‘स्पीति में बारिश’ यात्रावृत्तांत (speeti mein barish yatravrttant)

        💐💐 स्पीति में बारिश  💐💐

◆ ‘स्पीति में बारिश’ यात्रावृत्तांत के रचयिता :-कृष्णनाथ

◆ स्पीति स्थान अपनी भौगोलिक एवं प्राकृतिक
विशेषताओं के कारण अन्य पर्वतीय स्थलों से
भिन्न है। लेखक ने इस पाठ मे स्पीति की
जनसंख्या ऋतु फसल, जलवायु तथा भूगोल
का वर्णन किया है जो परस्पर एक- दुसरे संबंधित है।

◆ इस यात्रावृत्तांत में दुर्गम क्षेत्र स्पीति में
रहने वाले लोगों के कठिनाई भरे जीवन का भी
वर्णन किया गया है।

◆ स्पीति में संचार – साधनों का अभाव

◆ स्पीति :- हिमालय प्रदेश के लाहुल –  स्पीति जिले की तहसील है।

◆ स्पीति के इतिहास का एक बड़ा कारक
है – अलंघ्य भूगोल( अलंघ्य का अर्थ :- जो लांघा या पार न किया जा सके।)

◆  लाहुल – स्पीति में साधनों के अभाव की वजह से  यहां के बादशाह के केलंग और काजा वायरलेस  सेट से ही वार्तालाप कर पाता है।

◆  स्पीति की स्थिति :-

★  स्पीति प्राचीन काल में भारतीय साम्राज्यों का अप्रसिद्ध अंग रही हैं।

★ जब ये साम्राज्य टूटे तो  भी यह स्वतंत्र रही।

★ मध्य युग में लद्दाख मंडल, कश्मीर मंडल,
बुशहर मंडल, कुल्लू मंडल और ब्रिटिश भारत
के तहत रही है परन्तु हमेशा यह स्वतंत्र रही है।

★ इसकी स्वतन्त्रता भूगोल ने रची है।

★  इसकी भूगोल ही रक्षा करता है और भूगोल ही अन्त (नष्ट) करता है।

★  केलंग और काजा राजाओं का कोई
पत्र ले जाने वाला आता था तो उसके आने
जाने में अल्प वसंत बीत जाता था।

√ हरकारा का अर्थ :- पत्र ले जाने वाला

★ स्पीति लोग पर जोरावरसिंह जैसे आक्रमणकारी ने जब डाइनामाइट का विस्फोट किया तो उससे बचने के लिए  लाहुली डर कर आँख बंद कर चांग्मा का तना पकड़ या एक- दुसरे को पकड़ कर  बैठ गये। ( यह जब डाइनामाइट का विस्फोट हुआ )

√ चांग्मा :- एक प्रकार के पेड़ का नाम

★ जोरावरसिंह द्वारा आक्रमणकारी हमलों से  बचने के लिए  स्पीति लोग जो तरीका अपनाते थे वह  तरीका लेखक ने तुपचिलिंग गोनपा में देखा था।

√ तुपचिलिंग गोनपा :- लाहुली का एक स्थान , यहां प्रसिद्ध बौद्ध मठ ।

√  गोम्पा या गोम्बा या गोनपा का अर्थ- एकान्त स्थान।

√  तिब्बती शैली में बने एक प्रकार के बौद्ध-मठ के भवन या भवनों को गोम्पा या गोम्बा या गोनपा कहते हैं।

★ स्पीति के लोगों पर जोरावरसिंह ने आक्रमण किया जिसके कारण स्पीति लोग घर छोड़कर भाग गए।

★ स्पीति के लोगों की सुरक्षा पद्धति को लेखक ने  तुपचिलिंग गोनपा में देखा।

स्पीति की जनसंख्या और क्षेत्रफल :-

★  जनसंख्या :-

√  3,231  (1901 की जनगणना के अनुसार)

√  7,196 (1971 की जनगणना के अनुसार )

√  34,000 ( 2002 की जनगणना अनुसार)

★ स्पीति का क्षेत्रफल :-

√ लाहुल-स्पीति को मिलाकर क्षेत्रफल :-
12,015 वर्ग किलोमीटर (1971 की जनगणना के अनुसार)

