⭐प्रपद्यवाद /नकेनवाद का परिचय⭐
◆ स्थापना :- 1956 ई. में, नलिन विलोचन शर्मा ने
◆ नकेनवाद को प्रपद्यवाद के नाम से भी जाना जाता है।
◆ इसे हिन्दी साहित्य में प्रयोगवाद की एक शाखा माना जाता है।
◆ इसके अन्तर्गत बिहार के तीन कवियों को शामिल किया जाता है:-
1. नलिन विलोचन शर्मा
2. केशरी कुमार
3. नरेश कुमार
★ इन कवियों के नाम के प्रथम अक्षरों को आधार मानकर ‘नकेन’ बनता है।
◆ प्रपद्यवाद और प्रयोगवाद में मूल अन्तर:-
★ प्रपद्यवाद ‘प्रयोग’ को साध्य मानता है जबकि प्रयोगवाद ‘प्रयोग’ को साधन मानता है।
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