रीतिकाल में रचित रसनिरूपक ग्रन्थ(ritikal mein rachit rasaniroopak granth)

🌺रीतिकाल में रचित रसनिरूपक ग्रन्थ🌺

◆ रस निरूपक कृतियों का आधार ग्रन्थ

 

● रुद्रट :- श्रृंगार तिलक

 

● भानुदत्त मिश्र :- रसतरंगिणी

 

● भानुदत्त मिश्र :- रसमंजरी

◆ रीतिकालीन रस-सम्बन्धी प्रमुख ग्रन्थ

● केशवदास :- रसिकप्रिया (प्रसिद्ध)

● मतिराम :- रसराज

● सुखदेव मिश्र :- रस रत्नाकर

● सुखदेव मिश्र :- रसार्णव

● देव :- भावविलास

● देव :- रसविलास

● देव :- भवानी-विलास

● देव :- सुजानविनोद

● कवीन्द्र :- रसचन्द्रोदय

● बेनी प्रवीन :- नवरस तरंग

● तोष :- सुधानिधि

● करन कवि :- रस कल्लोल

● कृष्णभट्ट :- श्रृंगार रसमाधुर्य

● याकूब :- रसभूषण

● भिखारीदास :- रससारांश

● भिखारीदास :- श्रृंगार निर्णय

● रसलीन :- रसप्रबोध

● समनेस :- रसिक विलास

 

● शिवनाथ :- रसविष्ट

● उजियारे :- जुगलप्रकाश

● उजियारे :- रसचन्द्रिका

● महाराजा रामसिंह :- रसनिवास

● सेवादास :- रसदर्पण

● बेनीबन्दीजन :- रसनिवास

● पद्माकर :- जगद्विनोद

● चन्द्रशेखर :- रसिकविनोद

● ग्वालकवि :- रसरंग

🌺श्रृंगार रस निरूपक ग्रन्थ🌺

 

● मण्डन :- रसरत्नावली

 

● मतिराम :- रसराज

 

● देव :- रसविलास

 

● सोमनाथ :- ‘रसनीयूषनिधि

 

● सोमनाथ :- श्रृंगार विलास

 

● उदयनाथ :- रस-चन्द्रोदय

 

● भिखारीदास :- श्रृंगार शिरोमणि

 

● रामसिंह :- रसनिवास

 

● कृष्ण कवि :- ‘गोविन्दविलास

 

🌺रीतिकालीन रसनिरूपक ग्रंथों की विशेषताएं:-

  • इन ग्रंथों में रसों के स्वरूप, उत्पत्ति, भेद, फल और उनके परस्पर संबंधों का विस्तृत विवेचन किया गया है।

  • इन ग्रंथों में रसों के विवेचन में अलंकारों, नायिका-भेदों और ध्वनि का भी सहारा लिया गया है।

  • इन ग्रंथों ने रीतिकालीन काव्य में रस-चित्रण को अधिक परिष्कृत और कलात्मक बनाया।

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