रेखाचित्र और संस्मरण(rekhachitr aur sansmaran) परिभाषा,विशेषताऐं एवं प्रमुख रेखाचित्र और संस्मरण

💐💐रेखाचित्र का अर्थ :-
• रेखाचित्र को अंग्रेजी के ‘स्केच’ के पर्यायवाची के रुप में हिंदी में प्रयुक्त किया जाता है।
• रेखा चित्र को शब्दचित्र भी कहा जाता है।

💐💐 रेखाचित्र की परिभाषा:-

• साहित्य में जिसे रेखाचित्र कहा जाता है वह वास्तविक में रेखाओं का चित्र न होकर शब्दों का चित्र होता है जिसमें न्यूनतम शब्दों के माध्यम से किसी वस्तु या व्यक्ति अथवा दृश्य का अंकन किया जाता है।

💐💐 रेखाचित्र की विशेषताएं:-

1. रेखा चित्र वास्तविक एवं काल्पनिक अधिक होते हैं।
2. रेखा चित्र में शब्दों की रेखाएं प्रस्तुत की जाती है।
3. रेखा चित्र का आधार वस्तु या व्यक्ति होता है।
4. रेखाचित्र को शब्दों के माध्यम से दृश्य श्रव्य स्पर्श अनुभूति का बिम्बीकरण भी कहा जाता है।
5. रेखाचित्र भावात्मक,चित्रात्मक, सांकेतिकता और प्रभावोत्पादकता होती है ।
6. रेखाचित्र में शब्दों के अतिरिक्त भी रेखाचित्रकार को संकेत सामर्थ्य से काम लेना चाहिए।

💐 संस्मरण 💐

💐💐संस्मरण का अर्थ :-
• संस्कृत शब्द सम्यक + स्मरण से मिलकर बना है। जिसका अर्थ है – विगत की स्मृतियों को अच्छी तरह से याद करना।
• साहित्य के संदर्भ में इसमें अतीत की घटनाओं का स्मरण किया जाता है।
• संस्करण लेखक एक दर्शक साक्षी एवं प्रत्यक्षदर्शी होता है।

💐💐 संस्मरण की विशेषताएंः-

1. संस्मरण लेखक कल्पनाप्रवण, भावुक उदारमना एवं गतिशील होता है ।
2. संस्मरण के स्मृत व्यक्ति के चरित्र का कोई एक पक्ष उद्घाटित होता है ।
3. संस्मरण लेखक में निजी जीवन के गहन अनुभवों द्वारा उसके संपर्क में आए व्यक्तिओं जीवों एवं वस्तुओं का भावपूर्ण सुखद चित्रण करता है।
4. संस्मरण की घटनाएं वर्णनात्मक होती है लेकिन इनसे व्यक्ति चरित्र का उद्घाटन होता है।
5. संस्मरण के माध्यम से महापुरुषों एवं अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति व घटनाओं के निकट संपर्क साधने का सुअवसर मिलता है।

💐💐रेखाचित्र और संस्मरण में अंतर :-

1. रेखाचित्र प्रसिद्ध लोगों द्वारा ही लिखा जाए यह कतई आवश्यक नहीं जबकि संस्मरण सामान्य प्रसिद्ध लोगों द्वारा लिखे जाते हैं।
2. रेखाचित्र में चारित्रिक विशेषताओं को निरूपित करने की वाला चित्र होता है जबकि संस्मरण केवल चित्रमात्र होकर चित्र का आईना भी होता है।
3. रेखाचित्र में चित्रकार की भांति कुछ प्रमुख रेखाओं को ही नहीं उभारता है जबकि संस्मरण में संपूर्ण परिस्थिति का बिम्ब – प्रतिबिम्ब भाव से वर्णन करता है।
4. रेखाचित्र में अधिकांशतः वस्तुपरक दृष्टिकोण से युक्त होते हैं जबकि संस्मरण आत्मपरक दृष्टिकोण से लिखे जाते है।
5. रेखाचित्र में देश और काल का कोई महत्व नहीं होता है जबकि संस्करण में कोई शैली निश्चित नहीं की जा सकती है।
6. रेखाचित्र में किसी शैली विशेष में ही लिखे जाते हैं जबकि संस्मरण में कोई शैली निश्चित नहीं की जा सकती है।

💐 हिंदी के प्रथम संस्करण :- पद्म पराग( 1929, पद्म सिंह शर्मा)

