बिम्ब का अर्थ और परिभाषा(bimb ka arth aur paribhasha)

🌺 बिम्ब का अर्थ और परिभाषा 🌺

◆ बिम्ब का अर्थ  :- 

★ ‘बिम्ब’ शब्द अँग्रेजी के इमेज़ (Image) शब्द के पर्याय के रूप में ग्रहण किया जाता है।

★ संस्कृत में बिम्ब शब्द का अर्थ :- प्रतिच्छवि, प्रतिच्छाया, प्रतिबिम्बित

★ “जिस प्रकार अंग्रेजी के अनेक पारिभाषिक शब्दों के लिए उन्होंने हिन्दी में नए पारिभाषिक शब्द गढ़े थे, उसी प्रकार ”इमेज’ के लिए ‘बिम्ब शब्द की उद्भावना की थी। ( डॉ. केदारनाथ सिंह ने आ. रामचंद्र शुक्ल के लिए कहा)

★ अंग्रेजी के ‘इमेज’ शब्द के लिए हिन्दी में ‘बिम्ब’ का प्रयोग सर्वप्रथम आ. रामचंद्र शुक्ल ने किया।(डॉ. केदारनाथ सिंह के अनुसार)

◆ बिम्ब की परिभाषा :-

(1.) लेविस के अनुसार “काव्य बिम्ब ऐन्द्रिय चित्र है जो रूपात्मक होता है।”

(2.) कैरोलिन के अनुसार “बिम्ब कवि के विचारों का लघु शब्द चित्र है।”

(3.) “काव्य में अर्थ ग्रहण मात्र से काम नहीं चलता, बिम्ब ग्रहण अपेक्षित होता है। “(आ.रामचंद्र शुक्ल के अनुसार,रस मीमांसा पुस्तक से)

(4.) “काव्य का काम है कल्पना में बिम्ब अथवा मूर्त भावना उपस्थित करना, बुद्धि के सामने कोई विचार लाना नहीं। “(आ.रामचंद्र शुक्ल के अनुसार,रस मीमांसा पुस्तक से)

(5.) “बिम्ब एक प्रकार का चित्र है जो किसी पदार्थ के साथ विभिन्न इंद्रियों के सन्निकर्ष से प्रमाता के चित्र में उद्बुद्ध हो जाता है। ”  (नगेंद्र के अनुसार)

(6.) “कल्पना की सहायता से शब्दार्थ द्वारा निर्मित ऐसे मानस चित्र को बिम्ब कहते हैं जिसमें भावतत्त्व का सम्मिश्रण हो।” (नगेंद्र के अनुसार)

(7.) “वस्तु, भाव या विचार को कल्पना एवं मानसिक क्रिया के माध्यम से इन्द्रियगम्य बनाने वाला व्यापार ही बिम्ब विधान है।” (भागीरथ मिश्र के अनुसार)

(8.) “बिम्ब वह शब्द – चित्र है जो कल्पना के द्वारा ऐन्द्रिय अनुभवों के आधार पर निर्मित होता है।”(डॉ. केदारनाथ सिंह के अनुसार)

(9.) डॉ. केदारनाथ सिंह के अनुसार “कवि जब मानव मन के सहज कृत्रिम, गतिशील, जटिल संवेगों का भाषा के जीवन्त माध्यम के द्वारा शाब्दिक पुनर्निर्माण करता है तो उसे समीक्षा की आधुनिक पदावली में बिम्ब-विधान कहते हैं।”

■  इस परिभाषा के अनुसार बिम्ब की विशेषता:-

★ बिम्ब एक प्रकार का शब्दचित्र है

★ बिम्ब का निर्माण कल्पना के द्वारा होता है।

★ बिम्ब के निर्माण के लिए ऐन्द्रिय अनुभव के आधार का होना आवश्यक है।

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