◆ सर्वप्रथम भारत में प्रिंटिग प्रेस लाने का श्रेय पुर्तग़ालियों को दिया जाता है।
◆ भारत में सबसे पहले प्रेस :- गोवा में (जनवरी,1556 -57 ई.) (यह प्रेस पुर्तगाल से अबीसीनिया के लिए भेजा गया था। उन दिनों में स्वेज नहर नहीं बनी थी और अबीसीनिया के लिए भारत होकर जाना पड़ता था। अबीसीनिया के लिए मनोनीत पेट्रिआर्क प्रेस के साथ थे। मार्ग में वे गोवा रुके। जनवरी, 1556-57 ई. में जब वे अबीसीनिया लिया जाने की तैयारी कर रहे थे कि राजनीतिक कारणों से गोवा के गवर्नर ने इनको वहां रोक लिया। इस प्रकार यह प्रेस गोवा में ही रह गया।)
★ भारत का पहला प्रिंटिंग प्रेस 1556 में सेंट पॉल कॉलेज, गोवा में स्थापित किया गया था।
★ दूसरा प्रेस :- बम्बई में (1674-75 ई.,सूरत
निवासी भीमजी पारिख के द्वारा)
√ पहला प्रिंटिंग प्रेस भारतीय द्वारा स्थापित।
★ तीसरी प्रेस :- तनजोर जिले के तिनकोवर स्थान
में (1712ई., डेनमार्क के मिशनरियों के द्वारा)
◆ भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी पहली प्रेस 1664 में बंबई में स्थापित की थी।
◆ हिंदी पत्रकारिता का सर्वप्रथम केंद्र :- कोलकाता
◆ हिंदी पत्रकारिता के केंद्र (क्रमशः) :-
© कोलकाता :- उदंत मार्तंड, साप्ताहिक पत्र,1826 ई.
© बनारस (वाराणसी) :- बनारस अखबार
√ साप्ताहिक पत्र, 1845 ई.
√ संपादक :- पंडित गोविंद रघुनाथ
√ प्रकाशन :- राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद के द्वारा
√ हिंदी का दूसरा साप्ताहिक पत्र
√ उत्तर प्रदेश में प्रकाशित होने वाला हिंदी का
पहला साप्ताहिक पत्र
© आगरा :- बुद्धि प्रकाश (साप्ताहिक, 1852 ई.)
संपादक – सदा सुख लाल
© इलाहाबाद :- वृत्तांत दर्पण (1868 ई.)
संपादक – सदा सुख लाल
1. बंगाल गेजेट :-
★ एशिया व भारत का प्रकाशित होने वाला अंग्रेजी भाषा का पहला समाचार पत्र था।
★ भारत में सर्वप्रथम प्रकाशित होने वाला समाचार पत्र
★ भारत में आधुनिक पत्रकारिता का आरंभ
★ 29 जनवरी 1780ई. में, कलकत्ता से,साप्ताहिक पत्र
★ सम्पादक :- जेम्स आगस्ट हिक्की के द्वारा (अंग्रेज)
★ इसे द कलकत्ता जनरल ऐडवरटाइजर और हिक्की गजट नाम से भी जाना जाता है।
★ अखबार दो साल के लिए प्रकाशित हुआ ।
2. उदंत मार्तंड :-
★ उदन्त मार्तण्ड का शाब्दिक अर्थ है ‘समाचार-सूर्य
★हिंदी पहला का पत्र
★ हिंदी का प्रथम साप्ताहिक पत्र
★ यह पत्र पुस्तकाकार (12×8) छपता था।
★ प्रकाशन :- 30 मई 1826 ई., प्रति मंगलवार को
【 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है।】
★ इस पत्र का प्रकाशन होता था :- कलकता के कोलू टोला मोहल्ले की 37 नंबर आमड़तल्ला गली से
★ प्रकाशक और संपादक :- पंडित जुगल किशोर शुक्ल (अभिलेखों में इनका नाम युगल किशोर शुक्ल भी मिलता )
√ कानपुर निवासी
√ यह कलकत्ता के सदर दीवानी अदालत में
प्रोसिडिंग रीडर थे किंतु बाद में वही वकालत
करने लगे।
√ इनका उद्देश्य ‘हिंदुस्तानियों के हितार्थ’ था।
★ इसके प्रथम पृष्ठ पर लिखा था :-
उदंत मार्तंड
अर्थात्
दिवाकान्तकान्ति बिना ध्वान्तान्त न चाप्नोति
