भारतेंदु हरिश्चन्द्र के मौलिक नाटक (Bhartendu Harishchandra ke maulik natak )

?भारतेंदु हरिश्चन्द्र के मौलिक नाटक?

 

(1) प्रवास (1868 ई.)

 

(2) वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति (1873 ई)

 

(3) सत्य हरिश्चंद्र (1875 ई.)

 

(4) प्रेमजोगिनी (1875 ई.)

 

(5) विषस्य विषमौवधम् (1876 ई.)

 

(6) श्रीचन्द्रवली (1876 ई.)

 

(7) भारत जननी ( 1877 ई.)

 

(8) भारत दुर्दशा (1880 ई.)

 

(9) नील देवी (1881 ई.)

 

(10) अंधेर नगरी (1881 ई.)

 

(11) सती प्रताप (1883 ई.)

 

(12) नवमल्लिका (अप्रकाशित)

?भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटकों की विशेषताएं?

  • सामाजिक और राजनीतिक टिप्पणी: भारतेंदु जी के नाटक अक्सर सामाजिक कुरीतियों, भ्रष्टाचार और राजनीतिक अन्याय पर व्यंग्य करते हैं।

  • ब्रजभाषा और खड़ी बोली का मिश्रण: भारतेंदु जी ने अपनी रचनाओं में ब्रजभाषा और खड़ी बोली दोनों का उपयोग किया।

  • हास्य और व्यंग्य: भारतेंदु जी के नाटक अक्सर हास्य और व्यंग्य से भरे होते हैं।

  • लोककथाओं और पौराणिक कथाओं का उपयोग: भारतेंदु जी ने अपनी रचनाओं में लोककथाओं और पौराणिक कथाओं का अक्सर उपयोग किया।

 

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