर्य विधान विकसित किया।

★ पाश की कविताएं विचार और भाव के सुन्दर संयोजन से बनी गहरी राजनीतिक कविताएं हैं जिनमें लोक संस्कृति और परंपरा का गहरा बोध मिलता है।

★ पाश कवि की प्रसिद्ध राजनीतिक कविताएं  √ धर्मदीक्षा के लिए विनयपत्र
√  सबसे खतरनाक

★ पाश की कविताएं उस समय के गहरे इतिहास-बोध की कविताएं है, जो पूरी दुनिया और हमारे देश के स्तर पर एक विचित्र किस्म का जटिल किस्म का संक्रमण काल रहा है।

★ पंजाबी के प्रसिद्ध कवि बल्ली सिंह चीमा के मुताबिक पंजाबी ही नहीं हिन्दी के भी कई विद्वान लेखक पाश को उनकी कुछ प्रसिद्ध कविताओं के चलते केवल नक्सलवादी आन्दोलन का ही कवि मानने की भूल कर बैठते है।

★ “मै समझता हूँ कि यह पाश के साथ अन्याय है क्योंकि उसने पंजाबी जीवन के हर रंग को अपनी कविता में चित्रित किया है।” – चीमा का कथन

          “सबसे खतरनाक” कविता

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती

बैठे-बिठाए पकड़े जाना- -बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना-बुरा तो है।
पर सबसे खतरनाक नहीं होता

कपट के शोर में
सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है
मुट्ठियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता

सबसे खतरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का सब सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर

और काम से लौटकर घर आना
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना

सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी निगाह में रुकी होती है

सबसे खतरनाक वह आँख होती है
जो सब कुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चमूना भूल जाती है
जो चीज़ों से उठती अंधेपन की भाप पर ढुलक जाती है।
जो रोज़मर्रा के क्रम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है

सबसे खतरनाक वह चाँद होता है
जो हर हत्याकांड के बाद
वीरान हुए आँगनों में चढ़ता है
पर आपकी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है

सबसे खतरनाक वह गीत होता है।
आपके कानों तक पहुँचने के लिए
जो मरसिए पढ़ता है
आतंकित लोगों के दरवाजों पर
जो गुंडे की तरह अकड़ता है

सबसे खतरनाक वह रात होती है
जो जिंदा रूह के आसमानों पर ढलती है
जिसमें सिर्फ़ उल्लू बोलते और हुआँ हुआँ करते गीदड़
हमेशा के अँधेरे बंद दरवाज़ों-चौगाठों पर चिपक जाते हैं

सबसे खतरनाक वह दिशा होती है।
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती का पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती।

◆ यह कविता दिनोंदिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही दुनिया की विद्रूपताओं के चित्रण के साथ उस खौफ़नाक स्थिति की ओर इशारा करती है, जहाँ प्रतिकूलताओं से जूझने के संकल्प क्षीण पड़ते जा रहे हैं।

◆  पथरायी आँखों-सी तटस्थता से कवि की असहमति है।

◆ कवि इस प्रतिकूलता की तरफ़ विशेष संकेत करता है जहाँ आत्मा के सवाल बेमानी हो जाते हैं।

◆ जड़ स्थितियों को बदलने की प्यास के मर जाने और बेहतर भविष्य के सपनों के गुम हो जाने को कवि सबसे खतरनाक स्थिति मानता है।

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