काव्य शास्त्र

छंदों का परिचय(chhandon ka parichay)

                      🌺 छंदों का परिचय(chhandon ka parichay) 🌺 ◆ छंद के परिभाषा :- अक्षरों की संख्या एवं क्रम ,मात्रा गणना तथा यति -गति के सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पदरचना ‘छंद’ कहलाती है ! ◆ छंद के अंग :- 1 . चरण :- छंद में प्राय: चार चरण होते हैं ...

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भारत भूषण का जीवन परिचय(Bharat Bhushan ka jeevan parichay)

🌺भारत भूषण का जीवन परिचय🌺   ◆ जन्म :- 8 जुलाई 1929 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में   ◆ मृत्यु :- 17 दिसंबर 2011   ◆ इनका पहला गीत संग्रह :- ‘सागर के समीप'(1958)   ◆ दुसरा गीत संग्रह:- ‘ये असंगति'(1993 में )   ◆तीसरा गीत संग्रह:- मेरे ‘चुनिंदा गीत’ (2008 में ) हुए।   ◆ प्रमुख गीत :- ...

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भारतेन्दु हरिश्चंद्र की पत्रिका(Bhartendu Harishchandra ki patrika)

🌺भारतेन्दु हरिश्चंद्र की पत्रिका🌺 (1) कविवचन सुधा- 1868 ई. (मासिक, पाक्षिक तथा बाद में साप्ताहिक)   (2) हरिश्चन्द्र चन्द्रिका – 1873 ई. (मासिक, पूर्व के आठ अंकों का प्रकाशन हरिश्चन्द्र मैगजीन नाम से)   (3) बाला बोधिनी- 1874 ई. (स्त्री शिक्षा से संबंधित मासिक पत्रिका) 👉 पढ़ना जारी रखने के लिए यहाँ क्लिक करे। 👉 Pdf नोट्स लेने के लिए ...

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प्रतीक/प्रतीकवाद(prateek/prateekavad)

           💐💐 प्रतीक/ प्रतीकवादी 💐💐 ◆ प्रतीक  शब्द का अर्थ :- ★  प्रतीक का शाब्दिक अर्थ है– अवयव, अंग, पताका, चिन्ह, निशान। ★  प्रतीक का अर्थ है प्रतिष्ठान अथवा एक वस्तु के लिए किसी अन्य वस्तु की स्थापना । ★ प्रतीक शब्द से अभिप्राय अंग्रेजी के सिम्बल (SYMBOL) शब्द से लिया जाता है। ★ Symbol (सीम्बोल) शब्द  ग्रीक भाषा के ...

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बिम्ब/ बिम्बवाद(bimb/bimbavad)

               💐💐 बिम्ब 💐💐 ◆ बिम्ब का अर्थ  :- ★ ‘बिम्ब’ शब्द अँग्रेजी के इमेज़ (Image) शब्द के पर्याय के रूप में ग्रहण किया जाता है। ★ संस्कृत में बिम्ब शब्द का अर्थ :- प्रतिच्छवि, प्रतिच्छाया, प्रतिबिम्बित ★ “जिस प्रकार अंग्रेजी के अनेक पारिभाषिक शब्दों के लिए उन्होंने हिन्दी में नए पारिभाषिक शब्द गढ़े थे, उसी प्रकार ”इमेज’ के लिए ...

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रस निष्पत्ति(Ras Nishpatti )

Trick :- ★ लल्लोट की उत्पत्ति मीमांसा दर्शन से हुई। भट्ट लल्लोट   उत्पत्तिवाद ★  शंकुक की अनुमति के बाद न्याय हुआ। अनुमितिवाद    नैयायिक दर्शन ★ नायक भुक्ति ने सांख्य दर्शन व्याख्या की। भट्टनायक भुक्तिवाद ★  अभिनवगुप्त ने अपनी अभिव्यक्ति में शैव दर्शन के बारे में बताया। अभिव्यक्तिवाद रस निष्पत्ति  :- काव्य लक्षण  काव्य हेतु रस का स्वरूप आचार्य ...

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वयण सगाई या वैण सगाई अलंकार 【vayan sagaee ya vainen sagaee alankaar】

• वयण सगाई या वैण सगाई इसे वरण सगाई या वरण संबंध भी कहते हैं। • वयण का अर्थ :- वर्ण या अक्षर • सगाई का अर्थ :- संबंध • वयण सगाई का अर्थ है :- वर्णों का संबंध • किसी छंद के प्रत्येक चरण में पहला अक्षर के संबंध के नियम को सही तरह से निभाना ही वयण सगाई ...

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रस का स्वरूप(ras ka svarup)

• रस अखंड है। • रस स्वप्रकाशानंद है। • रस चिन्मय है। • रस सचेतन अथवा प्राणवान् आनंद है। • रस अपने आकर से अभिन्न है। • रस वेद्यान्तर स्पर्शशून्य है • रस (काव्यास्वाद) को ब्रह्मास्वाद न कहकर उसका सहोदर कहा जाता है। • रस लोकोत्तर चमत्कार का प्राण है। • रस अपने आकार से अभिन्न रूप से आस्वादित किया ...

