रसिक सुमति का परिचय (Rasik Sumati ka parichay)

🌺रसिक सुमति का  परिचय🌺

 

◆ मथुरिया टोला आगरा के रहने वाले उपाध्याय ब्राह्मण थे।

 

◆ ये काश्यप- वंशी सनौढ़िया उपाध्याय ब्राह्मण थे।

 

◆ इनके पिता का नाम :-ईश्वरदास

💐अलंकारचंद्रोदय:-

 

● इनकी प्रमुख रचना

 

● यह ग्रन्थ लिखा गया :- संवत् 1786 (सन् 1729 ई.) में

 

● कुवलयानन्द के आधार पर लिखा

 

● छंद – दोहा

 

● 187 दोहे

 

● अलंकारग्रंथ की रचना

 

● इस ग्रंथ का प्रारंम्भिक दोहा:-
रसिक कुवलयानन्द लषि, असि मन हरष बढ़ाय अलंकार चन्द्रोद यह, वरनतु हिय हुलसाय ॥

 

● रसिक सुमति के विचार से शब्द और अर्थ की विचित्रता ही अलंकार है ।

 

● उपमालंकार से आरम्भ करके अनेक भेद देते हुए 80 अर्थालंकारों और उनके भेदों तथा अनुप्रासों का वर्णन किया गया है।

 

● अलंकारों को स्पष्ट करने के लिए पारिभाषिक शब्दों को भी स्पष्ट किया गया है, जैसे उपमेय उपमान, विशेष्य-विशेषण, वाक्य पद आदि।

 

 

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