🌺 बिम्ब विधान के उदाहरण 🌺
(1.) बिजली-सा झपट, खींचकर शय्या के नीचे
घुटनों से दाब दिया उसको
पंजों से गला दबोच दिया
आँखों के कटोरे से दोनो साबित गोले
कच्चे आमों की गुठली जैसे उछल गये
खाली गड्ढों से काला लहू उबल पड़ा। ( धर्मवीर भारती की रचना ‘अंधायुग’, दृश्य बिम्ब)
(2.) आह, चूम लूँ जिन चरणों को, चाँप-चाप कर उन्हें नहीं
दुख को इतना, अरे अरुणिमा ऊषा-सी वह उधर वही।
(प्रसाद की रचना लहर से, सज्जात्मक बिम्ब)
(3.) तू खुली एक उच्छ्वास-संग,
विश्वास – स्तब्ध बंध अंग-अंग,
नत नयनों से आलोक उतर
काँपा अघरों पर थर-थर-थर ।
( निराला की रचना अनामिका से, घनात्मक बिम्ब)
(4.) इन्द्रधनु की सुन कर टंकार
उचक चपला के चंचल बाल,
दौड़ते थे गिरि के उस पार
देख उड़ते विशिखों की धार।
( पंत की रचना पल्लव से , मिश्रित बिम्ब)
(5.) अंक में तब नाश को लेने अनन्त विकास आया।
(महादेवी वर्मा की रचना संध्यागीत से,अमूर्त बिम्ब)【 नाश और विकास दोनों शब्द अमूर्त है】
(6.) उषा का था उर में आवास, मुकुल का मुख में मृदुल विकास,
चाँदनी का स्वभाव में भास,विचारों में बच्चों के साँस ।
( पंत की रचना पल्लव से , प्रतीकात्मक बिम्ब)
(7.) कौन आया था न जाने स्वप्न में मुझ को जगाने, याद में उन अंगुलियों के हैं मुझे पर युग बिताने
( महादेवी वर्मा का गीत ‘शलभ मैं शापमय वर हूँ’ से छायात्मक बिम्ब)
(8.) झूम-झूम मृदु गरज-गरज घन घोर।
राग अमर! अम्बर में भर निज रोर!
झर झर झर निर्झर-गिरि-सर में,
घर, मरु, तरु-मर्मर, सागर में,
सरित-तड़ित-गति-चकित पवन में,
मन में, विजन-गहन-कानन में,
आनन-आनन में, रव घोर-कठोर-
राग अमर! अम्बर में भर निज रोर!
( निराला की रचना बादल राग से, नाद बिम्ब)
(9.) अस्ताचल रवि, जल छल-छल छवि, स्तब्ध विश्वकवि, जीवन उन्मन ।
( निराला की रचना अपरा से, उदात्त बिम्ब)
(10.) अन्धकार के अट्टहास-सी
मुखरित सतत, चिरन्तन सत्य।
( प्रसाद की रचना कामायनी से, उदात्त बिम्ब)
(11.) कल कपोल था जहां बिछलता
कल्पवृक्ष का पीत पराग।
(प्रसाद की रचना कामायनी से,पौराणिक बिम्ब)
(12.) धीरे-धीरे जगत् चल रहा,अपने उस ऋजु पथ में,
धीरे-धीरे खिलते तारे,मृग जुतते विधु-रथ में।
(प्रसाद की रचना कामायनी से,पौराणिक बिम्ब)
(13.) है अमानिया, उगलता गगन धन अन्धकार
खो रहा दिशा का ज्ञान, स्तब्ध है पवनधार
अप्रतिहत गरज रहा पीछे अम्बुधि विशाल
भूघर ज्यों ध्यानमग्न, केवल जलती मशाल ।
( निराला की रचना अनामिका काव्य संग्रह से,राम की शक्ति पूजा कविता से, आदिम बिम्ब)
(14.) राम ने बढ़ाया कर लेने को नीलकमल।
कुछ लगा न हाथ, हुआ सहसा स्थिर मन चंचल,
ध्यान की भूमि से उतरे, खोले पलक विमल।
( निराला की रचना अनामिका काव्य संग्रह से,राम की शक्ति पूजा कविता से, निजन्धरी बिम्ब)
(15.) कुकुरमुत्ते की कहानी
सुनी जब बहार से
नबाब के मुँह में आया पानी
(निराला की रचना कुकुरमुत्ता कविता से, स्वाद बिम्ब)