हिंदी साहित्य और सिनेमा के संबंध[hindi sahity aur sinema ke sambandh]

हिंदी साहित्य और सिनेमा के संबंध

 

निर्देशक नानूभाई देसाई ने सेवासदन उपन्यास पर बाजारे हुस्न’ नाम से फिल्म का निर्माण किया।

प्रेमचंद ने ‘अंजता सिनेटोन’ के लिए कहानी लिखी तथा उस पर ‘गरीब मजदूर’ ‘मिल मजदूर’, ‘सेठ की बेटी’ आदि नामों से फिल्म प्रदर्शित हुई। मिल मजदूर मोहन भावनानी के निर्देशन में बनी।

◆ 1941 में ए.आर. कारदार ने प्रेमचंद की कहानी ‘त्रिया चरित्र’ को आधार बनाकर स्वामी’ नामक फिल्म बनाई।

प्रेमचंद की कई कृत्तियों पर फिल्में बनी -: गोदान ,दो बैलो की कथा,शतरंज के खिलाड़ी,सद्गति,गबन

‘शतरंज के खिलाड़ी‘ और ‘सद्गति’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ये दोनों फिल्में सत्यजीत रे के निर्देशन में बनी। ‘शतरंज के खिलाड़ी’ का निर्माण 1977 में किया गया।

‘सद्गति’ एक घंटे की फिल्म है जिसे सत्यजीत रे ने दूरदर्शन के लिए बनाया गया।

‘गबन’ पर निर्देशक हर्षिकेश मुखर्जी र्न इसी नाम से फिल्म का निर्माण किया।

◆ गुलजार ने प्रेमचंद के उपन्यासों, कहानियों (गोदान, निर्मला, पूस की रात ) आदि पर फिल्में बनाई है।

भगवतीचरण वर्मा के लिखे उपन्यास ‘चित्रलेखा’ पर इसी नाम से 1964 में केदार शर्मा के निर्देशन में फिल्म बनी। जिसकी पटकथा भगवतीचरण वर्मा ने ही लिखी। बाम्बे टाकीज में भगवतीचरण वर्मा ने ‘किस्मत‘ नामक फिल्म के संवाद लिखे।

अमृतलाल नागर ने बम्बई डिया आर्टिस्ट लि. संस्था में काम किया था। उनकी पहली फिल्म का नाम ‘बहुरानी’ था।

उपेन्द्रनाथ अश्क ने सन् 1945 में ‘मजदूर’ तथा ‘सफर‘ की पटकथा एवं संवाद लिखे ।

◆ 1960 चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी ‘उसने कहा था’ पर इसी नाम से फिल्म बनायी गयी ।

आचार्य चतुर सेन शास्त्री के उपन्यास ‘धर्मपुत्र‘ पर इसी नाम से निर्देशक यश चोपड़ा ने फिल्म का निर्माण किया ।

चतुर सेन शास्त्री के एक और उपन्यास ‘वैशाली की नगर वधू‘ पर 1966 ई. में ‘आम्रपाली’ नाम से फिल्म बनाई गयी । जिसका निर्देशन लेखटंडन ने किया।

कमलेश्वर ने अनेक फिल्मों की कथाएँ, पटकथाएँ एवं संवाद लिखी जिनमें है :-
1. सौतन की बेटी(संवाद)
2. लैला (संवाद, पटकथा)
3. यह देश (संवाद)
4.रंग-बिरंगी (कहानी)
5. सौतन (संवाद)
6. साजन की सहेली (संवाद)
7. राम बलराम(संवाद, पटकथा)

कमलेश्वर के उपन्यास ‘काली आधी‘ पर निर्देशक गुलजार ने ‘आधी’ नाम से फिल्म का निर्माण 1975ई. में किया। फिल्म का निर्देशन व पटकथा स्वयं गुलजार ने लिखी ।

कमलेश्वर के एक और उपन्यास ‘आगामी अतीत’ पर ‘मौसम’ नाम से गुलजार ने फिल्म बनाई।

◆ प्रेम कपुर ने कमलेश्वर के उपन्यास ‘सात सड़क सत्तावन गलियाँ‘ पर ‘बदनाम बस्ती’ नाम से फिल्म बनाई।

गरीश रंजन ने ‘डाकबंगला‘ पर फिल्म बनाई।

शिवेन्द्र सिन्हा ने कमलेश्वर की कहानी ‘तलाश‘ पर ‘फिर भी’ शीर्षक से फिल्म बनाई।

रमेश बक्षी का महत्वपूर्ण उपन्यास ‘अट्ठारह सूरज के पौधे पर अवतार कौल ने ’27 डाउन’ नाम से फिल्म बनाई ।

◆ 1966 में फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘मारे गए गुलफाम पर बासु चटर्जी ने ‘तीसरी कसम’ नाम से फिल्म बनायी। इसके निर्माता गीतकार शैलेन्द्र है।

बासु चटर्जी राजेन्द्र यादव के उपन्यास ‘सारा आकाश’ (1969) और मन्नू भंडारी की कहानी ‘यही सच है’ पर ‘रजनी गंधा’ (1974) नाम से फिल्म का निर्माण किया।

जैनेन्द्र के उपन्यास ‘त्यागपत्र’ पर रमेश गुप्त ने फिल्म का निर्माण किया।

कुसुम अंसल के उपन्यास ‘एक और पंचवटी’ पर ‘पंचवटी’ नाम से फिल्म बनी।

निर्मल वर्मा की कहानी’ मायादर्पण’ पर कुमार साहनी ने फिल्म बनाई। इसके संवाद निर्मल वर्मा ने ही लिखे। इसे उस वर्ष की सर्वश्रेष्ठ फिल्म घोषित किया गया था।

मणिकौल ने ‘उसकी रोटी’ फिल्म का निर्माण किया जो मोहन राकेश के कहानी पर आधारित थी।

मोहन राकेश का नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ पर मणि कौल ने फिल्म बनायी ।

मुक्तिबोध का ‘सतह से उठता आदमी’ और विनोद कुमार शुक्ल का उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ पर इसी नाम से फिल्म बनाई।

शैवाल की लिखी कहानी ‘कालसूत्र’ पर ‘दामुल’ नाम से प्रकाश झा ने फिल्म का निर्माण किया।

धर्मवीर भारती का उपन्यास ‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ पर इसी नाम से निर्देशक श्याम बेनेगल ने 1992 ई. में फिल्म बनाई।

अमृता प्रीतम की लिखी उपन्यास ‘पिंजर’ पर निर्देशक डॉ. चन्द्रप्रकाश द्विवेदी ने इसी नाम से फिल्म बनाई।

नरेन्द्र शर्मा ने बाम्बे टाकीज की फिल्म ‘बंधन’ में पहली बार गीत लिखे। उन्होंने मेरा सुहाग, नरसिंह अवतार, भाभी की चूड़ियाँ, तथा सत्यं शिवं सुदरम् जैसी हिन्दी फिल्मों के लिए गीत लिखे।

हरिवंश राय बच्चन ने अलाप, मिली, सिलसिला, फिर भी आदि फिल्मों के लिये गीत लिखे ।

 

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