√  लाहुल-स्पीति का क्षेत्रफल- 12,210 वर्ग किलोमीटर (2002 की जनगणना के अनुसार)

√ स्पीति का अलग क्षेत्रफल नहीं दिया गया है।

√  स्पीति का क्षेत्रफल :-  2,155 वर्ग किलोमीटर 【इंपीरियल गजेटियर (ऑक्सफोर्ड,1908, खण्ड-2) के अनुसार】

★ स्पीति का  जनसंख्या घनत्व :-

√ स्पीति का प्रति वर्ग मील चार से भी
कम है।

√ 1901 में जनसंख्या प्रति वर्गमीत दो से
भी कम थी।

स्पीति की प्रशासन स्थिति :-

★ लाहुल – स्पीति का प्रशासन ब्रिटिश राज
क्रो 1846 ई. में कश्मीर के राजा गुलाब सिंह
जरिए मिला।

★ लाहुल-स्पीति को प्रशासन अंग्रेजी नलिए
लेना चाहते थे ताकि इसके जरिए पश्चिमी
तिब्बत के ऊन वाले क्षेत्र में प्रवेश कर सके।

★ लाहुल – स्पीति और कुल्लू 1846 में बिटिश
सरकार अधीनता में आए।

★ लाहुल-स्पीति और कुल्लू 1896 ई.  में सुपरिटेंडेंट के अधीन थे।

★ 1847 ई. में लाहुल-स्पीति और कुल्लू
को कांगडा जिले में सम्मिलित कर दिया।

★ जब स्पीति लद्दाख मंडल के अधीन था तब स्पीति का प्रशासन नोनो द्वारा चलाया जाता था।

★ ब्रिटिश भारत में कुल्लू  के असिस्टेट
कमिश्नर के समर्थन स्पीति में नोनो कार्य करता रहा।

★ नोनो का अधिकार क्षेत्र द्वितीय दरजे के मजिस्ट्रेट के बराबर था।

★ स्पीति के लोग ‘नोनो’को राजा मानते हैं।

★ स्पीति के लोग राजा नहीं होने पर ‘दमयंती’ को रानी मानते हैं।

★ लाहुल और स्पीति को विशेष दर्जा
स्पीति रेगुलेशन 1873 तहत् ब्रिटिश सरकार द्वारा दिया गया ।

★ स्पीति रेगुलेशन कब पास हुआ ?-1873

★ स्पीति रेगुलेशन 1873 के प्रभाव :-

√ लाहुल व स्पीति को विशेष दर्जा दिया।

√  ब्रिटिश भारत के अन्य कानून स्पीति में नही
होते थे।

√  लाहुल – स्पीति का स्थानीय अधिकार नोनो को दिए गए।

√ नोनो मालगुजारी को इकट्ठा करता तथा
फौजदारी के छोटे-छोटे मुकदमों का फैसला करता था।

√ अधिक बड़े मामले को कमिश्नर पास भेज देता था।

★ 1960ई. में लाहुल-स्पीति को एक जिले
के रूप में पंजाब राज्य के अन्तर्गत रखा। जिसका केन्द्र केलंग में है।

★ 1960 ई.  में पंजाब राज्य में लाहुल-स्पीति
को जिला बना देने बाद इसका जिला मुख्यालय
(केन्द्र) केलंग रहा ।

★ 1966 ई. में हिमाचल प्रदेश राज्य में लाहुल-स्पीति को जिले के रूप में रखा ।

★ लाहुल-स्पीति हिमाचल प्रदेश के उत्तरी छोर का जिला है।

★ लाहुल-स्पीति भारत देश का सबसे अधिक दुर्गम क्षेत्र है।

स्पीति स्थित :-  31. 42 और 32.59 उत्तर अक्षांश  और 77.26 और 78.42 पूर्व देशांतर के बीच स्थित है।

स्पीति के दुर्गम भू – भाग :-

★  स्पीति में चारो ओर दुर्गम पहाड़ जिनकी की ऊंचाई –  18000 फीट

स्पीति के चारों के पहाड़

√ पूर्व में –  तिब्बत (चीन)
√ पश्चिम में – लाहुल
√ दक्षिण में -किन्नौर (हिमाचल प्रदेश का जिला)
√ उत्तर में – लद्दाख (जम्मू कश्मीर)

