पुष्पदन्त(pushpadant) का जीवन परिचय

🌺 पुष्पदन्त(pushpadant) का जीवन परिचय 🌺

समय :- 10 वीं शताब्दी (बच्चन के अनुसार)

बरार के आसपास रहने वाले थे बाद में राष्ट्रकूटों की राजधानी मान्यखेट(मलखेड) चले गये।मान्यखेट में 972ई. तक रहे/ मान्यखेट में 14 वर्ष तक रहे।

• दिल्ली के निकटवर्ती यौधेय के निवासी।(राहुल सांकृत्यायन के अनुसार)

• पिता का नाम:- केशव भट्ट

• माता का नाम:- ममता देवी

• जाति :-काश्यम गौत्रीय ब्राह्मण

• पहले वे शैव मतावलम्बी थे परंतु बाद में किसी गुरु के उद्देश्य से जैन धर्म में दीक्षित हो गए थे ।

• इन्होंने अपने तीनों ग्रंथों की रचना राष्ट्रकूट साम्राज्य की राजधानी मान्यखेट में कृष्ण तृतीय के महामात्य भरत तथा उनके पश्चात गृहमंत्री नन्न के आश्रय में रहकर किया था।

राम काव्य के दूसरे महाकवि( आचार्य बच्चन के अनुसार)

  • अपभ्रंश साहित्य में राम काव्य के द्वितीय कवि

• पुष्पदन्त अकड़ स्वभाव के थे ।

• अपने को अभिमान मेरू कहते थे।

• अपभ्रंश भाषा के महान कवि

• पुष्पदंत ने कहा है कि वाल्मीकि और व्यास के लोगों को गुमराह किया है।

• सत्य के पुजारी, स्वाभिमानी, गरीबी एवं निरात्रित थे।

• सर्वप्रथम शैव थे के बाद में इन्होंने अपभ्रंश प्रेमी राष्ट्रकूट कृष्ण राज तृतीय के मंत्री भरत के पुत्र नन्न के आश्रय में रहने लगे ,धर्म परिवर्तन करके जैन हो गये।

• इनकी रचनाएं :-
1. महापुराण(महापुराण के संपादक :- डॉ परशुराम लक्ष्मण वैध)
2. णाय कुमार चरिउ।
3. जसहर चरिउ।
• पुष्पदंत की उपाधि प्राप्त :-
1. काव्यपिशाच
2. अभिमान मेरु (स्वयं को कहते थे ।)
3. कविकुल तिलक
4. काय रत्नाकर
5. सरस्वती बान्धव निर्लय साहित्य

• पुष्पदंत ने चतुर्मुख और स्वयंभू दोनों का स्मरण किया है । स्वयंभू ने चतुर्मुख की स्तुति की है ।चतुर्मुख स्वयंभू से भी पहले के कवि है।

• चउमुहु स्वयंभू सिरिहरिसु दोणु,जालोइउ कइई साणु (पुष्पदंत का पद )
अर्थात् न मैंने चतुर्मुख,स्वयंभू ,श्री हर्ष और द्रोण का अवलोकन किया और न कवि ईशान और बाण का।

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