तद्वज्जगत्यज्ञ लोकः।
समाचार सेवामृते ज्ञप्तमाप्तुं न शक्तनोति
तमारुरोमीति यानः।।
(प्रथम अंक ,ज्येष्ठ बदि 9 संवत् 1883)
★ इसके प्रथम अंक के अन्तिम में यह श्लोक :-
“युगुत किशोर कथयति धीर सविनयमेतत् सुकुलवंशः।
उदित दिनकृत सति मार्तण्डे तडत् लोक उदन्त।।”
★ प्रथम अंक में श्रीमान गवर्नर जनरल बहादुर का सभा वर्णन प्रकाशित हुआ। (उस समय भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड अमहर्स्ट थे)
★ अंतिम अंक में संपादक ने लिखा था :-
” आज दिवस लौ उग चुक्यो मार्तण्ड उदन्त।
अस्ताचल को जात है दिनकर दिन अब अंत।”
★ सरकार ने इस पत्रिका को निकालने का
अधिकार(लाइसेंस) पत्र दिया :-
16 फरवरी 1826 ई.को
( क्योंकि समाचार पत्र प्रकाशित करने से पूर्व संचालक को भारत सरकार से पत्र – प्रकाशन का लाइसेन्स लेना पड़ता था।)
★ प्रकाशित कुल अंक :- 79 अंक(1826 में 31 अंक और 1827 में 48 अंक प्रकाशित)
★ अंतिम 79 वां अंक :- 27 नवंबर 1827ई. को प्रकाशित ।
★ 4 दिसंबर,1827 ई. को यह अखबार बंद हो गया।
3. बंगदूत :-
★ 10 मई 1829 ई., कलकत्ता से
★ साप्ताहिक पत्र
★ संपादक :- नीलरतन हालदार
★ प्रकाशक :- राजा राममोहन राय
★ यह पत्र रविवार को निकलता था।
★ 10 मई 1829 ई.
★ यह एक साथ चार भाषाओं- बांग्ला, हिन्दी,
उर्दू व बनारसी में छपनेवाली पत्रिका थी।
4. मजहरूल – सरूर :-
★ राजस्थान का सर्वप्रथम पत्र
★ मासिक पत्र
★ 1849 ई. भरतपुर से प्रकाशित
★ द्विभाषी पत्र(उर्दू तथा हिंदी में)
5. कवि वचन सुधा :-
★ 1868 ई. में भारतेंदु हरिश्चंद्र,काशी से
★ इसमें कविताओं का संग्रह रहता था।
★ पहले मासिक पत्रिका,बाद में पाक्षिक, फिर
साप्ताहिक। (क्रमशः मासिक,पाक्षिक,साप्ताहिक)
★ हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रचलित
★ इसका सिद्धांत वाक्य :-
” खल गगन सौ दुखीमति होहि,हरिपद अति रहै।
अपधर्म छूटे, स्वत्व निज भारत गहै,कर दुख बहै।।
बुध तजहि मत्सर नारि नर सम होहि, जग आनंद रहै।
तजि गम कविता, सुकविजन की अमृत पानी सब कहै।।
6. हरिश्चंद्र मैगजीन :-
★ 1873 ई. में काशी से, भारतेंदु के द्वारा
★ 1874 ई. इसका नाम बदलकर हरिश्चंद्र चंद्रिका कर दिया। (शुरुआती आठ अंकों के बाद अर्थात नवें
अंक में हरिश्चंद्र चंद्रिका नाम रखा गया था।)
★ मासिक पत्रिका
★ इसमें कविता, आलोचना, उपन्यास,इतिहास,
राजनीतिक और पुरातत्व आदि विषयों का लेख
निकलते थे।
★ “जिस प्यारी हिंदी को देश ने अपनी विभूति समझा, जिसको जनता ने उत्कंठापूर्वक दौड़कर अपनाया उसका दर्शन हरिश्चंद्रचंद्रिका में हुआ है।”(आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार)
★ हिंदी गद्य का परिष्कृत रूप प्रारंभ में हरिश्चंद्र चंद्रिका में प्रकट हुआ।
7. बालबोधिनी :-
★ मासिक पत्रिका
★ 1 जनवरी 1874 ई. में भारतेंदु की स्त्रियों के लिए
यह पत्रिका काशी से निकली।
★ इसमें स्त्री के लिए कुछ उपदेश भी रहते थे।
★ उद्देश्य :- स्त्री शिक्षा के प्रसार करना।
8. हिंदी प्रदीप :-
★ 7 सितंबर 1877 ई.