◆ स्पीति  में नदी और घाटी :-

★ स्पीति के मुख्य घाटी का नाम :-  स्पीति नदी घाटी

★ स्पीति नदी :-

√ उद्गम स्थल :- पश्चिम हिमालय से 16000 फीट ऊंचाई से निकलती है।

√ फिर स्पीति के पूर्व में तिब्बत में बहती हुई वहां से स्पीति में आती है।

√ स्पीति से बहकर पुराने रामपुर ,बुशहर  फिर किन्नौर जिले में बहती हुई सतलुज नदी  में मिल जाती है।

√ लेखक का स्पीति नदी से प्रीति (प्रेम) है।

√ लेखक स्पीति में केवल स्पीति नदी को ही पहचामता है।

★ लेखक ने स्पीति नदी के अलावा किस नदी में बारे मे सुना था। :- पारा नदी

★ लेखक किसी से पारा नदी के बारे में सुना था।

★ स्पीति के अलावा पिन की घाटी प्रसिद्ध है।

★ पिन की घाटी के बारे मे लेखक ने ‘मान भाई’  से किस्सा सुना है।

★  पिन की घाटी अत्यंत बीहड़ और वीरान तथा  स्पीति की घाटी आबाद है।

★ स्वीति घाटी में प्रति वर्गमील में चार से कम लोग रहते है।

◆ लेखक को अचरज यह है कि इतने
लोग भी कैसे बसे हुए है ?

★ क्या अपने धर्म की रक्षा के लिए रहते है?

★ अपनी जन्मभूमि के ममत्व के कारण
रहते हैं?

★ इन मजबूरी में रहते हैं कि कही और जा नहीं सकते?

∆  कोई तर्क नहीं हैं। स्पीति में रहने को नहीं सिद्ध कर सकते है।

® अन्त में, स्वयं लेखक ने  यह  तर्क दिया : ज्यादा करके संसार और निर्वाण अंतर्क्य है। तर्क के परे है। (अंतर्क्य का अर्थ –  जिसके बारे मे तर्क न दिया जा सके।)

◆ स्पीति की पर्वत श्रेणियाँ :-

★ स्पीति के पहाड़ लाहुल से ज्यादा
ऊंचे, नंगे और भव्य है।

★  इन पहाड़ों के सिरों पर स्पीति के नर- नारियों की पीड़ा भी आवाज जमा हुआ है।

★ इन पहाड़ों पर हिम का आर्तनाद है।
ठिकुरन और तीव्र गलन है।(आर्तनाद का अर्थ :- दर्द भरी पुकार)

★ शिव का जोर का हंसाना नहीं है लेकिन
हिम की पीड़ा भरी आवाज है ।

★ स्पीति मध्य हिमालय की घाटी है।

★ स्केटिंग, सौंदर्य प्रतियोगिता आइसक्रीम
और छोले- भटूरे का कुल्ला –  मनाली,
शिमला, मसूरी, नैनीताल श्रीनगर यह सब हिमालय नही है बल्कि हिमालय के पहाड़ से नीचे का क्षेत्र हैं।

★ हिमालय के पहाड़ के नीचे के क्षेत्र
( कूल्ल – मनाली, शिमला, मैसूर,
नैनीताल,श्रीनगर) को शिवालिक या
पीरपंचाल कहते हैं।

★ शिवालिक या पीरपंचाल में ही लाहुल – स्पीति की घाटियाँ है।

★ लाहुल-स्पीति की घाटियाँ की औसत
ऊँचाई :-

√ स्पीति की घाटियाँ की ऊंचाई(समुद्र की सतह से) – 12,936 फीट (लगभग = 13000 फीट)
【श्री कलिंघम के अनुसार】

√ लाहुल की घाटियाँ की ऊंचाई (समुद्र की सतह से) -10,535 फीट 【श्री कलिंघम के अनुसार】

