प्रयोगवादी काव्य की प्रवृत्तियां( prayogavadi kavy ki pravatiya)

  ?प्रयोगवादी काव्य की प्रवृत्तियां?

?प्रयोगवाद की जन्मदात्री पत्रिका – तार सप्तक

? प्रयोगवाद को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले:- अस्तित्ववाद

1. गहन वैयक्तिकता।

 

2. अतिशय बौद्धिकता।

 

3. व्यापक अनास्था की भावना।

 

4. आस्था तथा भविष्य के प्रति विश्वास।

 

5. सामाजिक यथार्थवाद।

 

6. क्षणवाद।

 

7. श्रृंगार का उन्मुक्त चित्रण।

 

8. कुंठा और निराशा का चित्रण।

 

9. भदेस या नग्नता का चित्रण।

 

10. शिल्पगत वैशिष्ट्य -मुक्तक छंद में काव्य रचना की।

 

11. साहस और जोखिम।

 

12. नई राहो का अन्वेषण।

 

13. निरंतर प्रयोगशीलता।

 

14. व्यक्तिवादी ।

 

15. काम संवेदना की अभिव्यक्ति।

 

16. कवियों ने दमित यौन – वासना नग्न रूप को प्रस्तुत किया ।

 

17. लघुमानव को उसकी समस्त हीनता और गहत्ता के संदर्भ में प्रस्तुत।

 

18. कविता में नए बोध , संवेदनाओ तथा शिल्पगत चमत्कार।

 

19. प्रयोगवादी कवि यथार्थवादी ।

 

20. कवि भावुकता के स्थान पर ठोस बौद्धिकता को स्वीकार।

 

21. कवि मध्यवर्गीय व्यक्ति के जीवन की समस्त जड़ता, कुण्ठा, अनास्था, पराजय और मानसिक संघर्ष की बड़ी बौद्धिकता के साथ उद्घाटित करते हैं।

 

22. सम – सामाजिक जीवन का यथार्थ चित्रण।

 

23. संशयात्मक स्वर।

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