रीतिकाल में रचित नायिका-भेद निरूपक ग्रन्थ(ritikal mein rachit nayika-bhed niroopak granth)

🌺रीतिकाल में रचित नायिका-भेद निरूपक ग्रन्थ🌺

 

◆ काव्यशास्त्र से नायिका-भेद को सम्बद्ध करने का मौलिक श्रेय ‘अग्निपुराण’ को है।

 

◆ डॉ. नगेन्द्र ने ‘अग्निपुराण’ को भोज के ‘श्रृंगार-प्रकाश’ का प्रेरक ग्रन्थ मात्र कहा है।

 

◆ डॉ. नगेन्द्र के मत से नायक-नायिका भेद की परिपाटी का आदिम ग्रन्थ रुद्रभट्ट का ‘श्रृंगारतिलक’ ही माना जा सकता है।

 

◆ हिन्दी रीतिकाव्य में नायिका-भेद का आदि ग्रन्थ :- हिततरंगिणी(कृपाराम)

 

● आचार्य चिन्तामणि ;- श्रृंगारमंजरी

 

● कालिदास :- वधूविनोद

 

● यशोदानन्दन :- नायिकाभेद

 

● प्रतापसाहि :- व्यंग्यार्थ कौमुदी

 

● गिरिधरदास :- रसरत्नाकर

 

● गिरिधरदास :- उत्तरार्द्ध नायिका भेद

 

🌺रीतिकालीन नायिका-भेद निरूपक ग्रंथों की विशेषताएं:-

  • इन ग्रंथों में नायिका के विभिन्न भेदों, उपभेदों और उनके लक्षणों का विस्तृत वर्णन किया गया है।

  • इन ग्रंथों में नायिका के मनोभावों और स्थितियों का चित्रण अत्यंत सजीव और मार्मिक रूप से किया गया है।

  • इन ग्रंथों ने रीतिकालीन काव्य में नायिका-भेद चित्रण को अधिक परिष्कृत और कलात्मक बनाया।

 

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