मंदाक्रांता शब्द के संबंध में [Mandakranta shabd ke sambandh mein]
💐 मंदाक्रांता 💐
■ मंदाक्रांता शब्द का अर्थ :- धीरे – धीरे आगे बढ़ने वाला
◆ मंदाक्रांता :- नाटक
★ नाटक की नायिका :- श्यामली
★ इदन्नमम(1994) उपन्यास का नाट्य रूपांतरण
नोट :- इदं न मम (काव्यसंग्रह) :- भवानी प्रसाद मिश्र
● उपन्यास की लेखिका :- मैत्रेयी पुष्पा
● उपन्यास का केन्द्रीय पात्र :- मंदाकिनी
◆ मंदाक्रांता छन्द
★ यह वर्णिक समवृत्त छंद है।
★ इस छन्द में 17 वर्ण होते हैं।
★ इसमें मगण (SSS), भगण (S। ।), नगण (III),दो तगण (SSI, SSI) तथा दो गुरु (SS) होते हैं
★ इसमें चार, छः तथा सातवें वर्णों पर ‘यति’ होती है।
★ लक्षण से संबंधित दोहा:-
मगण भगण फिर नगण मुणि, तगण दोय फिर जोय ।करण एक अहराज कहि, मंदाक्रांता होय ।।
★ मन्दाक्रान्ता छन्द में कालिदास ने सर्वप्रथम व सर्वश्रेष्ठ संदेश काव्य मेघदूत की रचना की है।
★ मंदाक्रांता छन्द में विरचित मेघदूत संस्कृत साहित्य का सर्वप्रथम व्यवस्थित विरह गीति-काव्य हैं।
★ मेघदूत रचना में मंदाक्रांता छन्द की प्रभावशीलता सिद्ध होने के कारण कुछ समीक्षकों ने इसे ‘आँसू छंद’ नाम दिया है।
★ मंदाक्रान्ता की प्रशंसा करते हुए क्षेमेन्द्र ने दिल से मेघदूत को सराहा है।
★ क्षेमेन्द्र का कथन :- “सुवशा कालिदासस्य मन्दाक्रान्ता प्रवल्गति।”
★ संस्कृत में वर्षा, विराट् तत्व तथा विरहभाव के वर्णन में मंदाक्रांता छंद की उपयुक्तता स्वीकृत है।
★ वीर, अद्भुत, रौद्र, वीभत्स आदि रसों के लिए शिखरिणी, मंदाक्रांता, घनाक्षरी, छप्पय आदि छंदों का प्रयोग किया जाता है।
★ हास्य रस के लिए दोहा और घनाक्षरी छंद विशेष रूप से उपयुक्त होता है।
★ मंदाक्रांता छंद का प्रयोग :-
● बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ ने :- ऊर्मिला महाकाव्य (प्रथम सर्ग में) :-
● रामचरित उपाध्याय ने :- रामचरित चिन्तामणि में
(वंशस्थ, द्रुतविलम्बित, भुजंगप्रयात, तोटक, स्रग्वेणी, मालिनी, मंदाक्रांता आदि)
● मैथिलीशरण गुप्त ने महाराणा राजसिंह का पत्र (औरंगजेब के नाम) में।
● हरिऔध ने प्रिय प्रवास में (द्रुतबिलंबित,मंदाक्रांता, वंशस्थ ,मालिनी,वसंततिलका शादूल विक्रडित, और शिखरिणी )
© प्रियप्रवास महाकाव्य में मंदाक्रांता छंद 32 बार, द्रुतबिलंबित छंद 30 बार, वंशस्थ छंद 17 बार, मालिनी छंद 14 वसंततिलका छंद 7 बार शादूल विक्रडित छंद 4 बार और शिखरिणी छंद 1 बार आया है।
© प्रथम और द्वितीय सर्ग में केवल द्रुतविलंबित छंद का ही प्रयोग हुआ है।
★ उदाहरण :-
(1.) कोई पत्ता नवल तरु का पीत जो हो रहा हो ।
तो प्यारे के दृग युगल के सामने ला उसे ही।
धीरे-धीरे सम्हल रखना औ उन्हें योन बताना।
पीला होना प्रबल दुख से प्रेषिता-सा हमारा।।
(2.) अनूठी आभा से, सरस सुपमा से सुरस से
बना जो देती थी, वह गुणमयी भू विपिन को
निराले फूलों की, विविध दल वाली अनुपम।
जड़ी बूटी हो बहु फलवती थी विलसती।
https://www.facebook.com/hindibestnotes?mibextid=ZbWKwL Mandakranta shabd ke sambandh mein] www.hindibestnotes.com मंदाक्रांता शब्द के संबंध में 2024-04-10
error: Content is protected !!