प्रतीक का वर्गीकरण (prateek ka vargeekaran)

🌺 प्रतीक का वर्गीकरण🌺

 

★  कुछ विद्वानों के द्वारा प्रतीकों को तीन वर्गों में विभक्त किये है :-

 

1. परम्परागत प्रतीक :- यह रूढ़ होते है ।

2. वैयक्तिक प्रतीक :- किसी विशेष कवि की मानसिकता निहित होती है।

3. प्राकृतिक प्रतीक :- नये युग के अनुरूप निर्मित

 

★  आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने प्रतीकों को दो भेद :-

 

1. मनोविकार भावनाओं को जगाने वाले

 

2. विचारों को जागृत करने वाले

★  डॉ.भागीरथ मिश्र ने  प्रतीक के पाँच भेद किये है :-

 

(1.) प्राकृतिक प्रतीक

 

(2.) सांस्कृतिक प्रतीक :- इसके तीन भेद और है :-

 

🔸संस्कार सम्बन्धी प्रतीक  :- इस प्रतीक  में जन्म, बधाई, उपनयन, विवाह, उत्सव आदि से सम्बन्धित प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है।

 

🔸  पौराणिक प्रतीक

 

🔸 आध्यात्मिक प्रतीक

 

(3.) ऐतिहासिक प्रतीक :- इतिहास के व्यक्ति और घटनाएँ जब किसी विशिष्ट भाव, विचारादि का प्रतिनिधित्व करती हुई वर्णित की जाती हैं।

 

(4.) जीवनव्यापार सम्बन्धी प्रतीक

 

(5.)  शास्त्रीय प्रतीक

 

★ डॉ० सरोजनी पाण्डे ने प्रतीक को सात भागों में  विभाजन किया है :-(हिन्दी-सूफ़ी-काव्य में प्रतीक – योजना)

 

1. सार्वभौम प्रतीक :- ऐसे होते हैं जिनके प्रति सभी देशों में, सभी काल एवं युगों में एक धारणा बनी रहती है।

 

2. देशपरक प्रतीक :- वे प्रतीक आते हैं जो देश-काल, वहाँ की सभ्यता, संस्कृति मान्यताओं एवं जलवायु से बाधित होते हैं।

भारत में गधा ‘मूर्खता एवं मतिमन्दता’ का प्रतीक माना जाता है किन्तु अमेरिका में यह ‘श्रमशीलता एवं कार्यपरता’ का प्रतीक माना गया है।

 

3. साधनात्मक साम्प्रदायिक प्रतीक :- यह प्रतीक रूढ़ होते हैं।

 

4.  रहस्यात्मक संकेतसूचक प्रतीक

 

5.  परम्परागत प्रतीक

 

6. रूपकात्मक प्रतीक

 

7. लक्षणामूलक प्रतीक

 

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