🌺बंसतविलास का परिचय 🌺
* रचनाकार – अज्ञात(इसके रचयिता का पता नही चल सका है।)
* प्रथम सम्पादक – केशवलाल हर्षादराय ध्रुव
* प्रमुख रस – श्रृंगार रस
* छन्द – 84 छन्द
* इसमे प्रकृति और नारी पर बसन्त के मादक प्रभाव का चित्रण
* जैनेतर फागु काव्य
* गुजराती विद्वान केशव हर्षद ध्रुव ने सबसे पहलेवसंतविलास की एक सचित्र पांडुलिपि की खोज की, जिसकी प्रतिलिपि 1455 में बनाई गई थी, और इसे शालपत्र में प्रकाशित किया।
* व्यास ने कविता का एक और सावधानीपूर्वक संपादित संस्करण प्रकाशित किया, जिसने भारत और विदेशों में विद्वानों के बीच रुचि पैदा की। व्यास ने 1946 में इसका अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित किया।
* यह कविता अजंता की शैली में पेंटिंग वाली एक सचित्र पांडुलिपि में पाई गई थी ।
*बंसतविलास के दो पाठ उपलब्ध हैं ।
* पहले में 52 छंद हैं जबकि दूसरे में 84 छंद हैं।
* विषयगत रूप से कविताओं को दो भागों में विभाजित किया गया है। पहला भाग 1 से 45 छंदों का है जो ‘जोड़ों के वियोग’ का वर्णन करता है, और दूसरा भाग 46 से 84 तक का है और यह ‘जोड़ों के मिलन’ से संबंधित है
* बंसतविलास संबंधित में और जानकारी यहां से ले कहते है