💐💐प्रमुख रेखाचित्र और संस्मरण 💐💐

• शिकार (1936) :- श्रीराम शर्मा【 हिंदी में शिकार साहित्य के प्रतिपादक】

• प्राणों का सौदा :- श्रीराम शर्मा

• जंगल के जीव :- श्रीराम शर्मा

• बोलती प्रतिमा :- श्रीराम शर्मा

• मिट्टी के पुतले :- प्रकाश चंद्र गुप्त

• पुरानी स्मृतियों नए स्केच :- प्रकाश चंद्र गुप्त

• टूटा तारा :- राधिकारमण प्रसाद सिंह

• समय के पांव :- माखनलाल चतुर्वेदी

• संस्मरण और श्रद्धांजलि :- रामधारी सिंह दिनकर

• बचपन की स्मृतियां :- राहुल सांकृत्यायन

• जिनके मैं कृतज्ञ :- राहुल सांकृत्यायन

• मेरे असहयोग के साथी :- राहुल सांकृत्यायन

• स्मृति कण :- सेठ गोविंद दास

• अतीत के गर्त से :- भगवती चरण वर्मा

• हम खंडहर के वासी :- भगवती चरण वर्मा

• तीस दिन मालवीय जी के साथ :- रामनरेश त्रिपाठी

• अतीत के चलचित्र :- महादेवी वर्मा

• स्मृति की रेखाएं :- महादेवी वर्मा

• पथ के साथी :- महादेवी वर्मा

• मेरा परिवार :- महादेव वर्मा

• गोर्की के संस्मरण :- इलाचंद्र जोशी

• स्मृति रेखा :- अज्ञेय

• यह और वे :- जैनेंद्र

• माटी की मूर्ति :- रामवृक्ष बेनीपुरी

• गेहूं और गुलाब :- रामवृक्ष बेनीपुरी

• लालतारा :- रामवृक्ष बेनीपुरी

• मील के पत्थर :- रामवृक्ष बेनीपुरी

• जंजीरें और दीवारें :- रामवृक्ष बेनीपुरी

• जिनके साथ जिया :- अमृतलाल नागर

• औरों के बहाने :- राजेंद्र यादव

• जिनकी याद हमेशा आती रहेगी :- अमृत राय

• याद हो के न याद हो :- काशीनाथ सिंह

• घर का जोगी जोगड़ा :- काशीनाथ सिंह

• सप्तपर्णी :- गिरिराज किशोर

• सृजन के सहयात्री :- रवींद्र कालिया

• हम हशमत :- कृष्णा सोबती

• रघुवीर सहाय : रचनाओं के बहाने एक संस्मरण :- मनोहर श्याम जोशी

• नए पुराने झरोखे के :- हरिवंश राय बच्चन

• वे दिन वे लोग :- शिवपूजन सहाय

• जिंदगी मुस्कुराई :- कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’

• मिट्टी हो गई सोना :- कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’

• दीप जले शंख बजे :- कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’

• भूले हुए चेहरे :- कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’

• मेरे हमदम मेरे दोस्त :- कमलेश्वर

• युगपुरुष : रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’

• दीवानखाना :- पद्मा सचदेव

• यह शमशेर भी है :- दूधनाथ सिंह

• अपने अपने रास्ते :- रामदरश मिश्र

• मैं जो कहूंगा सच कहूंगा :- कांति कुमार जैन

• नंगा तलाई गांव :- विश्वनाथ त्रिपाठी

• वन तुलसी गंध :- फणीश्वरनाथ रेणु

• समय की शिला पर :- फणीश्वरनाथ रेणु

• हम एक उम्र के वाकिफ है :- हरिशंकर परसाई

• जिन्होंने जीना जाना :- जगदीश चंद्र माथुर

• दस तस्वीरें :- जगदीश चंद्र माथुर

• चेहरे जाने पहचाने :- सेठ गोविंददास

• संस्मरण के सुमन :- डॉ. रामकुमार वर्मा

• लीक अलीक :- भारत भूषण अग्रवाल

• हमारे आराध्य :- बनारसी दास चतुर्वेदी

• रेखाचित्र :- बनारसीदास चतुर्वेदी

• सेतुबंध :- बनारसीदास चतुर्वेदी

• रेखा बोल उठी :- देवेंद्र सत्यार्थी

• यादों के काफिले :- देवेंद्र सत्यार्थी

• यादों के झरोखे :- कुंवर सुरेश सिंह

• जाने – अनजाने :- विष्णु प्रभाकर

• यादों की तीर्थयात्रा :- विष्णु प्रभाकर

• जाने-अनजाने :- विष्णु प्रभाकर

• मेरे अग्रज मेरे गीत :- विष्णु प्रभाकर

• चिड़िया रैन बसेरा :- विद्यानिवास मिश्र

• चेतना के बिम्ब :- डॉ.नगेंद्र

• वे दिन वे लोग :- शिवपूजन सहाय

• स्मृति शेष :- शिवपूजन सहाय

• मंटो मेरा दुश्मन :- उपेंद्र नाथ अश्क

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