राम काव्य की प्रवृत्तियां(ram kavy ki pravatiya)

?राम काव्य ?

वाल्मीकि रामायण:– यह सर्वप्रसिद्ध राम काव्य है जिसका रचयिता महर्षि वाल्मीकि हैं। इसमें भगवान राम की जीवनी का विस्तृत वर्णन किया गया है।

तुलसीदास रामायण:- संत तुलसीदास द्वारा रचित “रामचरितमानस” भी एक प्रमुख राम काव्य है। इसमें राम की कथा को भारतीय जनता के लिए समझाने का प्रयास किया गया है।

कंब रामायण :- इसे तमिल भाषा में लिखा गया है और इसमें राम के कथानकों का विस्तारपूर्ण वर्णन किया गया है।

राम कथामञ्जरी:- इसे कृष्णलीलामृत के रचयिता केशवदास द्वारा लिखा गया है, और इसमें राम के कथानकों का संग्रह है।

?राम काव्य की प्रवृत्तियां(ram kavy ki pravatiya)

1. राम के सगुण – साकार रूप की अर्चना।

 

2. सौंदर्य बोध :- नर-नारी भाव, अनुभूति,प्रकृति तथा शिल्प का।

 

3. नीति उपदेश प्रधानता,सद्भाव तथा सात्विकता।

 

4. राजनीतिक दृष्टिकोणः- रामराज्य की जनतंत्रात्मक रूप में प्रतिष्ठा।

 

5. मर्यादा का भाव – सामाजिक संवेदना, सामाजिक तथा परिवारिक आदर्श की स्थापना।

 

6. युगीन समस्याओं का निरूपण – लोक जीवन की विपत्रता का कारुणिक चित्रण।

 

7. प्रकृति परिवेश – प्रकृति के अनेक रूपों का चित्रण।

 

8. समन्वय का विराट् चेष्टा।

 

9. भक्ति रस के इतर अन्य रसों का विधान भी।

 

10. ब्रह्म प्राप्ति के माध्यम के रूप में दास्य भक्ति का ग्रहण।

 

11. लोकमंगल की सिद्धि।

 

12. सामूहिकता पर बल।

 

13. मर्यादावाद।

 

14. मानवतावाद।

 

15. दार्शनिक प्रतीकों की बहुलता।

 

16. काव्य भाषा :- मुख्यतः अवधि

 

17. काव्य रूप – प्रबन्धकाव्य एवं मुक्तक काव्य ।

 

18. लोक चिंता ,लोकमानस,लोक रक्षा तथा लोकमंगल की भावना का प्राधान्य है।

 

19. लोक और शास्त्र दोनों के सामंजस्य से अपना पथ प्रशस्त किया।

 

20. गेयपद और दोहा – चौपाई में निबन्ध कड़बक बद्धता उसके प्रधान रचना रूप है

 

21. राम काव्य बहुप्रयुक्त छंद – छप्पय,सवैया कवित्त,भुजंगप्रपात बरवै आदि।

 

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