?आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की प्रमुख आलोचनात्मक कृतियाँ? ◆ सूर साहित्य (1930 ई.) ◆ हिन्दी साहित्य की भूमिका (1940 ई.) ◆ कबीर उदात्त (1941 ई.) ◆ हिन्दी साहित्य का आदिकाल (1952 ई.) ◆ सहज साधना (1963 ई.) ◆ कालिदास की लालित्य योजना (1965 ई.) ◆ मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970 ई.) ?हजारी प्रसाद द्विवेदी भारतीय साहित्य के प्रसिद्ध और ...
Read More »Tag Archives: आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की प्रथम औपन्यासिक कृति है।
बाणभट्ट की आत्मकथा का उद्देश्य(banbhatt ki aatmakatha ka uddeshy)
• प्रकाशन :- 1946 ई. • उपन्यासकार :- आ. हजारीप्रसाद द्विवेदी • संपूर्ण उपन्यास 26 उच्छ्वासों में विभक्त है। • उपन्यास के आरंभ में लिखा गया है – “अथ बाणभट्ट की आत्मकथा लिख्यते।” • बाणभट्ट की आत्मकथा सातवीं शताब्दी का समग्र चित्रण प्रस्तुत करता है। • यह आत्मकथा डायरी शैली में लिखी गई है। • आत्मकथा में अतीत की स्मृतियां ...
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