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काव्य हेतु(kavy hetu)

◆ हेतु का शाब्दिक अर्थ :- कारण ◆ काव्य हेतु का अर्थ :- जिनके के कारण काव्य का सृजन होता है। ◆ काव्य हेतु की परिभाषा :- काव्य रचना का सामर्थ्य उत्पन्न कर देने वाले कारण ही काव्य हेतु कहलाते है। ◆ काव्य हेतु के भेद :- 3 1. प्रतिभा 2. व्युत्पत्ति 3. अभ्यास ■ प्रतिभा,व्युत्पत्ति और अभ्यास मानने वाले ...

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भारतीय काव्यशास्त्र आर्चाय का क्रम(जन्म के अनुसार),bharatiy kavyashastree archee ka kram(janm ke anusaar)

◆आचार्य का शताब्दी वर्ष 【सम संख्या में 】   ◆ आचार्य का शताब्दी वर्ष 【 विषम संख्या में 】 ◆ शॉर्ट ट्रिक्सः- • भरतमुनि के भाग का दंड वामन को मिला। भरतमुनि (2वीं), भा – भामह (6वीं), दंड – दण्डी (7 वीं) वामन (8वीं)   • राज्य का आनंद शंका और रौद्र से नहीं अनुभव या उद्भव से होता है। 【9वीं】 ...

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काव्य के लक्षण( kavy ke lakshan)

★ काव्य लक्षण याद रखने के लिए सम्पूर्ण परिभाषा रटने की जरुरत नहीं है केवल परिभाषा में प्रमुख बिंदु को ही याद रखना है जो इस प्रकार :- ◆ भारतीय आचार्य के द्वारा:- 1. शब्दार्थ :- • शब्दार्थो सहितौ – भामह • शब्दार्थशरीरं – आनन्दवर्द्धन • शब्दार्थवनलंकृती – जयदेव • सब्द जीव तिहि – देव ★ विस्तार से :- 1. ...

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वक्रोक्ति सिद्धांत(vakrokti siddhant)

◆ वक्रोक्ति सिद्धांत के प्रवर्तक – कुन्तक ◆ वक्रोक्ति को शब्दालंकार माने वाले विद्वान :- Trick – मम्मट को रुद्रट की वक्रोक्ति शब्दालंकार पर विश्वास है। • मम्मट • रुद्रट • विश्वनाथ ◆ वक्रोक्ति को अर्थालंकार माने वाले विद्वान :- Trick – अप्पय दीक्षित ने वामन और विद्यानाथ को वक्रोक्ति को अर्थालंकार के रूपों को आनंद पूर्वक समझाया। • अप्पय ...

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अरस्तु का विरेचन सिद्धांत(arastu ka virechan siddhant)

प्लेटो के अनूठी सिद्धांत का विरोध करने वाला सिद्धांत- अरस्तु का विरेचन सिद्धांत। • विरेचन का उद्देश्य – आनंदप्रद राहत । • विरेचन की प्रथम बार चर्चा- पोयटिक्स के 6वे अध्याय में । • विरेचन की दूसरी बार चर्चा -राजनीति शास्त्र के भाग 8 के अध्याय 7 में संगीत के अध्ययन के उद्देश्य के अंतर्गत। • यूनानी शब्द कथार्सिस जिसका ...

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अरस्तु का त्रासदी सिद्धांत(arastu ka trasadi siddhant)

• त्रासदी का सर्वप्रथम विवेचन : – यूनान में। • त्रासदी का गंभीर एवं विशद् विवेचन सर्वप्रथम :-अरस्तु ने। • त्रासदी का विषय(अरस्तु के अनुसार) :- केवल गंभीर कार्य की अनुकृति • त्रासदी के तत्व :- (i) कथावस्तु या कथानक (त्रासदी का प्रमुख तत्व) (ii) चरित्र (iii) विचार तत्व (iv) पदावली(अनुकरण के माध्यम) (v) दृश्य विधान(अनुकरण की पद्धति) (vi) संगीत ...

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प्लेटो का काव्य सिद्धांत(pleto ka kavy siddhant)

• कवि की प्रतिभा को ईश्वर की देन।( यह पूर्व युग में माना) • काव्य रचना को देवी प्रेरणा का परिणाम।( यह पूर्व युग में माना) • प्लेटो ने बौद्धिक आनंद स्वीकारा । • प्लेटो ने ऐन्द्रिय आनंद को स्वीकार नहीं किया। • सामान्य (विश्व जनिन) सत्य को सत्य मानना कविता के सत्य को नहीं माना। • वस्तु जगत प्रत्यय ...

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