सिद्ध साहित्य की प्रवृतियां (sidh sahitya ki pravartiya)
1. योग के क्षेत्र में काया साधना की विभिन्न भूमिकाओं का निरूपण
2. ज्ञान की उपेक्षा
3. शून्यवाद की प्रतिष्ठा
4. तांत्रिक साधना के रूप में मद्य -मैथुन का सेवन (वाममार्गी साधना पद्धति)
5. वर्णाश्रम व्यवस्था रूढियों एवं बाह्याडंबरो का खण्डन
6. शांत एवं श्रृंगार रस की प्रधानता
7. अंतर्मुखी साधना पर बल
8. सद्गुरु की महत्ता का प्रतिपादन
9. संन्ध्या भाषा शैली का प्रयोग
10. पारिभाषिक एवं प्रतीकात्मक शब्दावली का प्रयोग
11. संगीतात्मकता
12. साधनात्मक रहस्यवाद
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