रामविलास शर्मा की रचनाएँ [ramavilas sharma ki rachanaen]

🌺 रामविलास शर्मा की रचनाएँ 🌺

🌺 कविता-संग्रह :-

 

★ तार सप्तक (1943) में संकलित कविताएँ

 

★ रूप तरंग

 

★ सदियों के सोये जाग उठे

 

🌺 उपन्यास :- चार दिन

 

🌺 नाटक :- पाप के पुजारी

 

🌺आत्मकथा :- अपनी धरती अपने लोग (1996, 3 खंड)

🌺रामविलास शर्मा का नाम भारतीय साहित्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने विभिन्न विषयों पर अनेक आलोचनात्मक कृतियाँ लिखी हैं, जो साहित्य प्रेमियों और छात्रों के बीच प्रसिद्ध हैं। उनकी आलोचनात्मक कृतियों में साहित्यिक विषयों के प्रति उनका गहरा और विवेकपूर्ण दृष्टिकोण प्रकट होता है। यहाँ कुछ उनकी प्रमुख आलोचनात्मक कृतियाँ हैं:-

 

प्रेमचंद (1941 ई.पहली पुस्तक)

 

भाषा और साहित्य में पाकिस्तान (1941 ई.)

 

भारतेन्दु युग (1943 ई.)

 

गोस्वामी तुलसीदास और मध्यकालीन भारत (1944 ई.)

 

निराला (1946 ई.)

 

प्रगति और परम्परा (1948 ई.)

 

राष्ट्रभाषा हिन्दी और हिन्दू राष्ट्रवाद (1948 ई.)

 

भारत की भाषा समस्या (1949 ई.)

 

लोकजीवन और साहित्य (1951 ई.)

 

प्रेमचंद और उनका युग (1952 ई.)

 

जातीय भाषा के रूप में हिन्दी का प्रसार (1953 ई.)

 

हिन्दी-उर्दू समस्या (1953 ई.)

 

भाषा, साहित्य और संस्कृति (1954 ई.)

प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ(1955 ई.)

 

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना (1955 ई.) 

 

आस्था एवं सौन्दर्य (1956 ई.)

 

आचार्य रामचंद्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना (1956 ई.)

 

भाषा की समस्या और मज़दूर वर्ग (1965 ई.)

 

भारत की राजभाषा अंग्रेज़ी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चा (1965 ई.)

 

◆ साहित्य स्थायी मूल्य और मूल्यांकन (1968 ई.)

◆ निराला की साहित्य साधना (तीन भाग- 1969 ई., 1972 ई.,1976 ई.)साहित्य अकादमी पुरस्कार-1970 ई.)

 

भारतेन्द्र युग और हिन्दी साहित्य की विकास परम्परा (1975 ई.)

 

महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण (1977 ई.)

 

नयी कविता और अस्तित्ववाद (1978 ई.)

 

भारत में अँग्रेजी राज्य और मार्क्सवाद (1982 ई. 2 खंड)

 

मार्क्सवाद और प्रगतिशील साहित्य (1985 ई.)

 

हिन्दी जाति का साहित्य (1986 ई.)

 

इतिहास-दर्शन (1995 ई.)

 

भारतीय नवजागरण और यूरोप (1996 ई.)

 

भारतीय साहित्य की भूमिका (1996 ई.)

 

भारतीय संस्कृति और हिन्दी प्रदेश(1999ई., 2 खंड)

 

भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिन्दी (3 खंड, व्यास सम्मान-1991 ई.)

 

भारतीय सौन्दर्य बोध और तुलसीदास (2001 ई.)

 

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