★ इस पत्र का विमोचन भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने किया था।
★ हिंदी प्रवर्धनी सभा के माध्यम से, बालकृष्ण भट्ट के द्वारा,प्रयाग से (16 पृष्ठों में)
★ हिंदी प्रदीप के मुखपृष्ठ पर लिखा था :-
”शुभ सरस देश सनेह पूरित, प्रगट होए आनंद भरै।
बलि दुसह दुर्जन वायु सो मनिदीप समथिर नहिं टरै।
सूझै विवेक विचार उन्नति कुमति सब या मे जरै।
हिंदी प्रदीप प्रकाश मूरख तादि भारत तम हरै।।”
★ हिंदी प्रदीप के मुखपृष्ठ पर लिखा था- प्रदीप से कई लेखकों का अभ्युदय हुआ। इनमें राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन, आगम शरण, पंडित माधव शुक्ल, मदन मोहन शुक्ल, परसन और श्रीधर पाठक आदि थे।
★ हिंदी प्रदीप में नाटक, उपन्यास, समाचार और निबंध सभी छपते थे।
★ “हिंदी प्रदीप गद्य साहित्य का ढर्रा निकालने के लिए ही निकाला गया था।” (आ. रामचंद्र शुक्ल के अनुसार )
★ अप्रैल 1908 ई. के चौथे अंक में इस पत्रिका में पंडित मालव शुक्ल की ‘बम क्या है ‘ शीर्षक से एक कविता छिपी। जिससे सरकार क्रोधित होकर इसके प्रकाशन पर सरकार ने रोक लगा दी और उन्होंने पत्रिका पर तीन हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया। उस समय भट्ट जी के पास भोजन तक के पैसे नहीं थे, जमानत कहां से भरते। विवश होकर उन्हें पत्रिका बंद करनी पड़ी।
9. भारतेंदु मित्र :-
★ 1878 ई. में, कोलकाता से
★ संस्थापक :-
• पंडित छोटू लाल मिश्र
• पंडित दुर्गा प्रसाद मिश्र
★ संपादक :- अंबिका प्रसाद वाजपेयी
★ लेखक लेख छपते थे:- भारतेंदु के, स्वामी दयानंद
सरस्वती के, बालमुकुंद गुप्त के।
10. ब्राह्मण :-
★ 15 मार्च 1883 को, होली के दिन, कानपुर से
★ सम्पादक :- प्रतापनारायण मिश्र
★ मासिक पत्र
★ जब इसे अर्थाभाव रहने लगा तब पटना के खंग विलास प्रेस के मालिक बाबूरामदीन सिंह ने खरीद लिया। कुछ दिनों तक पटना में से निकला।
★ इस पत्रिका को निकालने वाले लखनऊ के बाबू गंगा प्रसाद वर्मा थे।
11. वैष्णव पत्रिका :-
★ 1884 ई.में भागलपुर से,पं.अंबिकादत्त व्यास के
द्वारा।
★ 1884 ई. इसका नाम पीयूष प्रवाह कर दिया गया।
12. हिन्दी बंगवासी :-
★ 1890 ई. में कोलकाता से,सप्ताहिक पत्रिका
★ प्रथम संपादक :- पंडित अमृत चक्रवर्ती
★ जनता की भावनाओं को व्यक्त करने वाली पत्रिका
★ ताजा समाचार सस्ते में देने वाला पत्र (साल के 2 रूपये)
13. नागरी प्रचारिणी पत्रिका :-
★ 1896 ई.में
★ त्रैमासिक पत्रिका और शोध पत्रिका
★ प्रथम संपादक :- बाबू श्यामसुंदर दास,
महामहोपाध्याय पं.सुधाकर द्विवेदी,कालीदास,राधाकृष्ण दास।
★ मासिक बनी जिसके संपादक :- श्यामसुंदर दास, आ. रामचंद्रशुक्ल, डॉ. रामचंद्र वर्मा, बेनी प्रसाद
★ 1920 ई. में पुनः त्रैमासिक पत्रिका बना।
