कृष्ण काव्य की प्रवृत्तियां(Krishna kavy ki pravartiya) 1. निर्गुण ब्रह्म के स्थान पर सगुण ब्रह्म की आराधना पर बल । 2. भक्ति के बहुआयामी स्वरूप का अंकन – संख्य एवं कांता भाव की प्रधानता,वात्सल्य भक्ति के साथ नवधा भक्ति को महत्व। 3. लीला गान में अत्यधिक रूचि। 4. गुरु महिमा और नाम स्मरण की महत्ता का बखान। 5. समकालीन सामाजिक ...
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