1. निराकार ब्रह्म की उपासना *निर्गुण सगुण में परे अनादि अनंत अनाम, अज्ञान ब्रह्म का नाम- जप। 2. गुरु की गुरुता के प्रति दिव्य श्रध्दा। 3. माया की व्यर्थता का प्रतिपादन। 4. संसार की असारता का निरूपण। 5. भक्ति भावना के विविध आयाम। *दास्यभक्ति, संख्य भक्ति, वात्सल्य भक्ति, शांत भक्ति,माधुर्य भक्ति। 6. सामाजिक सुधार की संदृष्टि। 7. नारी विषयक चिंतन। ...
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