★ इसके संपादक :- पं. गौरीशंकर हीराचंद ओझा,
श्री श्यामसुंदर दास, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, मुंशी देवी प्रसाद
★ इस पत्रिका में हिंदी साहित्य तथा इतिहास पर प्रभाव डालने वाले महत्वपूर्ण शोध लेख छपते थे।
14. समालोचक :-
★ चंद्रधर शर्मा गुलेरी द्वारा ,
★ 1901 ई.में ,जयपुर से
★ 1903 ई.में पत्र बन्द हो गया।
15. इंदु :-
★ 1909 ई. काशी से, जयशंकर प्रसाद के द्वारा
★ संपादक :- अंबिका प्रसाद( जयशंकर प्रसाद के
भानजे)
★ इसके मुख्य पृष्ठ पर लिखा :-
” सुखद सुशीतल राशि बरबि सुधा शिव भालते।
चहुंदिशि कला प्रकाशि इन्दु सकल मंगल करे।।”
16. मर्यादा :-
★ 1909 में, अभ्युदय प्रेस,प्रयाग से प्रकाशित
★ इसके प्रेरणा स्रोत :- पंडित मदन मोहन मालवीय
★ संपादन :- पंडित कृष्णकांत मालवीय
(गणेश शंकर विद्यार्थी के शिष्य)
★ राजनीतिक प्रधान मासिक पत्रिका
★ हिंदू विश्वविद्यालय की परिकल्पना सबसे पहले ‘मर्यादा पत्रिका’ में निकली थी।
★ इसका बाद में यह काशी से निकलने लगी।
★ इसके अन्य संपादक :-
• बाबू प्रकाश
• संपूर्णानंद
17. प्रभा :-
★ अप्रैल 1913 ई. में, खंडवा से
★ संपादक :- कालूराम गंगराड़े
★ मासिक पत्रिका
★ इस पत्रिका का आदर्श इंग्लैंड से प्रकाशित होने वाला ‘रिव्यू और रिव्यू’ था ।
★ पृष्ठों की संख्या :- 60 से 70 तक (वार्षिक मूल्य 3 रूपये, बाद में 4 रूपये)
★ इस पत्रिका के संपादक रहे :-
• गणेश शंकर विद्यार्थी
• देवदत्त शर्मा
• कृष्ण पालीवाल (1921 ई.से 1922 ई. तक)
• माखनलाल चतुर्वेदी (1922 ई.से 1923 ई. तक)
• बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ (1923 ई.से 1927 ई. तक)
18. माधुरी :-
★ 30 जुलाई 1922 , लखनऊ से (प्रकाशन :- नवल किशोर प्रेस से)
★ मासिक पत्रिका
★ संस्थापक :- विष्णुनारायण भार्गव
★ संपादक रहे :-
• दुलारे लाल भार्गव
• रूप नारायण पांडे
• प्रेमचंद
• कृष्ण बिहारी
• सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
• शिवपूजन सहाय
★ पृष्ठ संख्या :- 104 (वार्षिक मूल्य 6 )
★ इस पत्रिका पर लिखा था :- ” विविध – विषय – भूषित साहित्य संबंधी सचित्र मासिक पत्र “
★ प्रथम अंक के मुख्य पृष्ठ पर यह दोहा :-
“सिता, मधुर मधु अधर तिय सुधा माधुरी धन्य।
पै नव – रस – साहित्य की यह माधुरी अनन्य।।”
★ इसके प्रमुख स्तंभ :-
• विविध विषय
• सुमन संचय
• विज्ञान वाटिका
• महिला मनोरंजन
• पुस्तक परिचय
★ छायावाद की सबसे लोकप्रिय पत्रिका
19. चाँद :-
★ नवंबर 1922 ई. में,इलाहाबाद से, रामरख सिंह
सहगल के द्वारा
★ इसके प्रथम अंक संपादक के रूप में दो व्यक्तियों के नाम छपा :-
• रामरख सिंह सहगल
• नंदकिशोर तिवारी
★ इस पत्र के संपादक :-
• रामरख सिंह सहगल (1922 से 1931 तक , इनकी संचालिका विद्यावती सहगल (रामरख सिंह सहगल की पत्नी और महादेवी वर्मा की शिक्षिका थीं।)
