विद्यापति की पदावली का परिचय(Vidyapati ki padavali ka parichay)

?विद्यापति की पदावली का परिचय?

• मैथिली भाषा:- विद्यापति की पदावली

• नायक :- कृष्ण

 

• नायिका :-राधा

 

• काव्य रूप :- गेह मुक्तक

• वयःसन्धि की नायिका :- राधा

• प्रमुख रस :- श्रृंगार रस

• इस कृति की रचना के लिए विद्यापति ने जयदेव के गीत – गोविंद का अपना आदर्श स्वीकार किया है।

• पदावली के पदों की संख्या :- 945( श्री नगेंद्र नाथ गुप्त के अनुसार )

 

• सबसे प्रमाणित संग्रह :- श्रीविमान बिहारी मजूमदार एवं श्री नगेंद्रनाथ ने किया।

• विद्यापति के पदों के तीन प्राचीन संग्रह प्राप्त होते हैं:-

1. एक संग्रह :- ताम्रपत्र लिखा जो मिथिला से प्राप्त हुआ। (विद्यापति के प्रपौत्र का लिखा हुआ ,इसमें 650 पद बचे हुए हैं )

2. दूसरा संग्रह :- हस्तलिखित प्रमाणित संग्रह नेपाल राज्य के पुस्तकालय में रखा गया है। (म. म. हरप्रसाद शास्त्री ने प्रथम इसे नेपाली दरबार के पुस्तकालय में देखा था , 300 पद)

3. तीसरा संग्रह:- राजतंरगिणी है, जो लोचन कवि द्वारा संग्रहित किया गया है। (लोचन ने लिखा है अपभ्रंश भाषा की रचना प्रथम विद्यापति ने की थी)

• विद्यापति की पदावली को विषय का दृश्य तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है :- (1.)भक्ति (2.)श्रृंगार (3.) विविध विषयक

• भक्ति विषयक पदों के अंतर्गत :- भगवान शिव शंकर, दुर्गा,गौरी,गंगा की स्तुतियां सम्मिलित है ।

 

• श्रृंगार पदों के अंतर्गत :- राधा – कृष्ण के विरह – मिलन हाव-भावों आदि का आकर्षण चित्रण

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