श्रावकाचार:-
• दिगम्बर जैन आचार्य देवसेन द्वारा कृत
• समय 933ई. या सवंत् 990
• इसमें 250 दोहों में श्रावक धर्म का वर्णन।
• गृहस्थ धर्म श्रावक धर्म का वर्णन केन्द्र है।
• इसमें साहित्यिक तत्वों का अभाव है।
• भाषा – अपभ्रंश
• पंक्ति –
जो जिण सासण भाषियउ सो मइ कहियउ सारु।
जो पालइ सइ भाउ करि सो सरि पावइ पारु।।
• जैन आचार्य देवसेन की अन्य रचनाएं:-
(1.) नयचक्र नाम के तीन ग्रंथ प्रसिद्ध है:-
• आलाप पद्धति (संस्कृत में)
• लघु नयचक्र (प्राकृत में)
• वृहत नयचक्र (प्राकृत में):- इसका वास्तविक नाम ‘दब्ब सहाव पयास‘(द्रव्य स्वभाव प्रकाश) है।
(2.) दर्शनसार (संवत् 990 में,धारानगरी में,प्राकृत भाषा में)
• जैन आचार्य देवसेन संस्कृत,प्राकृत एवं अपभ्रंश के ज्ञळ जैन आचार्य देवसेन थे।
• विशेषः- यद्यपि हिन्दी का प्रथम कवि सरहपा को माना जाता है किन्तु सरहपा की कोई एकीकृत रचना नही मिलने के कारण हिन्दी की प्रथम रचना श्रावकाचार है।
• हिन्दी की प्रथम महाकाव्य:- चन्दबरदाई द्वारा कृत पृथ्वीराजरासो (आ.रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार)
• हिन्दी का प्रथम महाकवि:- चन्दबरदाई (आ.रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार)
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