• नन्द किशोर तिवारी
• मुंशी नवजादिक लाल
• महादेवी वर्मा
• नंद गोपाल सिंह सहगल
★ इस पत्रिका में राजनीतिक क्रांति से संबंधित लेखों का प्रचार आरंभ किया ।
★ इस पत्रिका में नारी जीवन से सम्बंधित चर्चा अधिक रहती थी।
★ चाँद पत्रिका का ‘मारवाड़ी’ अंक अपने समय में
बहुचर्चित रहा।
★ चाँद पत्रिका का ‘फांसी’ अंक प्रसिद्ध :-
√ चाँद के सातवें वर्ष का प्रथम अंक था
√ नवम्बर,1928 में ,दिवाली के दिन प्रकाशित
√ 325 पृष्ठों का
√ चाँद के इस अंक को अंग्रेज़ सरकार ने प्रतिबंधित
कर दिया।
√ अंग्रेज़ सरकार ने चाँद के इस अंक को ज़ब्त कर
लिया।
√ इस अंक में फाँसी पर चढ़ाए गए शहीद पत्रकारों के जीवनवृत्त, फ्रांस की स्त्रियों, यूरोप, स्कॉटलैन्ड, रोम आदि प्रसिद्ध देशों के नायक-नायिकाओं के बलिदानों की कहानी से संबंधित सामग्री आदि अंकित हैं।
★ चाँद पत्रिका का ‘अछूत’ अंक(कुल 54 लेख है) को हिंदी साहित्य में दलित चेतना और चिंतन का पर्याय माना जा सकता है।
★ इसमें उच्च कोटि के सामाजिक और राजनीतिक
लेख निकलते थे।
20. मतवाला :-
★ 23 अगस्त 1923 ई.में ,कोलकाता से
★ साप्ताहिक पत्रिका
★ इसके प्रकाशन की प्रेरणा बांग्ला सप्ताहिक पत्र
‘अवतार’ से मिली थी।
★ हास्य रस का पत्र
★ मुंशी नवजादिक लाल ने इस पत्र का नामकरण 21 अगस्त 1923, सोमवार किया।
★ प्रकाशक ,संचालक और संपादक :- महादेव प्रसाद सेठ
★ अपने समय में उदीयमान साहित्यकारों का केंद्र था। इसे मतवाला मंडल भी कहते थे।
★ मतवाला मंडल में शामिल प्रमुख कवि :-
• मुंशी नवजादि कलाल
• महादेव प्रसाद सेठ (बालकृष्ण प्रेस के मालिक)
• सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
• शिवपूजन सहाय
• पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’
★ इस पत्रिका का मोटो :-
” अमिय गरल – रवि – शशिकर सीकर राग – विराग भरा प्याला।
पीते हैं जो साधक उनका प्यारा है यह मतवाला।।”
(यह मोटो निराला ने ही तैयार किया था।)
★ प्रति प्याला :- दो पैसा (पत्र के मुख्य पृष्ठ पर लिखा)
★ वार्षिक बोतल :- दो रूपया पेशगी(पत्र के मुख्य पृष्ठ पर लिखा)
★ खीचो न कमान न तलवार निकालो।
जब तोप मैकाबिल है तो अखबार निकालो।।( इस पत्र का दोहा)
★ इसके पहले अंक में ही रक्षाबंधन पर निराला कविता छपी थी।
★ निराला इस पत्र में गर्जन सिंह वर्मा, मतवाले,
जनाबआलि, शौहर आदि नामों से लिखते थे।
21. सैनिक :-
★ 1925 में, आगरा से,
★ साप्ताहिक पत्र
★ संपादक :- कृष्ण दत्त पालीवाल
★ 1931ई.से दैनिक रूप में प्रकाशित होने लगा ।
★ सरकार द्वारा जमानत मांगे जाने के कारण यह बंद हो गया।
22. बालक :-
★ 1926 ई.में , पटना से,
★ पुस्तक भंडार लहेरिया सराय के मालिक श्री राम लोचन शरण के द्वारा प्रकाशन।
