मैला आँचल उपन्यास के पात्रों का महत्वपूर्ण कथन(maila aanchal upanyaas ke Patro ka mahatvapoorn kathan)
1. डॉ.प्रशान्त का कथन:-
• “दिल नाम की कोई चीज आदमी के शरीर में है,हमें नहीं मालूम। पता नहीं आदमी लंग्स को दल कहता है या हॉट को। जो भी हो हार्ट ,लंग्स,लीवर का प्रेम से कोई संबंध नहीं है।”
• “क्या करेगा वह संजीवनी बूटी खोजकर ? उसे नही चाहिए संजीवनी। भूख और बेबसी से छटपटाकर मरने से अच्छा है मैलेग्नेट मलेरिया से बेहोश होकर मर जाना। तिल – तिलकर घुल – घुलकर मरने के लिए उन्हें जिलाना बहुत बड़ी क्रूरता होगी।”
• ” ममता ! मैं फिर काम शुरु करूंगा यही इसी गांव में! मैं प्यार की खेती करना चाहता हूं। मैं साधना करुंगा ग्रामवासिनी भारतमाता के मैले ऑचल तले।”
• डॉ प्रशांत और कमली के प्रेमोन्मत प्रसंग में विद्यापति की पंक्तियां को उद्धृत किया है :- “अधरक मधु जब चाखल कान्ह तोहर शपथ हम किछु यादि जानि।”
• “आह ! एक बूंद आई ड्रॉप के बगैर दो सुंदर आंखें सदा के लिए ज्योतिहीन हो गई।”(डॉ.प्रशांत निर्मला की आंखे देखते हुए कहता है।)
• “आदमी के दिल होता है शरीर की चीर फाड़ कर जिसे हम नहीं पा सकते । वह हार्ट नहीं आगम अगोचर जैसी चीज है जिसमें दर्द होता है लेकिन जिसकी दवा एड्रिलीन नहीं । उस दर्द को मिटा दो आदमी जानवर हो जाएगा । दिल वह मंदिर है जिसमें आदमी के अंदर का देवता वास करता है।”
2. बावनदास के कथन :-
• “पिकेटिंग के समय कांग्रेस के वालेटियरों को पीटने वाला चानमल मारवाड़ी का बेटा सागरमल नरपत नगर थाना कांग्रेस का सभापति है जबकि नेपाल से लड़कियों भगाकर लाने वाला दुलारचंद कापरा कटहा थाने का सेक्रेटरी है।”
3. बालदेव के कथन :-
• ” तुम तो आज आए हो,हम सन् तीस से जानते है। टीक – मोंछ काटकर मुर्गी का अंडा खिलाकर कामरेड बनाया जाता है।कफ जेहल में कितने लोगों को कामरेड होते देखा है। मुजफ्फरपुर कू एक सोशलिस्ट नेता थे। उनका काम यही था लोगों की टीक मोंछ काटना।” (बालदेव ने कालीचरण से कहा)
• ” तब कोठारिनी जी से कहा जाय । अब तो खद्धड़ पहनती है खूब नेमटेम भी करती है। रोज नहाने के बाद महतमाजी की छाती पर फूल चढ़ाती है।”
• “हमने भारत माता का नाम महात्मा जी का नाम लेना नहीं बंद किया है। मलेटरी ने हमको नाखुन में सुई गड़ाया तिस पर भी हम इस बिस नहीं किएं आखिर हार कर जेलखाना में डाल दिया।”
• “कांग्रेस पूंजीपतियों की भ्रष्ट संस्था है।”
4. कालीचरण के कथन :-
• “यह जो लाल झंडा है आपका झंडा है, जनता का झंडा है, अवाम का झंडा है,इकालाब झण्डा है। इसकी लाली उगते हुए आफताब की लाली है। यह खुद आफताब है । इसकी लाली,इसका रंग क्या है रंग नहीं। यह गरीबों, महरूमों, मजदूरों, के खून में रंगा हुआ झंडा है।”
• “जात दो ही है एक गरीब और दूसरी अमीर।”
• “एक असहाय औरत देवता के संरक्षण में भी सुख चैन से नहीं सो सकती है।”(कालीचरण ने मंगला के लिए कहा)
