◆आचार्य का शताब्दी वर्ष 【सम संख्या में 】
◆ आचार्य का शताब्दी वर्ष 【 विषम संख्या में 】
◆ शॉर्ट ट्रिक्सः-
• भरतमुनि के भाग का दंड वामन को मिला।
भरतमुनि (2वीं),
भा – भामह (6वीं),
दंड – दण्डी (7 वीं)
वामन (8वीं)
• राज्य का आनंद शंका और रौद्र से नहीं अनुभव या उद्भव से होता है। 【9वीं】
राज्य – राजशेखर,
आनंद – आनंदवर्धन,
शंका – शंकुक,
रौद्र – रूद्रट ,
उद्भव – उद्भट्ट
• कुन्तक ने धनंजय नायक का अभिनय किया। 【10वीं】
नायक – भट्ट नायक,
अभिनय – अभिनवगुप्त
• क्षेमेन्द्र और मम्मट ने भोजराज की महिमा गायी।【11वीं】 महिमा – महिमा भट्ट
• रुपये देना जयदेव भानु विश्वनाथ की विद्या ग्रहण करवाती है। 【12वीं】
रुपये – रुय्यक,
भानु – भानुमिश्र,
विद्या – विद्याधर
• केशव ने जगन्नाथ से दीक्षित हुए थे।
केशवमिश्र【16वीं】,
जगन्नाथ【17वीं】,
दीक्षित – अप्पय दीक्षित 【17वीं】
◆ भारतीय आचार्य और उनके ग्रंथ :-
1. भरतमुनि :- नाट्यशास्त्र
2. दण्डी :- काव्यादर्श
3. भामह :- काव्यालंकार
4. रुद्रट :- काव्यालंकार
5. राजशेखर :- काव्य मीमांसा
6. उद्भट :- काव्यालंकार सार- संग्रह
7. आनन्दवर्धन :- ध्वन्यलोक
8. वामन :- काव्यालंकार सूत्र वृत्ति
9. भोजराज :- सरस्वती कंठाभरण,श्रृंगार प्रकाश
10. महिम भट्ट :- व्यक्तिविवेक
11. क्षेमेंद्र :- औचित्य विचार चर्चा, कविकण्ठाभरण
12. मम्मट :- काव्यप्रकाश
13. धनंजय :- दशरूपक
14. अभिनव गुप्त :अभिनवभारती,ध्वन्यालोकलोचन
15. कुंतक :- वक्रोक्ति जीवितम्
16. जयदेव :- चन्द्रालोक
17. भानुमिश्र:- रसमंजरी, रसतरंगिणी
18. रुप्यक :- अलंकार सर्वस्व
19. विद्याधर :- एकावली
20. विश्वनाथ :- साहित्य दर्पण
21. अप्पय दीक्षित :- कुवलयानंद
22. जगन्नाथ :- रसगंगाधर
23. केशव मिश्र :- अलंकार शेखर
◆ प्रमुख संप्रदाय :-
• अलंकार सिद्धांत को :- रूपावादी कहा जाता है।
• रीति सिद्धांत को :- रूपावादी
• ध्वनि सिद्धांतों को :- रूपावादी
• वक्रोक्तिसिद्धांत को :- रूपावादी
• औचित्य सिद्धांत :- वस्तुवादी
• रस सिद्धांत :- संयोजनवादी
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