रासो साहित्य की प्रवृत्तियां(raso sahitya ki pravatiya)

रासो साहित्य की प्रवृत्तियां(raso sahitya ki pravatiya)

1. अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णनों की अधिकता।

2. सामंती समाज की संस्कृति और यथार्थ का चित्रण।

3. ऐतिहासिकता, राष्ट्रीयता का अभाव।

4. युद्धों का जीवन वर्णन।

5. संदिग्ध और अर्द्ध प्रामाणिक रचनाओं को बहुलता।

6. नारी रूप का सौन्दर्यांकन।

7. प्रकृति के बहुआयामी स्वरूप का चित्रण।

8. वीर और श्रृंगार रस निरूपण।

9. विरहानुभूति की मार्मिक अभिव्यक्ति।

10. डिंगल – पिंगल शैली का प्रयोग।

11. छंदों का बहुमुखी प्रयोग।

12. प्रशस्ति काव्य।

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