• “कमाने वाला खाएगा इसके चलते जो कुछ हो। किसान राज कायम हो मजदूर राज कायम हो।”
5. अन्य कथन :-
• “कमली डॉ प्रशांत से, हरगौरी अपनी मौसेरी बहन से, बालदेव कोठारिन (लछमी) से, कालीचरण चर्खा स्कूल की मास्टरनी से प्रेम करते हैं”(सहदेव के कथन)
• “डॉक्टर से इतना हेल मेल बढ़ाना ठीक नहीं है,वह उनकी आंखों में झॉककर यह सोचकर कॉप जाती है कि कही उसने अपने आंचल को तो मेला नहीं कर लिया है।”(कमली की मां कमली से कहती है)
• गाड़ीवाले का दल यह गीत गाता हुआ चल रहा है “चढ़ली जवानी मोरा अंग अंग फड़के से कब होइ है गवना हमार हो भउजिया।”
• “इसमें फूल भी है शूल भी, धूल भी है गुलाब भी कीचड भी है चंदन भी, सुंदरता भी कुरुपता भी मैं किसी से भी दामन बचााकर निकाल नहीं पाया। (रेणु ने उपन्यास की भूमिका में इस उपन्यास के बारे में कहा।)
• “भाई आदमी को एक ही रंग में रहना चाहिए यह तीन रंग का झंडा थोड़ा सादा, थोड़ा लाल और पीला, यह है तो खिचड़ी पार्टी का झंडा है। कांग्रेस तो खिचड़ी पार्टी है। इसमें जमीदार है, सेठ लोग हैं और पासंग मारने के लिए थोडे किसान,मजदूरों को भी मेंबर बना लिया गया है। गरीबों को एक ही रंग के झंडे वाली पार्टी में रहना चाहिए।” (वासुदेव का कथन)
• “सुबह में रोने का कारन पूछने पर चुपचाप टुकर- टुकर मुंह देखने लगती थी ठीक गाय की बाछी की तरह जिसकी मां मर गई हो।”( लछमी के बारे में कहा गया)
• “कोई रिसर्च की असफल नहीं होता है डॉक्टर ! तुमने कम से कम मिट्टी को तो पहचाना है। मिट्टी और मनुष्य में मोहब्बत छोटी बात नहीं।” (ममता का कथन)
• “मिट्टी और मनुष्य में गहरी मोहब्बत किसी लेबोरेटरी में नहीं बनती।”(ममता का कथन)
• “मिट्टी और मनुष्य के कल्याण तथा संस्कृति से विरहित होकर विज्ञान विश्व के लिए अभिशक्त हो उठा है। युद्ध के विषैले गैसों के सारे समाज के मानवों को विकृत कर दिया है। साम्राज्य लोभी शासकों को संगीनों के साये में वैज्ञानिकों दल खोज कर रहे हैं, प्रयोग कर रहे हैं, एटम ब्रेक कर रहा है, मकड़ी की जाल की तरह। चारों ओर मह अंधकार। सब वाष्प। प्रकृति पुष्प अंड पिंड। मिट्टी और मनुष्य के शुभचिंतक छोटी सी टोली अंधेरे में टटोल रही है।”
"कांग्रेस पूंजीपतियों की भ्रष्ट संस्था है।" 1. डॉ.प्रशान्त का कथन:- • "दिल नाम की कोई चीज आदमी के शरीर में है mahatvapoorn kathan maila aanchal upanyaas ke Patro ka mahatvapoorn kathan ममता ! मैं फिर काम शुरु करूंगा यही इसी गांव में! मैं प्यार की खेती करना चाहता हूं। मैं साधना करुंगा ग्रामवासिनी भारतमाता के मैले ऑचल तले।" महत्वपूर्ण कथनmaila aanchal upanyaas ke Patro मैला आँचल उपन्यास के पात्रों का परिचय ( maila aanchal upanyas ke Patron ka parichay ) लंग्स हमें नहीं मालूम। पता नहीं आदमी लंग्स को दल कहता है या हॉट को। जो भी हो हार्ट 2021-05-10
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