बाणभट्ट की आत्मकथा के पात्रों का परिचय(banbhatt ki aatmakatha ke patro ka parichay)
◆ पुरुष पात्र :-
1. बाणभट्ट :-
◆ बाणभट्ट का परिचय ◆
• मगध प्रदेश के प्रख्यात वात्स्यायन वंश से उत्पन्न हुआ था।
• बाणभट्ट की पिता :- चित्रभानु भट्ट एक उद्भट पंडित
• मूल नाम:- दक्ष भट्ट
• चचेरा भाई का नाम :- उड्डपति
• पंडित वात्स्यायन वंशी जयंत भट्ट के पौत्र
• अल्पायु में मातृसुख से वंचित।
• 14 वर्ष की आयु में पितृस्नेह से वंचित।
• बाणभट्ट के घर का समूचा वातावरण पाण्डित्यपूर्ण और घर की शुकसारिकाएँ तक शुद्ध मंत्रों का उच्चारण किया करती थी।
• सचमुच अभागा था कि ऐसे परिवार में उत्पन्न होने के बावजूद वह उस वातावरण से विरत रहा।
• बचपन में ही माता – पिता का देहावसान हो जाने के कारण बाणभट्ट आवारा बन गया। इसलिए जनपद वासी उसे ‘बंड’ (पूंछ कटा बैल) कहते थे ।कालांतर में इसी ‘बंड’ शब्द को संस्कृत करके उसने स्वयं को ‘बाणभट्ट’ के नाम से अभिहित किया।
• बाणभट्ट ने तत्कालीन प्रख्यात तार्किक एवं बौद्ध भिक्षु वसुभूति को शास्त्रार्थ में पराजित किया था।
• बाणभट्ट को उड्डपति भी न रोक सका और बाणभट्ट घुमक्कड़ बनकर नगर – नगर घूमने लगे। कहीं वह नट बनता,पुतलियों का नाच दिखाता फिरता,नाट्य – मंडली स्थापित कर प्रदर्शित करता।
• चरित्र:-
★ आत्मकथात्मक उपन्यास का नायक
★ अप्रतिम विद्वान एवं विश्रुत कवि
★ कुशल अभिनेता
★ अप्रतिम साहसी
★ मानव मात्र से प्रेम करने वाला
★ सुसंस्कृत , भावुक, सत्यभाषी
★ स्त्री जाति के प्रति सम्मान का भाव
★ नारी शरीर को देव मंदिर के बाद पवित्र
समझता है।
★ निपुणिका की दृष्टि में बाण देव तुल्य है।
★ निराहार रहने की साधन में सिद्ध।
★ सहृदय, उदार, धैर्यवान,कष्टसहिष्णु एवं अत्यंत मेधावी।
★ विनोदी स्वभाव।
★ निपुणिका से तो बाण मित्रवत व्यवहार करता है किंतु भट्टिनी के प्रति वह भक्ति भाव रखता है।
★ बाण निपुणता के सेवा भाव से प्रभावित है।
★ भट्टिनी बाण को अपना अभिभावक मानती है।
2. कृष्ण वर्धन:-
★ सम्राट हर्षवर्धन की अनुज
★ स्थाणवीश्वर के प्रख्यात नीतिज्ञ
★ राजनीति के प्रकांड
3. विग्रह वर्मा :-
★ मौरवरिराज यशोवर्मा का सेवक
★ वीर एवं साहसी सेनानायक
★ मौरवरिवंशी के प्रति अटूट श्रद्धा
4. लोरिक देव :-
★ भद्रेश्वर दुर्ग का स्वामी
★ एक शिक्षित किंतु नीति – कुशल
★ वीरता एवं सत्यता का प्रतीक
5. अघोर भैरव:-
★ वाममार्गी साधक
★ सत्याश्रयी अवधूत
6. सुगत भद्र :-
★ बौद्ध भिक्षु एवं आचार्य
★ परम विद्वान
7 . कंचुली वाभ्रव्य
8. विरति वज्र
9. ग्रह वर्मा
10. शार्विकल
11. देवी मंदिर का पुजारी
12. महाराजा हर्ष देव
13. वसुभूति
14. उड्डपति
15. अघोरघट
16. तुवरमिलिंद
◆ स्त्री पात्र :-
1. भट्टिनी :-
★ उपन्यास की नायिका
★ बाणभट्ट की प्रेमिका
★ देवपुत्र तुवरमिलिंद की अपहृता कन्या
2. निपुणिका :-
★ उपन्यास की नायिका (प्रभावान्विति के आधार पर)
★ बाणभट्ट की प्रेमिका
★ बाल विधवा कुशल अभिनेत्री
★ राजकुल की परिचारिका
3. महामाया :-
★ वाम मार्ग में दीक्षित सन्यासिनी
★ पहले मौर्य नरेश ग्रह वर्मा की रानी
★ कूलूतराज की कन्या
★ विवाह से पूर्व अघोर भैरव की वाग्वदत्ता और कालांतर में शिष्य
4. सुचरिता:-
★ उपकथा की नायिका
★ विरतिविज्र की पत्नी
★ नारायण की उपासिका
5. गणिका मदन श्री
6. चारु स्मिता
7. अंतपुर की द्वार रक्षिणी तथा परिचारिकाएं
banbhatt ki aatmakatha ke patro ka parichay अघोर भैरव अघोरघट अंतपुर की द्वार रक्षिणी तथा परिचारिकाएं उड्डपति उपन्यास की नायिका उपन्यास की नायिका (प्रभावान्विति के आधार पर) कंचुली वाभ्रव्य कृष्ण वर्धन गणिका मदन श्री ग्रह वर्मा चारु स्मिता तुवरमिलिंद देवपुत्र तुवरमिलिंद की अपहृता कन्या देवी मंदिर का पुजारी नारायण की उपासिका निपुणिका बाणभट्ट बाणभट्ट की आत्मकथा के पात्रों का परिचय(banbhatt ki aatmakatha ke patro ka parichay) बाणभट्ट की प्रेमिका बाल विधवा कुशल अभिनेत्री भट्टिनी महाराजा हर्ष देव राजकुल की परिचारिका 3. महामाया :- लोरिक देव वसुभूति विग्रह वर्मा विरति वज्र विरतिविज्र की पत्नी शार्विकल सुगत भद्र सुचरिता स्त्री पात्र 2021-05-06
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