भविस्सयत कथा का परिचय(Bhavishyat Katha ka parichay)

?भविस्सयत कथा का परिचय ?

• भविस्सयत कथा अपभ्रंश के कथाओं में प्रसिद्ध ग्रंथ है ।

* रचयिता – धनपाल

* कुल सिंधिया – 22 सिंधिया

• भविस्सयत कथा में श्रुतपंचमी व्रत के फलवर्णन स्वरूप भविस्सयत कथा का वर्णन है इसलिए इसे श्रुति पंचमी कथा भी कहते हैं।

• अपभ्रंश भाषा के प्रकाशित होने वाले काव्यों में भविस्सयत कथा ग्रंथ सर्वप्रथम काव्य है।

* भारत में भविस्सयत कथा प्रकाशित कराने का श्रेय :- सी. सी .डी दलाल और पी. डी. गुणे को

* भविस्सयत कथा का पहली बार प्रकाशित 1923 ई. में (गायकवाड ओरियण्टल सीरिज बडोदा से)
• प्रबंध काव्य

• भविस्सयत कथा काव्य लिखकर पूर्ण हुआ – विक्रम संवत् 1393 पौष शुक्ल द्वादशी(16 दिसंबर 1336 ई.)

* रचनाकाल:- 14 वीं शताब्दी

* भविस्सयत कथा का नायक- भविस्यत दत्त

* भविस्सयत कहा(कथा) को पिन्टरनित्ज महोदय ने रोमांटिक महाकाव्य माना है।

 

? धनपाल का परिचय ?

◆ धक्कड नामक वैश्य वंश में जन्म ।

◆ पिता का नाम – माएसर (मातेश्वर)

◆ माता का नाम – धनश्री

◆ धनपाल को सरस्वती का वर प्राप्त हुआ।

◆ यह जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय के अनुयायी थे।

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