★ मासिक पत्र
★ इसके संपादक रहे :-
• शिवपूजन सहाय
• रामवृक्ष बेनीपुरी
• अच्युतानंद दास
★ यह मुख्य रूप से शिक्षा संबंधित पत्र।
★ इसके आरंभ में साहित्यिक प्रवृत्तियों का विश्लेषण भी हुआ।
★ इसका ‘भारतेंदु अकं तथा चरित्रांक’ महत्वपूर्ण निकले थे ।
23. सुधा :–
★ 1927 ई.में, लखनऊ से
★ माधुरी से अपना संबंध त्यागकर श्री दुलारे लाल भार्गव ने इस पत्रिका का प्रकाशन किया।
★ विविध – विषय विभूषित साहित्य संबंधित सचित्र मासिक पत्र।
★ संपादक :-
• दुलारे लाल भार्गव
• रूपनारायण पांडेय
• नंदकिशोर तिवारी
★ इस पत्र का उद्देश्य :- बेहतर साहित्य उत्पन्न करना, नए लेखकों को प्रोत्साहन देना, कृतियों को पुरस्कृत करना व विविध विषयों पर लेख छापना था।
24. त्यागभूमि :-
★ विजयदशमी संवत् 1984 (1927 ई.) में ,अजमेर से प्रकाशित।
★ मासिक पत्रिका
★ संपादक :-
• पंडित हरिभाऊ उपाध्याय
• क्षेमानंद ‘राहत’
★ इसके मुख्य पृष्ठ पर लिखा था :-
” राजस्थान की जीवन जागृति,बल और बलिदान की पत्रिका”
★ कुल पृष्ठ :- 66 पृष्ठ (वार्षिक मूल्य – 4)
25. विशाल भारत:-
• जनवरी 1928 ई. में, कोलकाता से
• संस्थापक :- अंग्रेज़ी पत्र ‘मॉडर्न रिव्यू’ के मालिक और प्रतिष्ठित पत्रकार रामचंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने प्रवासी प्रेस कोलकाता से
• विविध – विषय विभूषित साहित्य संबंधित सचित्र मासिक पत्र।
• साहित्यिक , राजनीतिक और सामाजिक विषयों का उच्च कोटि का मासिक पत्र।
• संपादक :- पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी【 1928 से 1937 तक】(सुंदरलाल जी की प्रेरणा से)
★ पं. बनारसी दास चतुर्वेदी के बाद संपादक रहे :-
• अज्ञेय
• मोहनसिंह सेंगर
• श्री राम शर्मा
★ इसके सहायक संपादक :-
• बृजमोहन वर्मा( विशाल भारत पत्रिका का ‘चाय चक्रम’ नामक स्तंभ लिखते थे।)
• धन्य कुमार जैन
• इसके मुख्य पृष्ठ पर लिखा था :-
“सत्यम् शिवम् सुंदरम्”
“नयामात्मा बलहीनेनलभ्य:”
• इस पत्रिका के माध्यम से ही बनारसीदास चतुर्वेदी ने अश्लील साहित्य के विरुद्ध प्रबल आंदोलन चलाया।
• बनारसीदास चतुर्वेदी ने अश्लील साहित्य को ‘घासलेटी साहित्य’नाम रखा।
• बनारसीदास चतुर्वेदी ने साहित्य आदर्श के लिए ‘कस्मै देवाय’ नाम से आंदोलन किया।
• विशाल भारत पत्रिका में छोड़कर टीकमगढ़ जाने के बाद लगभग इसी काल में ओरछा नरेश वीरसिंह जू देव के प्रस्ताव पर पं.बनारसी दास चतुर्वेदी ने हिन्दी की बोलियों का प्रमुख मासिक पत्र ‘मधुकर’ का संपादन किया।
• इस पत्रिका में निकलने वाले प्रमुख अंक :-
रवींद्र अंक ,एंड्रूज़ अंक, पद्मसिंह शर्मा अंक, कला
अंक और राष्ट्रीय अंक।
• प्रवासी भारतीयों के प्रसंग में जो आंदोलन प्रारम्भ हुआ था, उसका प्रमुख माध्यम ‘विशाल भारत’ ही था।