√ लाहुल की घाटियाँ 2,451 फीट कम ऊंची है
स्पीति की घाटियाँ से ।

★ स्पीति के उत्तर में :- बारालांचा श्रेणी

★  स्पीति के दक्षिण में :- मान श्रेणी

★ बारालाचा दर्रे की ऊँचाई :-  16221 फीट से
16.500 फीट का

★ बारालाचा पर्वत श्रेणी में दो चोटियों की
ऊंचाई :-  21,000 फीट से अधिक

★ बौद्ध के माने मंत्र  के नाम पर मान श्रेणी का पडा ।

★ बौद्ध का बीज मंत्र – “ओ मणि पद्मे हु”

√  “ओ मणि पद्मे हु” ध्वनि है मंत्र है जो ध्यान साधना के लिए प्रयुक्त होता है। बोधिसत्व
अवलोकितेश्वर  ने इस मंत्र का सबसे उच्चारण किया था। इसके उच्चारण करुणा की  उत्पत्ति होती है।

★ माने श्रेणी की ऊंचाई :- 21,646 फीट
(इंपीरियल गजेटियर के अनुसार)

★ माने श्रेणी  में छोटी-छोटी चोटियां की ऊंचाई – 17000 फीट

★ मध्य हिमालय में स्पीति स्थित है।

★  स्पीति में समुद्र की सतह से 13000 फीट ऊंचे बसे हैं। एक या दो गांव 14000 फीट की ऊंचाई पर है।

★मध्य हिमालय के पार बह्या हिमालय दिखता है।

★ बह्या हिमालय की एक चोटी :- 23,064 फीट

★ बह्या हिमालय  की कई चोटियां  20,000 फीट से अधिक है।

लेखक के महत्वपूर्ण कथन:-

√ मैं ऊँचाई के माप के चक्कर में नहीं हूँ। न इनसे होड़ लगाने के पक्ष में हूँ। वह एक बार लोसर में जो कर लिया सो बस है।
( लोसर :- स्पीति का आबादी नगर )

√ इन ऊँचाइयों से होड़ लगीना मृत्यु है।

√ उनका मान- मर्दन करना मर्द और औरत की शान है।

√ मैं सोचता हूँ कि देश और दुनिया के मैदानों से
और पहाड़ों से युवक – युवतियाँ आएं और पहले
तो स्वयं अपने अहंकार को गलाए- फिर इन
चोटियों के अहंकार को चूर करे ।

√ इस आनंद का अनुभव करे जो साहस
और कूवत से यौवन में ही प्राप्त होता है
(कूवत का अर्थ :- शक्ति)

★ माने की चोटियाँ बूढे लामाओं के जाप
से उदास हो गई।

★ माने की चोटियों की उदासी कैसे दूर हो?
युवक-युवतियाँ उछल-कूद करे हो यह भी हर्षित हो।

★ माने की चोटियों पर स्पीति की दर्द भरी पीड़ा ( आर्तनाद) जमा है।

★ माने की चोटियों पर स्पीति का आर्तनाद जमा है।

स्पीति की  ऋतुएं :-

★ स्पीति लाहुल-स्पीति में दो  ही ऋतुएं  है।

★ लाहुल – स्पीति में जून से सितंबर तक की एक अल्पकालिक वसंत ऋतु शेष शीत ऋतु होती है।

★ वसंत में जुलाई में औसत 15℃ (सेंटीग्रेड)

★ शीत ऋतु में जनवरी में औसत 8℃ (सेंटीग्रेड) रिकार्ड किया गया है। औसत से कुछ अंदाज नहीं लगता।

★ वसंत में दिन गरम होता है रात ठंडी होती है।

★ वसंत ऋतु में → 15℃ (सेंटीग्रेड) तापमान

★ शीत ऋतु में → 8℃ (सेंटीग्रेड) तापमान

★ स्पीति में वसंत लाहुल से कम दिनों का होता है।

★ स्पीति में वसंतऋतु में फूल नहीं लिखते न हरियाली, न वह गंध होती है।

★ स्पीति घाटी में दिसम्बर से बर्फ पड़ने  लगती है।

★ दिसम्बर से अप्रेल  या मई तक बर्फ रहती है।

★ स्पीति में ठंडक लाहुल से ज्यादा पड़ती है।

★ स्पीति में ठंडक पड़ने से नदी – नाले सब  जम जाते हैं।

★ स्पीति में हवाएं तेज चलती हो जिससे मुंह हाथ और जो खुले अंग हो उनमें जैसे शूल की तरह चुभती हो।

