भारत भूषण का जीवन परिचय(Bharat Bhushan ka jeevan parichay)

?भारत भूषण का जीवन परिचय?

 

◆ जन्म :- 8 जुलाई 1929 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में

 

◆ मृत्यु :- 17 दिसंबर 2011

 

◆ इनका पहला गीत संग्रह :- ‘सागर के समीप'(1958)

 

◆ दुसरा गीत संग्रह:- ‘ये असंगति'(1993 में )

 

◆तीसरा गीत संग्रह:- मेरे ‘चुनिंदा गीत’ (2008 में ) हुए।

 

◆ प्रमुख गीत :-
1. ये असंगति जिन्दगी के द्वार सौ-सौ बार रोई
बांह में है और कोई चाह में है और कोई

 

2. साँप के आलिंगनों में
मौन चन्दन तन पड़े हैं
सेज के सपनों भरे कुछ
फूल मुर्दों पर चढ़े हैं

 

3.ये विषमता भावना ने सिसकियाँ भरते समोई
देह में है और कोई, नेह में है और कोई

 

4. पश्चिम में ढलका सूर्य उठा वंशज सरयू की रेती से,
हारा-हारा, रीता-रीता, निःशब्द धरा, निःशब्द व्योम,
निःशब्द अधर पर रोम-रोम था टेर रहा सीता-सीता।

 

5.सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ
प्रिय मिलने का वचन भरो तो!
पलकों-पलकों शूल बुहारूँ
अँसुअन सींचू सौरभ गलियाँ
भँवरों पर पहरा बिठला दूँ
कहीं न जूठी कर दें कलियाँ
फूट पडे पतझर से लाली
तुम अरुणारे चरन धरो तो!

 

6.जिस दिन भी बिछड गया प्यारे
ढूँढ़ते फिरोगे लाखों में।
फिर कौन सामने बैठेगा
बंगाली भावुकता पहने,
दूरों-दूरों से लाएगा
केशों को गंधों के गहने।

 

7. रेती पर लिखे नाम जैसा, मुझको दो घड़ी उभरना था
मलयानिल के बहकाने पर, बस एक प्रभात निखरना था
गूँगे के मनोभाव जैसे, वाणी स्वीकार न कर पाए

 

8.आज पहली बात पहली रात साथी
चाँदनी ओढ़े धरा सोई हुई है
श्याम अलकों में किरण खोई हुई है
प्यार से भीगा प्रकृति का गात साथी
आज पहली बात पहली रात साथी

 

9.मेरी नींद चुराने वाले, जा तुझको भी नींद न आए
पूनम वाला चाँद तुझे भी सारी-सारी रात जगाए

 

10.ये उर-सागर के सीप तुम्हें देता हूँ
ये उजले-उजले सीप तुम्हें देता हूँ
है दर्द-कीट ने
युग-युग इन्हें बनाया
आँसू के
खारे पानी से नहलाया

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