26. युवक :-
• जनवरी 1929 ई. पटना से
• युग की मांग को पूरा करने वाला मासिक पत्र
• संपादक :- रामवृक्ष बेनीपुरी
• 64 प्रश्नों में (वार्षिक मूल्य 4 रूपये)
• मुख्य पृष्ठ पर लिखा था :-
शक्ति, साहस और साधना का मासिक
सफलता पाई अथवा नहीं,उन्हे क्या ज्ञान दे चुके
प्राण। विश्व को चाहिए उच्च विचार, नहीं केवल
अपना बलिदान।
27. हंस :-
• 1930 ई. – 1931ई. में काशी से प्रेमचंद ने
• मासिक पत्र
• हिंदी कथा साहित्य का प्रतिनिधि पत्र
• साहित्य के विविध रूपों का सुंदर सामंजस्य
• कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी के आग्रह से 1935
ई. में हंस का प्रकाशन बंबई में होने लगा।
• 1935 ई. में प्रेमचंद के साथ कन्हैयालाल
माणिकलाल मुंशी का नाम भी संपादक में छुपा था।
• प्रेमचंद की मृत्यु के बाद संपादन :- शिवदान सिंह
चौहान ( यह कम्युनिस्ट थे)
• हंस पर प्रत्यक्ष कम्युनिस्ट विचारधारा का प्रभाव
पड़ा।
• शिवदान सिंह चौहान के बाद संपादन किया :-
श्रीपतराय और अमृतराय ने।
• इस पत्र का उद्देश्य :- समाज का आह्नान करना था।
• 1946 ई. -1947 ई. तक चल कर हंस पत्रिका बंद
हो गया।
28. जागरण :-
• फरवरी 1932 ई. काशी से
• आलोचना प्रधान, शुद्ध साहित्यिक और सचित्र
पाक्षिक पत्र
• प्रकाशन की व्यवस्था :- विनोद शंकर ने की
• संपादक :- शिवपूजन सहाय
• जयशंकर प्रसाद, निराला ,पंत और महादेवी वर्मा की रचनाओं इसमें बराबर निकलती थी।
• प्रसाद जी ने ‘तितली’ नामक उपन्यास धारावाहिक रूप से इस पत्रिका में निकाला था।
• इस पत्रिका का स्वामित्व खरीदकर प्रेमचंद स्वयं उसका का संपादन करने लगे।
• प्रेमचंद संपादक होने के बाद पाक्षिक से साप्ताहिक हो गया
29. रूपाभ :-
• उत्तर प्रदेश के कालाकांकर से
• मासिक पत्र
• संपादक :- पंत
• इसमें उच्च कोटि के कविताएं, आलोचनाएं और निबंध निकलते थे।
30. धर्म युग :-
• 1950 ई. में बम्बई से प्रकाशित
• प्रथम संपादक :- इलाचंद्र जोशी
• इलाचंद्र जोशी के बाद हेमचंद्र जोशी एवं सत्यदेव विद्यालंकार संपादक बने।
• 1960 ई. से 1987 ई. तक धर्मवीर भारती संपादक बने।
• धर्मवीर भारती के बाद (1987 ई.के बाद ) संपादक बने :- गणेश मंत्री, मनमोहन सरल और विश्वनाथ सचदेव।
• इसके प्रत्येक अंक में एक धारावाहिक उपन्यास या लम्बी कहानी भी होती थी।
• शिवानी के अधिकतर उपन्यास इस पत्रिका में छपे थे।
• कृष्णा सोबती का बहुचर्चित उपन्यास ‘ए लड़की’ लंबी कहानी के रूप में इस पत्रिका में छपा था।
• 1990 ई. में साप्ताहिक पत्रिका को पाक्षिक कर दिया गया।
• 1995 ई. में पत्रिका बंद हो गयी।
■ यशपाल के जेल से निकलने के बाद “विप्लव’ नामक मासिक पत्र निकाला।
? पढ़ना जारी रखने के लिए यहाँ क्लिक करे।
Govind pur kalan
https://t.me/hindibestnotes