★ स्पीति में लाहुल से कम वर्षा होती है।

★ स्पीति मध्य हिमालय के अन्तर्गत आता है।

★ स्पीति में वर्षा की बहार नहीं है।

★ कालिदास को अपने ऋतु संहार में स्पीति घाटी की वर्षा का संहार करना पड़ेगा।

★ ऋतु संहार का शाब्दिक अर्थ :- ऋतुओं का संघात या समूह

★ दिसम्बर से अप्रेल-मई तक बर्फ पड़ती है।

★ जून से सितम्बर अल्पकालिक वसंत ऋतु।

★ अक्टूबर से मई शीत ऋतु।

★ स्पीति में एक वर्ष शीत ऋतु 8- 9 माह रहती है ।

★  कालिदास की ऋतु संहार में  वर्षा का ठाठ है।
” प्रिय!  जल की फुहारों से भरे बादलों के मतवाले हाथी पर चढ़ा हुआ चमकती हुई
बिजलियों की झंडियो को फहराता हुआ और
बादली की गरज के नगाड़े बजाता हुआ यह
कामीजनों का प्रिय प्रवास राजाओं का –
सा ठाट – बाट बनाकर पहुंचा।”
(कालिदास ने विध्यांचल में होने वाली वर्षा
का वर्णन किया।)

★ स्पीति मे पावस ऋतु नही होती है।

★ विध्यांचल जैसे शोभा हिमाचल की
इन मध्य की घाटियों (लाहुत-स्पीति की घाटियों) में नहीं हो।

★ लेखक ने कालिदास की पंक्ति के मध्यम
से विध्यांचल का सौन्दर्य लाहुल-स्पीति
के नर –  नारी समझ पाएंगे या नहीं।

★ वर्षा लाहुल –  स्पीति के लोगों की संवेदन
का अंग नहीं है ।

★ लाहुल – स्पीति के लोगों जानते हैं :-

“बरसात में नदियाँ बहती है, बादल बरसते
मस्त हाथी चिंघाड़ते हैं, जंगल हरे-भरे हो जाते
है, अपने प्यारों से बिछुड़ी हुई स्त्रियों रोती –
कलपती है, मोर नाचते है और बंदर चुप
मारकर गुफाओं में जा छिपते है।” (लेखक ने कहा)

★ कालिदास स्पीति में आकर यह बोले
” अपने बहुत से सुन्दर गुणों से सुहानी लगने वाली स्त्रियों का जी खिलाने वाली पेड़ो की टहनियों और बेलों की सच्ची सखी तथा सभी जीवों का प्राण बनी हुई वर्षा ऋतु आपके मन की सब साधे पूरी करे।”
कालिदास के कहने स्पीति वाले लोग यह
ही पूछेगें कि यह देवता कौन है ? कहाँ रहता है?यहाँ क्यों नहीं आता?

★ स्पीति में कभी –  कभी बारिश होती है।

★ वर्षा ऋतु स्पीति के लोगों की मन की इच्छा पूरी नहीं करती ।

★ वर्षा ऋतु स्पीति  के लोगों की मान की इच्छा पूरी करती  है।
★ वर्षा के बिना स्पीति की धरती सूखी ठंडी और बेकार (बांझ) रहती है।

स्पीति की फसले :-

★ स्पीति में साल में एक फसल होती है।

★ स्पीति की मुख्य फसलें  :-

√ जौ (जौ की दो किस्मे) प्रमुख

√ गेहूँ

√ मटर

√ सरसो

★ सिंचाई के साधन पहाड़ों  से आ रहे
नाले या उन पर बनाए कूल है।

★ ये नालिया पहाड़ों के किनारे – किनारे बहुत दूर तक जाती है।

★ स्पीति नदी का तट  इतना चौड़ा है कि
इसका पानी किसी काम में नहीं आ पाता है।

★ स्पीति में ऐसी भूमि बहुत है जो खेती के लायक बनाई जा सकती  है।
इन दो शर्त से :- (i) पहली शर्त भूमि को खेती लायक बनाने के लिए जल कुलीचा जाए । (जल कुलीचा :- जल को फेकना)
(ii)  दुसरी शर्त पानी का कोई और स्त्रोत पहुंचाया जाए।

