प्राकृत पैगलम् का परिचय(Prakrit Pagalam ka parichay)

🌺प्राकृत पैगलम् का परिचय🌺

* प्राकृत पैगलम् में प्राकृत और अपभ्रंश की स्फुट रचनाएं संग्रहित है ।

* छंद शास्त्र संबंधित पुस्तक

* हिंदी में प्रारंभिक भाषा रूप और छंद को समझने के लिए यह प्रमाणित ग्रंथ है।

* समय – 14वीं शताब्दी का पूर्वाद्धर् (डॉ .बच्चन सिंह के अनुसार) 15 वीं शताब्दी का आरंभ (सुनीति कुमार कू अनुसार)

* इसमें शौरसेनी के छंदों का संख्या अधिक है इन पर पश्चिमी हिन्दी का प्रभाव देखा जा सकता है ।

* पूर्वी में जिन रचनाओं को संग्रहित किया गया है उनमें भणिता के आधार पर कुछ ही रचनाओं के नामों का पता लग पाया है ।बब्बर ,विद्याधर, जज्जल और हरिब्रह्म के नाम के ज्ञात हो सके है।

* इसमें बब्बर की संग्रहीत रचनाएं अधिक महत्वपूर्ण है।

* राहुल सांकृत्यायन ने बब्बर को प्रसिद्ध वीर कलचुरी नरेश कर्ण का दरबारी कवि बताया।

* विभिन्न वर्गों की आर्थिक स्थिति पर भी प्रकाश डालता है।

* प्राकृत पैगलम् में आठ छन्द हम्मीर से संबद्ध मिलते है।

* विद्याधर (जयचन्द के दरबारी कवि) के भी कुछ पद्य मिलते हैं।

* प्राकृत पैगलम् में पाए जाने वाले छन्द शार्ड्गधर द्वारा लिखे गए हो या न लिखे गये किंतु अब यह प्रमाणित हो गया की जज्जल कृत नहीं है ।(डॉ. बच्चन सिंह के अनुसार)

* इसमें तरह – तरह के छन्द संग्रहीत है जो 11 वीं से लेकर 17 वीं शती तक लिखे हो सकते हैं।(डॉ. बच्चन सिंह के अनुसार)

* प्राकृत पैगलम् में पाए जाने वाले छन्द शार्ड्गधर है तो शार्ड्गधर को कुंडलिया छंद का प्रथम प्रयोक्ता माना जा सकता है।(डॉ. बच्चन सिंह के अनुसार)

* इसमें तीन – चार सौ वर्षों से लिखी हुई कुछ रचनाओं को चुना गया है इसलिए इसकी भाषा में वैविध्य मिलती है ।

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