बिम्ब और पौराणिक कल्पना में अन्तर( bimb aur pauraanik kalpana mein antar)

? बिम्ब और पौराणिक कल्पना में अन्तर?

 

★ बिम्ब का निर्माता एक व्यक्ति होता है जबकि पौराणिक कल्पना का निर्माण सम्पूर्ण जाति अथवा समूह से होता है।

 

★  बिम्ब एक बार निर्मित होकर स्थिर हो जाता है, जबकि पौराणिक कल्पना के सीमान्त बराबर बदलते रहते हैं ।

 

★ आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने बिम्ब और पौराणिक कल्पना में अन्तर करते हुए कहा है :-  “पुराण मनुष्य की उन कल्पनाओं का जातीय रूप है जो जगत् के व्यापारों को समझने में बुद्धि के कुण्ठित होने पर उद्भूत हुई थीं, और दीर्घ काल तक जातीय चिन्ता के रूप में संचित होकर विश्वास का रूप धारण कर गयी हैं । काव्य की कल्पना, कल्पना ही रहती है। वह सत्य को ग्रहण करने में सहायक होती है । कल्पना ने जहाँ विश्वास का रूप धारण किया वहाँ वह पुराण हो गयी, काव्य नहीं रही। काव्य की कल्पना सदा सत्य को गाढ़ भाव से अनुभव करने का साधन बनी रहती है, स्वयं सत्य को आच्छादित करके प्रमुख स्थान पर अधिकार नहीं कर लेती ।”(साहित्य का साथी से)

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