★ स्पीति में फल नहीं होता है।
  स्पीति में सब्जी :- मटर, सरसो
  स्पीति में खाद्यान फसले में :- जौ,गेहूँ

★ स्पीति में इस वजह से पेड़ नहीं होते :-

(i) वायुमंडल के दबाव में कमी

(ii) ठंड की अधिकता

(iii) वर्षा की  कमी

★ स्पीति विशेषकर नंगी और वीरान है।

★ ” वर्षा यहाँ एक घटना है। एक सुखद
संयोग है।” लेखक का कथन

★ लेखक ने वर्षा की घटना काळा के
डाक बंगले में सो रहे थे तक खिड़की के
एक पहला की
आड से सुन रहा था।

★ स्पीति में वर्षा की घटना का वर्णन :-

√ घटना स्थान :-   काजा के डाक बंगले मे
√ घटना का समय – आधी रात का पिछला पहर

√  लेप की लौ तेज की खिड़की का एक पल्ला खोला ।

√ तो तेज हवा का झोका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा ।

√ मैंने पला भिड़ा दिया उसकी आड़ से देखने लगा ।

√ देखा कि बारिश हो रह रहीं थी।

√ मैं  उसे देख नही रहा था। सुन रहा था।

√ अंधेरा ठंड और हवा का झोका का रहा था। जैसे बरफ़ का अंश लिए तुषार जैसी बूंदे पड़ रही थी। जैसे नजाड़े पर थाव पड़ रही थी।

√ दुंगछेन को हवा बजा रही  थी।

√ महाशंख की ध्वनि घाटी में तैर रही थी।

√ स्पीति की घाटी में वर्षा हो रही थी।

√  कमरे में ठंड बढ़ रही थी।

★  लेखक कि सुबह उठा और चाय पीते –
पीते सुना कि स्पीति के लोग कह रहे है कि हमारी यात्रा शुभ है। स्पीति में बहुत दिनों बाद बारिश हुई है।

★ स्पीति के लोग ने लेखक की यात्रा को
शुभ इसलिए बताया कि लेखक को स्पीति में जाने के बाद बारिश हुई।

★ कृष्णनाथ का यह यात्रावृत्तांत आज से तीस साल पहले है।

जरा हटके :- 

★ स्पीति का अर्थ :-मध्य भूमि

★  स्पीति भारत और तिब्बत की सीमावर्ती भूमि

★ लोसर  :-  स्पीति का आबादी नगर
( अन्य आबादी नगर :-काजा,ताबो,समदो,चांगो)

★ लाहुल – स्पीति का जिला मुख्यालय  :-केलांग

★ स्पीति की 2011 जनगणना के अनुसार :-

1. जनसंख्या  :- 31,564
2. विकास दर :- -5.00%
3. लिंगानुपात :- 903
4.  साक्षरता :- 76.81
5.  क्षेत्रफल (वर्ग किलोमीटर ) :- 13,835
6. जनसंख्या घनत्व (प्रति किलोमीटर) :- 2

★ स्पीति नदी स्पीति में है जो किन्नौर जिले के खाब स्थान पर सतलुज में मिल जाती है।

★ स्पीति नदी की सहायक नदी :- पिन नदी

             ◆ कठिन शब्दार्थ

1. योगायोग :-  नियम
2.  अलंघ्य :- जिसे पार न किया जा सके
3.  सिरजी  :-  रची
4. संहार :-  अंत
5. हरकारा  :- डाकिया, संदेशवाहक
6.  दुर्गम  :- जहां जाना कठिन हो
7. वृत्तांत  :- हाल
8. प्रतिकार :- विरोध ना करना
9.  गजेटियर :- राजपत्र
10. मान –  मर्दन  :- कुचलना
11. कूवत :-  बल, शक्ति
12. किलोल  :- खेल
13. उलझना :- हाथ से डालना,फेंकना
14. कामीजन :- विलास करने वाले लोग
15.  पावस :-  वर्षा ऋतु का महीना
16. कलपति :-  चीत्कार करती
17. कूल :- दो बैलों जोतो जा सके इतनी धरती

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