संदेश रासक का परिचय (Sandesh Rasak ka parichay)

🌺 संदेश रासक का परिचय 🌺

* रचयिता :- अब्दुल रहमान/अद्दहमाण

 

* 12वीं – 13वीं .शताब्दी की रचना मानते है।(आ. हजारी प्रसाद द्विवेदी )

* प्रेमकाव्य(विरह काव्य)

* प्रमुख रस – श्रृंगार रस

* भाषा :- अपभ्रंश

* कुल छन्द :- 223 छन्द

* इसमें प्रयुक्त हुए छंदों की संख्या :- 12

* सर्वाधिक रासा छन्द का प्रयोग(कुल रासा छन्द:-84 )

 

* इसमें नायिका के विरह निवेदन की प्रमुखता है।

 

* संदेश शासक में संदेश नायिका देती है नायक नहीं।

 

* तीन संस्करण :-
1. मुनि जिन विजय द्वारा संपादित (भारतीय विद्या भवन,मुंबई से प्रकाशित)

 

2. विश्वनाथ त्रिपाठी द्वारा संपादित (ग्रंथ रत्नाकर कार्यालय, मुंबई से प्रकाशित )

3. रास और रासान्वयी काव्य में प्रकाशित।

* इसमें मुल्तान का वर्णन एक बड़े और समृद्ध हिंदू तीर्थ के रूप में हुआ है और गौरी के आक्रमण के बाद उसकी समृद्धि सदैव के लिए मिट गई थी।

* संदेश रासक को प्रकाश में लाने का श्रेय अनेक दुर्लभ ग्रंथों के उद्धारकर्ता और अपभ्रंश भाषा के प्रसिद्ध पंडित श्री मुनि जिनविजय को है।

* संदेश रासक की प्रथम प्रति मिली :-1912 ई. में मुनि जी ने विजय ने पाटन स्थित जैन भंडार उसमें हस्तलिखित प्राचीन ग्रंथों की खोज प्रारंभ की और उसकी उसी समय संदेश राशि की एक प्रति बने प्राप्त हुई ।(17 पन्ने,लिपि कारक का नाम:- मानसागर )

 

* संदेश रासक की दूसरी प्रति मिली :- 1918 पुणे स्थित भंडारकार रिसर्च इन्सटीट्यूट के अन्तर्गत राजकीय हस्तलेख संग्रह के जैन विभाग की जांच करते समय।(12 पन्ने)

 

* संदेश रासक की तीसरी प्रति मिली :- मारवाड़ स्थित लोहावत के आचार्य जिनहरि सागर जी के भंडार में(इस प्रति का लेखन कार्य समाप्त :- हिसार दुर्ग में बुधवार, शुक्ल पक्ष, अष्टमी को )[28पन्ने] तीनों प्रतियों का प्रकाशन :- 1945 में

 

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